UP : राघवेंद्र बाजपेयी हत्याकांड का चौंकाने वाला खुलासा
साजिश में उजागर हुई एक मंदिर के पुजारी की भूमिका
सीतापुर पुलिस के लिए सिरदर्द बना हुआ था राघवेंद्र बाजपेयी हत्याकांड
प्रादेशिक डेस्क
लखनऊ। उत्तर प्रदेश के सीतापुर जिले की पुलिस ने बहुचर्चित राघवेंद्र बाजपेयी हत्याकांड का खुलासा करने का दावा किया है। पुलिस अधीक्षक चक्रेश मिश्रा ने बताया कि इस जघन्य हत्याकांड की घटना में पुलिस ने मास्टर माइंड समेत पांच आरोपियों की पहचान किया है, जिसमें से तीन को गिरफ्तार कर लिया गया है। चौंकाने वाली बात यह है कि राघवेंद्र बाजपेयी हत्याकांड की साजिश में कारेदेव बाबा मंदिर के पुजारी की अहम भूमिका सामने आई है। हालांकि, हत्या को अंजाम देने वाले दो शूटर अब भी फरार हैं, जिनकी तलाश में क्राइम ब्रांच और एसटीएफ की दस टीमें नोएडा और आसपास के क्षेत्रों में ताबड़तोड़ छापेमारी कर रही हैं। इस हत्याकांड ने पत्रकारों की सुरक्षा को लेकर एक बार फिर गंभीर सवाल खड़े किए हैं।
दिनदहाड़े बरसाई गईं चार गोलियां
आठ मार्च को दोपहर करीब साढ़े तीन बजे सीतापुर के हेमपुर ओवरब्रिज पर दिनदहाड़े चार गोलियां बरसाकर राघवेंद्र बाजपेयी हत्याकांड को अंजाम दिया गया। घटना के समय महोली निवासी राघवेंद्र बाजपेयी अपनी बाइक से कहीं जा रहे थे। इस निर्मम हत्या ने पूरे इलाके में दहशत फैला दी। शुरुआत में इसे सड़क हादसा समझा गया, लेकिन अस्पताल में जांच के दौरान राघवेंद्र के शरीर पर गोलियों के निशान मिले, जिसने मामले को नया मोड़ दे दिया। पुलिस ने तत्काल कार्रवाई शुरू की और घटनास्थल के आसपास के सीसीटीवी फुटेज खंगालने के साथ-साथ संदिग्धों की तलाश तेज कर दी।
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34 दिन की मेहनत रंग लाई
राघवेंद्र बाजपेयी हत्याकांड की जांच के लिए कई टीमें गठित की गईं थीं। क्राइम ब्रांच निरीक्षक सत्येंद्र विक्रम सिंह और एएसपी डॉ. प्रवीण रंजन सिंह के नेतृत्व में कुल 12 टीमें दिन-रात जांच में जुटी रहीं। जांच के दौरान पुलिस ने एक हजार से अधिक मोबाइल नंबरों की निगरानी की, 125 से ज्यादा संदिग्धों से पूछताछ की और 250 से अधिक सीसीटीवी फुटेज की बारीकी से जांच की। इन प्रयासों के बाद पुलिस को महत्वपूर्ण सुराग मिले, जिन्होंने हत्याकांड की परतें खोलने में मदद की।
राघवेंद्र बाजपेयी हत्याकांड के लिए चार लाख की सुपारी
पुलिस के अनुसार, कारेदेव बाबा मंदिर के पुजारी शिवानंद उर्फ विकास राठौर ने अपने दो परिचितों, निर्मल सिंह और असलम गाजी के साथ मिलकर राघवेंद्र बाजपेयी हत्याकांड की साजिश रची। जांच में सामने आया कि राघवेंद्र ने पुजारी के कुछ काले कारनामों को उजागर करने की कोशिश की थी, जिसके चलते पुजारी ने चार लाख रुपये की सुपारी देकर उनकी हत्या कराई। पुजारी सहित तीनों साजिशकर्ताओं को गिरफ्तार कर लिया गया है, जबकि दो शूटर अभी पुलिस की पकड़ से बाहर हैं।
