अम्बुज भार्गव
बलरामपुर। सरकार द्वारा करोड़ों रुपये खर्च कर चलाए जा रहे स्वच्छता अभियान को बलरामपुर के बालपुर गांव में करारा झटका लगा है। विकासखंड बलरामपुर क्षेत्र के ग्राम पंचायत बालपुर में बनाए गए सामुदायिक शौचालय को ताले में बंद कर रखा गया है। गांव के लोग खासकर महिलाएं, आज भी खुले में शौच जाने को मजबूर हैं। यह स्थिति उस महत्वाकांक्षी योजना के लिए विडंबना बन गई है, जिसे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 2 अक्टूबर 2014 को ग्रामीण भारत को खुले में शौच से मुक्त (ODF) करने के उद्देश्य से शुरू किया था।
ग्राम प्रधान की लापरवाही से ताले में बंद शौचालय
ग्रामीणों के अनुसार, बालपुर पंचायत में बने इस सामुदायिक शौचालय में ग्राम प्रधान पुनीत यादव की कथित उदासीनता के चलते इसमें ताला डाल दिया गया है। कोई साफ-सफाई नहीं हो रही, न ही पानी की सुविधा दी गई। नतीजा यह है कि बरसात हो या ठंड, लोगों को मजबूरी में खुले में शौच जाना पड़ रहा है। एक स्थानीय महिला निवासी अपना नाम न बताने की शर्त पर बताती हैं, ‘शौचालय तो बन गया, लेकिन इस्तेमाल नहीं हो रहा। महिलाएं असुरक्षित महसूस करती हैं। रात में या सुबह-सुबह खुले में जाना बहुत मुश्किल हो गया है।’
स्वच्छ भारत मिशन ग्रामीण का उद्देश्य और जमीनी हकीकत
स्वच्छ भारत मिशन ग्रामीण का मुख्य उद्देश्य था ग्रामीण क्षेत्रों में व्यक्तिगत और सामुदायिक शौचालयों का निर्माण कर उन्हें उपयोग में लाना। इस योजना का लक्ष्य 2019 तक भारत को ODF घोषित करना था, जिसे कई राज्यों ने कागजों में पूरा भी कर लिया। लेकिन बालपुर जैसे गांव यह दिखाते हैं कि केवल निर्माण ही पर्याप्त नहीं, बल्कि उसकी नियमित देखभाल और सामाजिक जागरूकता भी उतनी ही जरूरी है। ग्रामीणों ने बताया कि शौचालय की स्थिति देखकर लगता है कि यह योजना सिर्फ फोटो खिंचवाने और रिपोर्ट में आंकड़े भरने तक ही सीमित रह गई है। अगर सरकार की मंशा साफ है तो ज़मीनी स्तर पर जिम्मेदार लोगों की जवाबदेही तय करनी होगी।
पंचायत सहायक ले रहे मानदेय, निभा नहीं रहे कर्तव्य
गांव के लोगों ने यह भी बताया कि पंचायत सहायक नियमित रूप से मानदेय प्राप्त कर रहे हैं, लेकिन उनकी भूमिका महज औपचारिक बन गई है। वे न शौचालय खुलवाने की पहल करते हैं और न ही कोई व्यवस्था बनाते हैं। इससे ग्रामीणों में रोष बढ़ता जा रहा है।
खुले में शौच से जुड़ी स्वास्थ्य समस्याएं बढ़ने का खतरा
खुले में शौच की समस्या केवल स्वच्छता तक सीमित नहीं रहती, यह स्वास्थ्य को भी सीधा प्रभावित करती है। गंदगी से मलेरिया, डायरिया, त्वचा रोग और अन्य संक्रमणों का खतरा कई गुना बढ़ जाता है। बालपुर गांव में बरसात के दिनों में बीमारियों का खतरा सिर पर मंडराने लगता है, लेकिन शौचालय उपयोग में नहीं आने की वजह से समस्या हल नहीं हो पा रही।
प्रशासन की चुप्पी से बढ़ी ग्रामीणों की नाराजगी
अब तक स्थानीय प्रशासन ने इस मुद्दे पर कोई ठोस पहल नहीं की है। ग्राम प्रधान से लेकर ब्लॉक स्तर के अधिकारी तक इस समस्या पर आंख मूंदे बैठे हैं। किसी प्रकार की जांच या निगरानी नहीं की गई। जबकि यह स्थिति न सिर्फ योजना की असफलता को दर्शाती है, बल्कि सार्वजनिक धन के दुरुपयोग का भी मामला बनती है।
ग्रामीणों ने की कार्रवाई की मांग
बालपुर के नागरिकों ने जिलाधिकारी से इस मामले की निष्पक्ष जांच कराकर दोषियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की मांग की है। अगर जल्दी कोई समाधान नहीं निकला तो ग्रामीण विरोध मार्च निकालने की तैयारी में हैं। स्वच्छ भारत मिशन ग्रामीण की सफलता इसी में है कि शौचालय का निर्माण उपयोग से जुड़ सके। बालपुर की घटना बताती है कि योजनाओं को नीचे तक ईमानदारी से लागू किए बिना प्रधानमंत्री की मंशा पूरी नहीं हो सकती।

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