भारत-पाक के संबंधों पर फिर से मंडराया संकट

पाक पर भारी पड़ेगा शिमला समझौता का निलंबन

शिमला समझौता : अब LOC को मानने के लिए बाध्य नहीं भारत

शिमला समझौता निलंबन : भारत की मजबूत स्थिति, पाकिस्तान की बौखलाहट

नेशनल डेस्क

नई दिल्ली। शिमला समझौता ने भारत-पाकिस्तान संबंधों में नया तनाव पैदा कर दिया है। पहलगाम में हाल के आतंकी हमले के बाद भारत ने सुरक्षा मामलों की कैबिनेट समिति (सीसीएस) की बैठक में बड़े फैसले लिए। इनमें 1960 की सिंधु जल संधि को स्थगित करना शामिल था। इसके जवाब में पाकिस्तान ने शिमला समझौता सहित सभी द्विपक्षीय समझौतों को निलंबित करने का ऐलान किया। यह कदम पाकिस्तान को भारी पड़ सकता है। आइए, शिमला समझौता निलंबन के प्रभावों को विस्तार से समझें।

शिमला समझौता निलंबन का अर्थ: LOC की वैधता खत्म
1972 का शिमला समझौता भारत और पाकिस्तान के बीच शांति का आधार था। इसका मुख्य बिंदु नियंत्रण रेखा (LOC) की पवित्रता को बनाए रखना था। शिमला समझौता निलंबन का मतलब है कि अब कोई भी पक्ष LOC को मानने के लिए बाध्य नहीं है। भारत अब LOC पार कर पाकिस्तान के कब्जे वाले कश्मीर (POK) में कार्रवाई कर सकता है। पाकिस्तान के प्रधानमंत्री कार्यालय ने गुरुवार को बयान जारी कर कहा कि वह सभी द्विपक्षीय समझौतों को निलंबित करेगा। यह बयान बौखलाहट में लिया गया फैसला प्रतीत होता है।

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पाकिस्तान की खुद को अलग-थलग करने की राह
शिमला समझौता निलंबन से पाकिस्तान की कूटनीतिक विश्वसनीयता को गहरा नुकसान होगा। वैश्विक समुदाय इस कदम को गैर-जिम्मेदाराना मानेगा। आर्थिक संकट से जूझ रहा पाकिस्तान पहले ही अंतरराष्ट्रीय समर्थन के लिए संघर्ष कर रहा है। शिमला समझौता निलंबन से उसका अलगाव और बढ़ेगा। विशेषज्ञों का मानना है कि पाकिस्तान ने इस कदम के दीर्घकालिक परिणामों पर विचार नहीं किया। इससे क्षेत्रीय स्थिरता को खतरा है।

कश्मीर पर भारत का रुख और मजबूत
शिमला समझौता निलंबन ने कश्मीर को द्विपक्षीय मुद्दा बनाए रखने की प्रक्रिया को तोड़ दिया है। शिमला समझौता दोनों देशों को बातचीत और शांतिपूर्ण तरीकों से कश्मीर मुद्दे को हल करने के लिए बाध्य करता था। अब भारत को यह तर्क मिल गया है कि पाकिस्तान ने खुद इस समझौते को खारिज किया। इससे भारत कश्मीर पर अपनी नीतियों को और सख्त कर सकता है। भारत POK में सीधे संपर्क स्थापित कर सकता है, जिससे क्षेत्रीय तनाव बढ़ेगा।

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परमाणु खतरे की आशंका
शिमला समझौता निलंबन के साथ-साथ परमाणु गलतफहमियों को रोकने वाले समझौते भी खतरे में हैं। भारत और पाकिस्तान के बीच अनजाने परमाणु हमलों को रोकने के लिए दो समझौते थे। पाकिस्तान के बयान से ये समझौते भी निलंबित हो गए हैं। यह वैश्विक समुदाय के लिए चिंता का विषय है। बैलिस्टिक मिसाइल परीक्षणों की पूर्व सूचना देने वाला समझौता भी प्रभावित होगा। इससे गलतफहमियों का जोखिम बढ़ेगा।

तीर्थयात्रियों पर असर
शिमला समझौता निलंबन का असर धार्मिक और सांस्कृतिक संबंधों पर भी पड़ेगा। 1974 के समझौते के तहत भारतीय सिख तीर्थयात्रियों को पाकिस्तान में विभिन्न स्थलों पर जाने की सुविधा थी। अब यह सुविधा प्रभावित होगी। करतारपुर कॉरिडोर समझौता भी खतरे में है। पाकिस्तान ने भारतीय सिख तीर्थयात्रियों को वीजा छूट की बात कही है। यह भारत की जनता को सांप्रदायिक आधार पर बांटने की कोशिश है।

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पाकिस्तान की अपनी हानि
पाकिस्तान ने भारतीय विमानों के लिए हवाई क्षेत्र बंद करने और भारतीयों को देश छोड़ने का आदेश दिया है। इससे पाकिस्तान की अपनी एयरलाइंस और पर्यटन उद्योग को नुकसान होगा। उड़ान अधिकारों से होने वाली आय भी रुकेगी। शिमला समझौता निलंबन से पाकिस्तान की अर्थव्यवस्था पर और बोझ पड़ेगा। भारत की निजी एयरलाइंस को भी कुछ नुकसान होगा, लेकिन पाकिस्तान का नुकसान कहीं अधिक होगा।

क्षेत्रीय स्थिरता पर खतरा
शिमला समझौता निलंबन से भारत-पाकिस्तान सीमा पर तनाव बढ़ेगा। LOC की वैधता खत्म होने से दोनों देश सैन्य कार्रवाई के लिए स्वतंत्र हैं। भारत की आक्रामक रणनीति से पाकिस्तान को भारी नुकसान हो सकता है। अंतरराष्ट्रीय कानून के बिना सीमा पर झड़पें बढ़ सकती हैं। इससे क्षेत्रीय शांति को गंभीर खतरा है। पाकिस्तान के इस कदम से अल्पकालिक राष्ट्रवादी उभार मिल सकता है, लेकिन दीर्घकाल में यह आर्थिक और कूटनीतिक नुकसान का कारण बनेगा।

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पाकिस्तान की गलती, भारत की मजबूती
शिमला समझौता निलंबन ने पाकिस्तान को कमजोर और भारत को मजबूत किया है। भारत अब LOC पार करने और कश्मीर पर सख्त नीतियां अपनाने के लिए स्वतंत्र है। पाकिस्तान की बौखलाहट ने उसे कूटनीतिक और आर्थिक रूप से कमजोर कर दिया है। वैश्विक समुदाय इस कदम को गैर-जिम्मेदाराना मान रहा है। शिमला समझौता निलंबन से क्षेत्रीय तनाव बढ़ेगा, लेकिन भारत की स्थिति पहले से कहीं अधिक मजबूत होगी।

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