Saturday, June 14, 2025
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शशि थरूर को बड़ी जिम्मेदारी दे सकती है मोदी सरकार!

गाहे-बगाहे सरकार के पक्ष में बोलकर कांग्रेस को असहज करते रहे हैं शशि थरूर

कांग्रेस पार्टी में बड़ा नाम है तिरुवनंतपुरम से सांसद व पूर्व केंद्रीय मंत्री शशि थरूर का

नेशनल डेस्क

नई दिल्ली। केरल के तिरुवनंतपुरम से कांग्रेस सांसद व पूर्व केंद्रीय मंत्री शशि थरूर भारतीय राजनीति, साहित्य और कूटनीति में अपनी अलग पहचान रखते हैं। वह अपनी वाकपटुता और अंतरराष्ट्रीय मंचों पर भारत का पक्ष रखने की क्षमता के लिए जाने जाते हैं। हाल ही में, भारत-पाकिस्तान तनाव और ऑपरेशन सिंदूर को लेकर उनके बयानों ने न केवल कांग्रेस पार्टी के भीतर हलचल मचाई, बल्कि भाजपा और केंद्र सरकार के साथ उनके संबंधों को भी चर्चा का विषय बना दिया।

इसके बीच, यह खबर सामने आई है कि केंद्र सरकार शशि थरूर को एक बड़ी जिम्मेदारी सौंपने की योजना बना रही है। लेकिन यह जिम्मेदारी क्या है, और यह कांग्रेस की लक्ष्मण रेखा की चेतावनी के बीच कैसे फिट बैठती है? आइए, इस कहानी को गहराई से समझते हैं।दरअसल, केंद्र सरकार ने आतंकवाद पर पाकिस्तान की सच्चाई से दुनिया भर को रूबरू करवाने की योजना बनाई है। इसके लिए वह शशि थरूर को अहम भूमिका देने की तैयारी में है।

सूत्रों के अनुसार, विदेश मामलों पर संसदीय पैनल के प्रमुख शशि थरूर को बहुदलीय प्रतिनिधिमंडल का नेतृत्व करने की जिम्मेदारी दी जा सकती है। इसके लिए सरकार ने थरूर से संपर्क भी किया है। थरूर भी चाहते हैं कि वे इस प्रतिनिधिमंडल का नेतृत्व करें और खासतौर पर अमेरिका में तो जरूर करें। वह विदेश मामलों की स्थायी कमेटी के अध्यक्ष हैं। हालांकि, उन्होंने सरकार से कहा है कि इसके लिए सरकार को पहले कांग्रेस पार्टी से संपर्क करके इसपर में सलाह लेनी होगी।

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जानकार बताते हैं कि इसमें कई प्रतिनिधिमंडल बनाए जाएंगे, जो विदेश का दौरा करके आतंकवाद पर दूसरे देशों के सामने पाकिस्तान की पोल खोलेंगे। हर एक प्रतिनिधिमंडल में पांच से छह सांसद हो सकते हैं। इसमें एक विदेश मंत्रालय का भी एक प्रतिनिधि और एक सरकारी अफसर होगा। सरकार ने सांसदों से बता भी दिया है कि वह यह देख लें कि उनके पास पासपोर्ट ओर विदेश की यात्रा करने के लिए जरूरी कागजात पहले से उपलब्ध हों। इस यात्रा का समन्वय विदेश मंत्रालय करने जा रहा है।

यह प्रतिनिधिमंडल 22 मई के आसपास विदेश रवाना हो सकता है और फिर अगले महीने तीन-चार जून तक वापस आएगा। सरकार ने इसमें विभिन्न दलों के सांसदों को भेजने जा रही है। कांग्रेस के मनीष तिवारी, शिवसेना की प्रियंका चतुर्वेदी, भाजपा के समिक भट्टाचार्य, बीजद के सस्मित पात्रा, शिवसेना के श्रीकांत शिंदे, एनसीपी-शरद पवार गुट की सुप्रिया सुले समेत कई अन्य सांसदों के नाम शामिल हैं।

ऑपरेशन सिंदूर और थरूर का रुख
22 अप्रैल 2025 को जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में हुए आतंकी हमले के जवाब में भारतीय सेना ने ऑपरेशन सिंदूर शुरू किया। इस ऑपरेशन में भारतीय वायुसेना ने पाकिस्तान और पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर (पीओके) में नौ आतंकी ठिकानों पर सटीक हमले किए। इस सैन्य कार्रवाई ने भारत-पाकिस्तान के बीच तनाव को बढ़ा दिया, और अंतरराष्ट्रीय मंचों पर इसकी व्यापक चर्चा हुई। शशि थरूर ने इस ऑपरेशन की सराहना करते हुए केंद्र सरकार के कदम को सटीक और सोचा-समझा बताया।

शशि थरूर ने ऑपरेशन सिंदूर पर रखा भारत का पक्ष
शशि थरूर ने ऑपरेशन सिंदूर पर रखा भारत का पक्ष

