UP News : योगी ने पूरी की अपने गुरु की हर इच्छा

प्रादेशिक डेस्क

गोरखपुर। गुरु पूर्णिमा पर मुख्यमंत्री और गोरक्ष पीठाधीश्वर महंत योगी आदित्यनाथ गोरखपुर पहुंचे। उन्होंने यहां गुरु गोरखनाथ के मुख्य मंदिर में पूजा-अर्चना की। इसके बाद ब्रह्मलीन गोरक्षपीठाधीश्वर महंत दिग्विजयनाथ, महंत अवेद्यनाथ, योगी राज बाबा गम्भीरनाथ की समाधि पर माथा टेककर उनका आशीर्वाद लिया। गोरखनाथ मुख्य मंदिर में गुरु गोरखनाथ की पूजा के बाद पुजारी के हाथों प्रसाद ग्रहण करते मुख्यमंत्री और गोरक्षपीठाधीश्वर महंत योगी आदित्यनाथ। योगी आदित्यनाथ के गुरु महंत अवेद्यनाथ थे। उन्होंने ही उन्हें नाथ पंथ की दीक्षा देकर अपना उत्ताधिकारी घोषित किया था। गुरु महंत अवेद्यनाथ से शिष्य योगी आदित्यनाथ के आध्यात्मिक और आत्मिक सम्बन्ध थे। उन्हें अपने गुरु से अपार स्नेह मिला।

योगी आदित्यनाथ ने भी अपने गुरु की हर इच्छा पूरी की। योगी ने हर मोर्चे पर सफलता पाई और अपने गुरु का नाम रोशन किया। वर्तमान में वह राममंदिर निर्माण के काम में बढ़ चढ़कर जुटे हैं। अयोध्या में राममंदिर बने यह उनके गुरु महंत अवेद्यनाथ की हार्दिक इच्छा थी। उन्होंने राम जन्मभूमि यज्ञ समिति के अध्यक्ष के रूप में जीवन पर्यन्त इसके लिए संघर्ष किया था। दुनिया पिछले 26 साल से योगी आदित्यनाथ को गेरुआ वस्त्रों और धार्मिक-राजनीतिक भूमिकाओं में देखती आ रही है लेकिन जब वह पहली बार अपने गुरु महंत अवेद्यनाथ से मिले थे तो विद्यार्थी थे। साल1993 की बात है। गणित में एमएससी की पढ़ाई के दौरान अजय सिंह बिष्ट गुरु गोरखनाथ पर शोध करने के लिए गोरखपुर आए। यहां रहते हुए वह महंत अवेद्यनाथ के सम्पर्क में आए।
अजय सिंह बिष्ट के तरुण मन पर महंत अवेद्यनाथ का काफी प्रभाव पड़ा। गोरक्षपीठाधीश्वर भी उनसे प्रभावित थे। एक-दो मुलाकातों के दौरान ही गोरक्षपीठाधीश्वर महंत अवेद्यनाथ को अजय सिंह बिष्ट में अपना योग्य उत्तराधिकारी नज़र आने लगा। उन्होंने उनके सामने नाथ पंथ की दीक्षा लेने का प्रस्ताव रख दिया।


महंत अवेद्यनाथ के प्रस्ताव पर तुरंत निर्णय लेने की बजाए योगी वापस उत्तराखंड लौट गए थे। लेकिन वहां जाकर भी उनका मन गुरु गोरखनाथ, नाथ पंथ और महंत अवेद्यनाथ में ही रमा रहा। 1994 में उन्होंने अपनी मां से गोरखपुर जाने की बात कही और फिर यहां आ गए। यहां 1994 में उन्होंने महंत अवेद्यनाथ से नाथ पंथ की दीक्षा ली और पूर्ण संन्यासी बन गए। पंचूर में परिवार को उस समय तक अजय सिंह बिष्ट के योगी आदित्यनाथ बन जाने के बारे में कोई जानकारी नहीं थी। मां को तो यही लगा था कि वह नौकरी खोजने गए हैं। करीब छह महीने का समय गुजर गया। परिवार के पास अब भी योगी आदित्यनाथ के बारे में कोई सूचना नहीं थी।

