भोजपुरी गायक गोल्डी यादव का विवादित गाना ‘ड्रम में राजा’

क्या है ‘ड्रम में राजा’ गाने में, इसलिए मचा बवाल!

भोजपुरी गायक गोल्डी यादव ने गाया है गाना ‘ड्रम में राजा’

सोशल मीडिया पर वायरल हो रहा ‘ड्रम में राजा’ का विवादित कंटेंट

‘ड्रम में राजा’ गाने के विवादित कंटेंट को डिलीट करने की हो रही मांग

प्रादेशिक डेस्क

मेरठ। उत्तर प्रदेश के मेरठ में हुए चर्चित सौरभ हत्याकांड पर बनाया गया गाना ‘ड्रम में राजा’ इन दिनों सोशल मीडिया पर ट्रेंड कर रहा है। सोशल मीडिया पर ट्रेंड कर रहे भोजपुरी गाने ने नया बवाल खड़ा कर दिया है। गाना ‘ड्रम में राजा’ को लेकर दर्शकों और सामाजिक कार्यकर्ताओं के बीच गहरी नाराजगी देखी जा रही है। गाने को न सिर्फ संवेदनहीन करार दिया जा रहा है, बल्कि इसके वीडियो में प्रयोग किए गए दृश्य भी व्यापक विरोध का कारण बन गए हैं।

‘ड्रम में राजा’ गाना 6 अप्रैल को ‘बार्न म्यूजिक भोजपुरी’ नामक यूट्यूब चैनल पर अपलोड किया गया था। इसे भोजपुरी गायक गोल्डी यादव ने गाया है, जबकि इसके बोल प्रिंस प्रियदर्शी द्वारा लिखे गए हैं और संगीत प्रियांशु सिंह ने दिया है। वीडियो में गौरव कुशवाहा और पारुल यादव मुख्य भूमिकाओं में नजर आ रहे हैं। गाने के विरोध का मुख्य कारण है, इसमें प्रयुक्त नीला ड्रम, जो मेरठ हत्याकांड के समय मृतक सौरभ की बॉडी मिलने का माध्यम बना था। गाने में इसी ड्रम को मनोरंजन और हास्य का विषय बनाते हुए दिखाया गया है। वीडियो में लोगों को ड्रम के अंदर मुंह बांधे खड़ा करते हुए फिल्माया गया है, जिसे देखकर आम लोग, खासकर पीड़ित परिवारों के प्रति संवेदना रखने वाले दर्शक, आक्रोशित हो उठे हैं।

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सार्वजनिक प्रतिक्रियाओं में यह बात बार-बार सामने आई है कि ‘ड्रम में राजा’ गाने के माध्यम से एक संवेदनशील और भयावह घटना का मजाक उड़ाया गया है। सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म्स पर लोगों ने इस गाने को बैन करने, यूट्यूब से हटाने और गायक के खिलाफ कानूनी कार्रवाई करने की मांग की है। ट्विटर पर हैशटैग ‘üठंदक्तनउडमपदत्ंरं’ ट्रेंड कर रहा है, जिसमें हजारों लोग अपने विचार साझा कर चुके हैं। विवाद को और हवा तब मिली जब कई स्थानीय संगठनों और सामाजिक कार्यकर्ताओं ने इस गाने को समाज में नकारात्मक प्रभाव पैदा करने वाला बताया। मेरठ के एक सामाजिक कार्यकर्ता ने कहा कि, इस गाने से न केवल पीड़ित परिवार के घाव हरे होते हैं, बल्कि समाज में अपराध को ग्लैमराइज करने की प्रवृत्ति को भी बढ़ावा मिलता है।

भोजपुरी फिल्म और संगीत उद्योग पहले भी अश्लीलता और महिलाओं के प्रति आपत्तिजनक प्रस्तुति के आरोपों का सामना कर चुका है। लेकिन यह मामला उन सभी से कहीं अधिक गंभीर माना जा रहा है, क्योंकि यह सीधे-सीधे एक दर्दनाक हत्याकांड से जुड़ा है, जिसमें एक युवक की हत्या कर उसकी लाश को ड्रम में डाल दिया गया था। उस दृश्य की पुनरावृत्ति मनोरंजन के नाम पर करना, सामाजिक मर्यादाओं और मानवीय मूल्यों की अनदेखी है।

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‘ड्रम में राजा’ गाने के प्रति बढ़ते आक्रोश को देखते हुए राज्य सरकार और सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय पर भी दबाव बढ़ने लगा है कि ऐसे वीडियो की निगरानी और सेंसरिंग के लिए स्पष्ट दिशा-निर्देश तैयार किए जाएं। वहीं, यूट्यूब पर भी वीडियो को रिपोर्ट किए जाने की संख्या बढ़ती जा रही है। गायक गोल्डी यादव ने अब तक इस मामले पर कोई आधिकारिक बयान नहीं दिया है, लेकिन उनकी चुप्पी को भी लोग जिम्मेदारी से बचने की कोशिश मान रहे हैं। सूत्रों की मानें तो जल्द ही पुलिस और साइबर क्राइम यूनिट की ओर से जांच की शुरुआत हो सकती है। वहीं, कुछ संगठनों ने इस मामले में एफआईआर दर्ज कराने की बात भी कही है।

संवेदनशील मामलों पर कंटेंट तैयार करने से पहले मीडिया और कलाकारों की जिम्मेदारी बनती है कि वे सामाजिक भावनाओं और नैतिक सीमाओं का ध्यान रखें। इस गाने ने एक बार फिर यह प्रश्न खड़ा कर दिया है कि क्या रचनात्मक स्वतंत्रता के नाम पर किसी की पीड़ा को हंसी-ठिठोली का हिस्सा बनाना उचित है? यह मामला न केवल भोजपुरी मनोरंजन जगत के लिए बल्कि सभी डिजिटल क्रिएटर्स के लिए चेतावनी है कि यदि समय रहते आत्म-संयम और सामाजिक उत्तरदायित्व नहीं दिखाया गया, तो कानूनी और सामाजिक दोनों स्तरों पर जवाबदेही तय की जा सकती है।

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