UP News : फर्जी नामों पर साढ़े तीन करोड़ की खाद निगल गए घोटालेबाज

प्रादेशिक डेस्क

गोरखपुर। खाद घोटाले के मामले में शनिवार को एक और बड़ा खुलासा हुआ। खाद के कुछ थोक और फुटकर कारोबारियों ने खाद की जिन 51,665 बोरियों (23,252 क्विंटल) का घोटाला किया, असल में वह सभी यूरिया की थी। इस घोटाले के कारण यूरिया की प्रति बोरी 684.72 करोड़ रुपये यानी कुल 3.54 करोड़ रुपये के अनुदान की क्षति केंद्र सरकार के उर्वरक एवं रसायन मंत्रालय को उठानी पड़ी है। अब सबकी निगाहें कृषि विभाग पर हैं कि इस घोटाले को अंजाम देने वाले 18 फुटकर खाद विक्रेताओं पर क्या कार्रवाई होती है। यूरिया खाद की 45 किलोग्राम की एक बोरी कीमत तकरीबन 951 रुपये होती है। सरकार किसानों को सिर्फ 266 रुपये में उपलब्ध कराती है। शेष 684.72 रुपये प्रति बोरी का भुगतान खाद बनाने वाली कम्पनी को सरकार करती है। यह सारा लेन-देन आधार बेस्ड पीओएस मशीन से डीबीटी के जरिये होता है। अनुदान की इसी क्षति को रोकने के लिए सरकार ने मोबाइल फर्टिलाइजर मॉनिटरिंग सिस्टम लांच भी किया। यही, सिस्टम घोटालेबाजों की करतूत को उजागर भी कर रहा है।
जिले के 18 फुटकर खाद विक्रेताओं ने वित्त वर्ष अप्रैल 2019 से मार्च 2020 तक फर्जी नामों पर बिना आधार कार्ड के ही पीओएस मशीन के जरिये 23,252 क्विंटल यूरिया खाद की बिक्री कर दी। डीबीटी क्रियान्वयन से खाद की बिक्री शत प्रतिशत पीओएस के माध्यम से किए जाने के आधार पर ही 100 फीसदी अनुदान का भुगतान किया जाता है। ऐसे में अनुदान खाद निर्माता कंम्पनियों को चला गया लेकिन यह खाद किसानों तक नियमानुसार नहीं पहुंची। फिलहाल जिले के 18 फुटकर खाद विक्रेताओं की बिक्री प्रतिबंधित कर जिला कृषि अधिकारी कार्यालय ने 21 अगस्त तक स्पटीकरण मांगा है। असल में अन्य खाद के मुकाबले यूरिया काफी सस्ती है। नेपाल में यूरिया काफी बड़ी कीमत पर उपलब्ध हो पाती है। लिहाजा गोरखपुर एव बस्ती मण्डल से यूरिया की तस्करी की संभावनाएं सबसे ज्यादा होती हैं। यहां 299 रुपये प्रति बोरी मिलने वाली यूरिया को सिर्फ 30 से 50 रुपये मार्जिन पर फुटकर विक्रेता कुछ थोक विक्रेता या खाद की कालाबाजारी करने वाले वाले माफिया को उपबल्ध करा देते हैं।

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