आपरेशन सिंदूर पर अंतरराष्ट्रीय मीडिया में मजबूती से रखा भारत का पक्ष
उन्होंने अंतरराष्ट्रीय मीडिया को दिए साक्षात्कारों में भारत का पक्ष मजबूती से रखा और कहा कि यह ऑपरेशन आतंकवाद के खिलाफ भारत की दृढ़ प्रतिबद्धता को दर्शाता है। थरूर ने यह भी स्पष्ट किया कि भारत अपनी संप्रभुता पर किसी भी तरह का समझौता नहीं करेगा और तीसरे पक्ष की मध्यस्थता (जैसे कि अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प की कथित मध्यस्थता) को स्वीकार नहीं करेगा। उनके इन बयानों की भाजपा ने भी तारीफ की। वरिष्ठ पार्टी नेता मालवीया ने एक्स पर लिखा, ‘यह विडंबना है कि शशि थरूर शायद एकमात्र कांग्रेस नेता हैं, जिन्होंने इस स्थिति में भारत के साथ खड़े होकर समझदारी दिखाई।’

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थरूर के बयानों से कांग्रेस में असंतोष
थरूर के बयानों ने जहां भाजपा की प्रशंसा बटोरी, वहीं उनकी अपनी पार्टी कांग्रेस में असंतोष की लहर दौड़ गई। 14 मई 2025 को कांग्रेस कार्य समिति (सीडब्ल्यूसी) की एक बैठक में राहुल गांधी, प्रियंका गांधी वाड्रा, केसी वेणुगोपाल, जयराम रमेश और सचिन पायलट सहित वरिष्ठ नेताओं ने हिस्सा लिया। इस बैठक में थरूर के बयानों पर चर्चा हुई और कुछ नेताओं ने आरोप लगाया कि उन्होंने पार्टी लाइन से हटकर लक्ष्मण रेखा पार कर ली है। जयराम रमेश ने एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में स्पष्ट किया, ‘जब थरूर साहब बोलते हैं, तो यह उनकी व्यक्तिगत राय होती है, न कि पार्टी का आधिकारिक रुख।’

कांग्रेस का कहना था कि ऑपरेशन सिंदूर की सफलता की सराहना करते हुए भी, पार्टी केंद्र सरकार के उस फैसले पर सवाल उठा रही थी, जिसमें ट्रम्प की मध्यस्थता की बात सामने आई थी। कांग्रेस ने इसे भारत की संप्रभुता पर सवाल उठाने वाला कदम बताया। पार्टी सूत्रों के अनुसार, सीडब्ल्यूसी की बैठक में नेतृत्व ने यह स्पष्ट संदेश दिया कि यह व्यक्तिगत राय व्यक्त करने का समय नहीं है, बल्कि पार्टी के आधिकारिक रुख को बढ़ावा देने का है। थरूर ने इस बैठक में रचनात्मक सुझाव दिए, लेकिन वह बीच में ही अपनी संसदीय सीट तिरुवनंतपुरम के लिए उड़ान पकड़ने के लिए निकल गए।

थरूर का जवाब : मैंने एक भारतीय के रूप में बोला
15 मई, 2025 को तिरुवनंतपुरम में पत्रकारों से बात करते हुए थरूर ने अपनी स्थिति स्पष्ट की। उन्होंने कहा, ‘मैं न तो पार्टी का प्रवक्ता हूं और न ही सरकार का। मैंने जो कुछ भी कहा, वह एक भारतीय और गौरवान्वित नागरिक के रूप में कहा। इस समय, जब देश संकट में था, मेरा कर्तव्य था कि मैं अंतरराष्ट्रीय मंचों पर भारत का पक्ष रखूं।’ थरूर ने यह भी कहा कि उन्होंने हमेशा स्पष्ट किया कि उनके विचार व्यक्तिगत हैं। ‘मुझे कोई आधिकारिक संदेश पार्टी से नहीं मिला है; मैं केवल मीडिया रिपोर्ट्स देख रहा हूं। लोग मेरे विचारों को स्वीकार या अस्वीकार करने के लिए स्वतंत्र हैं।’

उन्होंने जोर देकर कहा कि भारत-पाकिस्तान तनाव के दौरान, खासकर यूरोप, मध्य पूर्व और अमेरिका में भारतीय दृष्टिकोण को सुनने की कमी थी। इसलिए, जब अंतरराष्ट्रीय मीडिया ने उनसे संपर्क किया, तो उन्होंने इसे एक अवसर के रूप में देखा।

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के साथ शशि थरूर
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के साथ शशि थरूर

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सरकार की नई जिम्मेदारी
इन विवादों के बीच, यह खबर सामने आई कि केंद्र सरकार शशि थरूर को एक महत्वपूर्ण जिम्मेदारी देने की योजना बना रही है। सूत्रों का कहना है कि सरकार थरूर की अंतरराष्ट्रीय छवि का उपयोग किसी विशेष कूटनीतिक पहल के लिए करना चाहती है। पहले भी, थरूर ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के साथ मंच साझा किया था, जैसे कि मई 2025 में केरल के अप्रीपदरंउ पोर्ट के उद्घाटन के दौरान। इस अवसर पर मोदी ने थरूर की उपस्थिति का उल्लेख करते हुए कहा था, ‘आज का आयोजन कई लोगों की नींद उड़ा देगा।’