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मंदिर का पुजारी निकला साजिशकर्ता
राघवेंद्र बाजपेयी हत्याकांड की सबसे चौंकाने वाली बात यह रही कि एक मंदिर का पुजारी, जिसे समाज में सम्मान की नजर से देखा जाता है, इस जघन्य अपराध का मास्टरमाइंड निकला। पुलिस सूत्रों के अनुसार, राघवेंद्र बाजपेयी ने पुजारी के अनैतिक कृत्यों, जिसमें एक नाबालिग के साथ कथित अप्राकृतिक संबंध शामिल थे, को उजागर करने की धमकी दी थी। इस डर से पुजारी ने पत्रकार को रास्ते से हटाने का फैसला किया। उसने दो पेशेवर शूटरों को हायर किया और राघवेंद्र बाजपेयी हत्याकांड की योजना को अंजाम दिया। पुलिस ने बताया कि घटनास्थल के पास एक सीसीटीवी फुटेज में दो बाइक सवार संदिग्ध दिखे थे, जिन्होंने मुंह पर कपड़ा लपेट रखा था। इस फुटेज ने जांच को दिशा देने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। घटनास्थल के 500 मीटर के दायरे में सक्रिय 18,000 मोबाइल नंबरों की जांच की गई, जिसमें से कुछ संदिग्ध नंबरों ने साजिश की ओर इशारा किया।
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पत्रकारों की सुरक्षा पर सवाल
राघवेंद्र बाजपेयी हत्याकांड ने एक बार फिर पत्रकारों की सुरक्षा को लेकर गंभीर सवाल खड़े किए हैं। इस घटना के बाद पत्रकार संगठनों ने विरोध प्रदर्शन किए और सरकार से पत्रकार सुरक्षा कानून लागू करने की मांग की। राघवेंद्र के परिवार ने भी हत्यारों की तत्काल गिरफ्तारी और कड़ी सजा की मांग की है। परिवार ने यह भी कहा कि जब तक सभी दोषियों को सजा नहीं मिलती, वे चैन से नहीं बैठेंगे। पुलिस ने दावा किया है कि वह शेष दो शूटरों को जल्द गिरफ्तार कर लेगी। नोएडा, गाजियाबाद और दिल्ली के आसपास के क्षेत्रों में छापेमारी तेज कर दी गई है। एसटीएफ और क्राइम ब्रांच की टीमें संदिग्ध ठिकानों पर नजर रख रही हैं।
समाज में फैली बेचैनी
राघवेंद्र बाजपेयी हत्याकांड ने न केवल सीतापुर बल्कि पूरे उत्तर प्रदेश में हलचल मचा दी है। पत्रकारिता जैसे पेशे, जो समाज का आलोचनात्मक दर्पण माना जाता है, पर इस तरह का हमला लोकतंत्र के लिए खतरे की घंटी है। राघवेंद्र बाजपेयी के सहयोगियों और स्थानीय लोगों का कहना है कि वह एक निडर पत्रकार थे, जो भ्रष्टाचार और अनैतिकता के खिलाफ आवाज उठाते थे। उनकी हत्या ने यह सवाल खड़ा किया है कि क्या सच बोलने की कीमत अब जान देकर चुकानी पड़ेगी? पुलिस ने भरोसा दिलाया है कि इस मामले में किसी भी दोषी को बख्शा नहीं जाएगा। साथ ही, यह भी कहा गया है कि जांच में नए खुलासे हो सकते हैं, जो इस साजिश को और गहरा सकते हैं। फिलहाल, समाज और पत्रकार बिरादरी इस मामले में कठोर कार्रवाई की उम्मीद में नजरें टिकाए हुए है।

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