इसी बीच दिल्ली में रह रहीं सीएम योगी की बड़ी बहन पुष्पा ने अखबार में गोरक्षपीठाधीश्वर महंत अवेद्यनाथ द्वारा अपना उत्तराधिकारी घोषित किए जाने की खबर पढ़ी। पिता ने यह सुना तो तत्काल गोरखपुर के लिए रवाना हो गए।जिस वक्त यहां पहुंचे उस वक्त योगी आदित्यनाथ गोरखनाथ मंदिर में फर्श की सफाई कर रहे कर्मचारियों का मुआइना कर रहे थे। पिता ने उन्हें पहली बार भगवा वस्त्रों में सिर मुड़ाए संन्यासी के रूप में देखा। बेटे को इस रूप में देख पिता का दिल धक से रह गया। उन्होंने सपने में भी इसकी कल्पना नहीं की थी। योगी के लिए भी पिता को इस तरह अचानक सामने देख कर कुछ कह पाना आसान नहीं था। पिता ने उनसे तुरंत साथ चलने को कहा लेकिन वह उन्हें अपने साथ गोरखनाथ मंदिर के कार्यालय ले गए।


योगी आदित्यनाथ ने तत्काल फोन के जरिए अपने गुरु महंत अवेद्यनाथ को अपने पिता के आने की जानकारी दी। लौटने पर महंत अवेद्यनाथ ने उनके पिता से बात की। बोले, ’आपके चार बेटे हैं, एक को समाजसेवा के लिए दे दें।’ इस बातचीत के बाद उनका मन कुछ हल्का हुआ। मंदिर में कुछ समय व्यतीत करने के बाद वह पंचूर लौट गए। वापस पंचूर लौटकर उन्होंने योगी आदित्यनाथ के संन्यासी बनने के बारे में उनकी मां सावित्री देवी को बताया तो वह बुरी तरह परेशान हो गईं। पूरा परिवार सकते में आ गया। फारेस्ट रेंजर रहे आनंद सिंह बिष्ट की जिंदगी की कहानी बेहद सीधी-सपाट थी। योगी अपने माता-पिता के सात बच्चों में तीन बड़ी बहनों और एक बड़े भाई के बाद पांचवें नंबर पर हैं। इनसे और दो छोटे भाई हैं। वह माता पिता के अलावा भाई-बहनों में भी सबके चहेते थे। उनके इस तरह संन्यास ग्रहण कर लेने की बात पर मां को भरोसा नहीं हुआ। उन्होंने तुरंत गोरखनाथ मंदिर जाना तय किया। पिता आनंद सिंह बिष्ट उन्हें लेकर दोबारा यहां आए। बताते हैं कि यहां बेटे को गेरुआ वस्त्रों में देखकर मां फूट-फूटकर रोने लगीं। उस दौरान योगी आदित्यनाथ के लिए भी अपने मनोभावों पर काबू रख पाना आसान नहीं था लेकिन उन्होंने अपनी मां से कहा कि, ’मुझे संन्यास लेने की अनुमति दे दें। यह एक छोटे परिवार से बड़े परिवार में जाने जैसा है। अब मैं लोक कल्याण के लिए जीवन समर्पित करुंगा।’ गोरक्षपीठाधीश्वर महंत अवेद्यनाथ ने भी योगी आदित्यनाथ के माता-पिता को एक बार फिर समझाया। उन्होंने यह भी कहा कि योगी जब चाहें आपके पास जा सकते हैं। आप भी जब चाहें यहां आकर इनसे मिल सकते हैं। तब से योगी आदित्यनाथ पूर्ण रूप से सन्यासी का जीवन जीने लगे।


योगी आदित्यनाथ, अपने गुरु महंत अवेद्यनाथ के राजनीतिक उत्ताधिकारी भी बने। लगातार पांच बार लोकसभा चुनाव जीतते हुए 1998 से 2017 तक संसद में गोरखपुर का प्रतिनिधित्व किया। मार्च 2017 में उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री बने। योगी आदित्यनाथ, अपने गुरु महंत अवेद्यनाथ के राजनीतिक उत्ताधिकारी भी बने। लगातार पांच बार लोकसभा चुनाव जीतते हुए 1998 से 2017 तक संसद में गोरखपुर का प्रतिनिधित्व किया। मार्च 2017 में उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री बने।

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