थरूर और सरकार : एक जटिल रिश्ता
शशि थरूर का केंद्र सरकार के साथ रिश्ता हमेशा से जटिल रहा है। एक ओर, वह कांग्रेस के वरिष्ठ नेता हैं, जो अक्सर सरकार की नीतियों की आलोचना करते हैं। दूसरी ओर, वह उन कुछ विपक्षी नेताओं में से हैं, जो राष्ट्रीय हित के मुद्दों पर सरकार का समर्थन करने से नहीं हिचकते। उदाहरण के लिए, थरूर ने रूस-यूक्रेन युद्ध के दौरान भारत की तटस्थ विदेश नीति की सराहना की थी और कोविड वैक्सीन कूटनीति को भी सराहा था।

हाल ही में, शशि थरूर ने विदेश सचिव विक्रम मिश्री पर हुए ऑनलाइन हमलों का विरोध करते हुए कहा, ‘ऐसे समय में हमें अपने कूटनीतिज्ञों का समर्थन करना चाहिए।’ इसके बावजूद, कांग्रेस के भीतर थरूर की स्वतंत्र राय ने कई बार विवाद को जन्म दिया है। फरवरी 2025 में, जब उन्होंने केरल की वामपंथी सरकार और मोदी सरकार की औद्योगिक नीतियों की तारीफ की थी, तो पार्टी ने इसे गंभीरता से लिया था।

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प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के साथ शशि थरूर

भविष्य की संभावनाएं
शशि थरूर को दी जाने वाली यह नई जिम्मेदारी कई सवाल उठाती है। क्या यह सरकार की ओर से विपक्ष को शामिल करने की एक रणनीति है? या फिर यह थरूर की व्यक्तिगत क्षमता और अंतरराष्ट्रीय स्वीकार्यता का सम्मान है? कांग्रेस के लिए यह स्थिति चुनौतीपूर्ण हो सकती है, क्योंकि थरूर का सरकार के साथ नजदीकी रुख पार्टी के भीतर और असहजता पैदा कर सकता है। वहीं, थरूर के लिए यह एक अवसर हो सकता है, जिससे वह अपनी कूटनीतिक और बौद्धिक क्षमताओं को और अधिक रचनात्मक रूप से उपयोग कर सकें। उनकी यह छवि कि वह “राष्ट्रीय हित“ को पार्टी लाइन से ऊपर रखते हैं, उन्हें एक अद्वितीय स्थान देती है।

एक अनूठा अध्याय है शशि थरूर की कहानी
शशि थरूर की कहानी भारतीय राजनीति में एक अनूठा अध्याय है। एक ओर, वह कांग्रेस के भीतर लक्ष्मण रेखा की चेतावनियों का सामना कर रहे हैं, और दूसरी ओर, केंद्र सरकार उन्हें एक बड़ी जिम्मेदारी देने की तैयारी में है। यह विरोधाभास थरूर की जटिल राजनीतिक यात्रा को दर्शाता है, जहां वह व्यक्तिगत विश्वास और पार्टी निष्ठा के बीच संतुलन बनाने की कोशिश कर रहे हैं। आने वाले दिन यह स्पष्ट करेंगे कि यह नई जिम्मेदारी क्या है और यह थरूर के करियर को कैसे प्रभावित करती है। लेकिन एक बात निश्चित है शशि थरूर, अपनी वाकपटुता और साहस के साथ, भारतीय राजनीति में चर्चा का केंद्र बने रहेंगे।

दुनिया को पाकिस्तान की कारस्तानी बताएगा सात भारतीय प्रतिनिधिमंडल
शशि थरूर विदेश जाने वाले प्रतिनिधिमंडल में प्रमुख रूप से शामिल होंगे।सोशल मीडिया पर एक पोस्ट में केंद्रीय मंत्री किरण रिजिजू ने ट्वीट किया, ‘महत्वपूर्ण क्षणों में भारत एकजुट है। सात सर्वदलीय प्रतिनिधिमंडल जल्द ही प्रमुख साझेदार देशों का दौरा करेंगे, जो आतंकवाद के प्रति शून्य सहिष्णुता के हमारे साझा संदेश को लेकर जाएंगे। राजनीति और मतभेदों से परे राष्ट्रीय एकता का यह एक शक्तिशाली प्रतिबिंब है।’ यह सर्वदलीय प्रतिनिधिमंडल अमेरिका, यूके, यूएई, दक्षिण अफ्रीका, जापान और संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद के अन्य सदस्य देशों का दौरा कर सकता है। विदेश यात्रा के दौरान प्रतिनिधिमंडल यह बताने का प्रयास करेगा कि भारत किस तरह से आतंकवाद का मुकाबला कर रहा है।

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