UP News : संस्कृत के प्रति बढ़ रही लोगों की रूचि, रोजगार की भी है अपार संभावनाएं

 -अमेरिका, नेपाल, रूस, अफगानिस्तान सहित कई देश जारी कर चुके संस्कृत के सम्मान में डाक टिकट

– मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की निगरानी में गोरखनाथ संस्कृत विद्यापीठ में 1000 विद्यार्थी लेते हैं संस्कृत की शिक्षा 

गोरखपुर (हि.स.)। भारत और संस्कृत एक-दूसरे के पर्याय हैं। इससे असहमत नहीं हुआ जा सकता कि भारतीय संस्कृति और सभ्यता का आधार संस्कृत भाषा ही है। जिन वेद, उपनिषद जैसे ग्रंथों को भारत की पहचान माना जाता है वे संस्कृत भाषा में ही लिखे गए हैं और कोई भी इस भाषा को जाने बिना उनके मर्म को नहीं समझ सकता। 
इसी कारण बहुत से विद्वतजन का कहना है कि भारत को समझना है तो पहले संस्कत का ज्ञान जरूरी है। आज संस्कृत सिर्फ ज्ञान के लिए ही नहीं, रोजगार के लिए भी उपयुक्त है। इसके माध्यम से पढ़ाई करने वाला कभी बेकार नहीं हो सकता। यही कारण है कि आज विदेशी भी इस भाषा के प्रति आकर्षित हो रहे हैं।
पहले अंग्रेजी की बढ़त पर अंकुश लगाने और हिंदी समेत दूसरी भारतीय भाषाओं को महत्व देने के प्रति गंभीरता से प्रयास नहीं किए गए। यही कारण रहा कि संस्कृत की अपेक्षा बहुतेरे विद्यार्थी जर्मन व अन्य विदेशी भाषाएं पढ़ना पसंद करते थे लेकिन आज ऐसा नहीं है।  प्रदेश में योगी की सरकार आने के बाद संस्कृत की उपयोगिता लोगों को समझ में आने लगी है। यह भी लोग मानने लगे हैं कि इसके माध्यम से रोजगार के बहुत सारे अवसर हैं। 
विदेशियों में बढ़ रही संस्कृत विषय के प्रति रूचि संस्कृत में रूचि लेने वालों का दायरा भारत ही नहीं विदेशो में भी बढ़ रहा है। इसकी लोकप्रियता का आलम यह है कि भारत से पहले रसिया में संस्कृत डाक टिकट जारी किया जा चुका है। नेपाल, इंडोनेशिया, लाओस, अमेरिका, अफगानिस्तान ने भी संस्कृत भाषा के सम्मान में डाक टिकट जारी किये हैं। अब तक 76 डाक टिकट संस्कृत में जारी किये जा चुके हैं। 
श्री गोरखननाथ संस्कृत विद्यापीठ जगा रहा भाषा के प्रति अलख गोरक्ष पीठ द्वारा संचालित श्री गोरखनाथ संस्कृत विद्यापीठ के शिक्षक बृजेश मणि मिश्र बताते हैं कि यहाँ संस्कृत की कक्षा नौ से स्नातकोत्तर स्तर तक की पढ़ाई होती है, जिसमें लगभग 1000 विद्यार्थी पढ़ते हैं । छात्रावास में संस्कृत के 300 से अधिक छात्र रहते हैं। वेद, साहित्य, दर्शन, व्याकरण, ज्योतिष, पुराण, वेदांत जैसे शास्त्रीय विषयों के साथ साथ हिंदी, अंग्रेजी, समाजशास्त्र, इतिहास ,भूगोल, गणित, विज्ञान जैसे विषयों का भी अध्यापन किया जाता है। विद्यापीठ में 11 शिक्षक अनवरत सेवा देते रहते हैं। संस्कृत विद्यापीठ का उद्देश्य भारतीय संस्कृति और सभ्यता को बनाए रखने के लिए धर्म शास्त्र, कर्म काण्ड, ज्योतिष विज्ञान का अध्ययन कर लोगों के जीवन को सुखमय बनाया जाए।
गोरखपुर विवि में भी बढ़ी है विद्यार्थियों की संख्यागोरखपुर विश्वविद्यालय की संस्कृत विभाग की असिस्टेंट प्रोफेसर डॉ द्विवेदी बताती है कि संस्कृत भाषा के उत्थान के लिए विश्वविद्यालय परिसर लगातार प्रयासरत है। इसके प्रसार, उत्थान के लिए कई योजनाएं, कई कार्य क्रम चलाये जा रहे हैं। पिछले साल की तुलना में छात्रों की संख्या भी बढ़ी है। संस्कृत साहित्य में भी कैरियर की अपार संभावनाए है। 

error: Content is protected !!