Saturday, June 14, 2025
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महिलाओं ने दी अपने बलात्कारी को सजा, जिंदा जलाया

बलात्कारी को सजा देकर कहा-अब हो गया ’न्याय’! हवसी को दर्दनाक मौत

यज्ञ प्रश्न-यह ‘न्याय’ है या ‘हिंसा’? घटना के बाद ओडिशा के गजपति जिले में हड़कंप

राज्य डेस्क

भुवनेश्वर। ओडिशा के गजपति जिले से दिल दहला देने वाली खबर सामने आई है, जहां बलात्कार पीड़ित महिलाओं ने खुद ही अपने बलात्कारी को सजा दे डाली। वह भी इतने दर्दनाक तरीके से कि पूरा इलाका सन्न रह गया। लंबे समय से गांव की महिलाओं का यौन शोषण करने वाले 60 वर्षीय एक व्यक्ति की हत्या कर महिलाओं ने उसे आग के हवाले कर दिया।

पुलिस ने इस मामले में अब तक दस लोगों को गिरफ्तार किया है, जिनमें आठ महिलाएं शामिल हैं। यह घटना न सिर्फ कानून व्यवस्था पर सवाल खड़े करती है, बल्कि यह भी दर्शाती है कि जब न्याय समय पर नहीं मिलता, तब पीड़ित स्वयं न्याय की राह चुन लेते हैं, चाहे वह कितनी ही हिंसक क्यों न हो।

जंगल में मिला जला हुआ शव
गांव के एक वार्ड सदस्य समेत दस आरोपियों को गिरफ्तार किया गया है। पुलिस को इस घटना का पता तब चला जब मृतक के परिवार वालों ने गुमशुदगी की रिपोर्ट दर्ज कराई। जांच में सामने आया कि तीन जून की रात व्यक्ति ने गांव की एक 52 वर्षीय विधवा के साथ बलात्कार किया। इसके बाद उस विधवा सहित अन्य पीड़ित महिलाओं ने एक गुप्त बैठक की और उसी रात उसे सबक सिखाने की योजना बना डाली।

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घर में सो रहे बलात्कारी को सजा देने पहुंचीं महिलाएं
महिलाओं ने बलात्कारी को सजा देने के लिए उसी के घर को निशाना बनाया। जब वह गहरी नींद में था, तब 52 वर्षीय विधवा ने अन्य महिलाओं के साथ मिलकर उसकी हत्या कर दी। इसके बाद शव को गांव से करीब दो किलोमीटर दूर एक जंगल के पास ले जाकर जला दिया गया। मोहन थाना प्रभारी बसंत सेठी के मुताबिक, पुलिस को घटनास्थल से जली हुई अस्थियां और राख बरामद हुई हैं। जांच के दौरान गिरफ्तार महिलाओं में से छह ने स्वीकार किया कि वे पहले खुद इस व्यक्ति की शिकार रह चुकी थीं।

कोई पुलिस शिकायत नहीं, न कोई चेतावनी
गजपति के पुलिस अधीक्षक जतिंद्र कुमार ने बताया कि इन महिलाओं ने कभी पुलिस में शिकायत नहीं की थी। उन्होंने कहा, ‘उन महिलाओं ने न कभी कानून से मदद मांगी और न ही घटना की कोई सूचना पहले दी।’ यह चौंकाने वाला है कि इतने सालों तक गांव में एक व्यक्ति महिलाओं का यौन शोषण करता रहा और पीड़ित महिलाएं चुप रहीं। शायद उन्हें कानून से कोई उम्मीद नहीं थी, या शायद सामाजिक दबाव ने उन्हें चुप करा दिया।

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ओडिशा में बलात्कारी को सजा देते हुए महिलाओं ने की हत्या
जंगल में घटना स्थल से अवशेष एकत्रित कर साक्ष्य संकलित करता पुलिस बल।

बलात्कारी को सजा या कानून की हत्या?
यह सवाल अब समाज और कानून दोनों के सामने है। क्या महिलाओं ने सही किया? क्या यह वास्तव में बलात्कारी को सजा देने का तरीका था? या यह कानून के दायरे से बाहर जाकर की गई हत्या और सबूत मिटाने की आपराधिक घटना है? कुछ सामाजिक कार्यकर्ताओं का मानना है कि यह घटना दिखाती है कि न्याय व्यवस्था में विश्वास की कमी अब पीड़ितों को खुद सजा देने के लिए मजबूर कर रही है। दूसरी ओर, कुछ का कहना है कि कानून को हाथ में लेना किसी भी हालत में सही नहीं ठहराया जा सकता।

पीड़िता की चुप्पी, प्रशासन की निष्क्रियता
गांव की 52 वर्षीय विधवा, जिसने बलात्कारी को सजा देने का बीड़ा उठाया, उसकी चुप्पी भी उतनी ही चिंताजनक है। उसका कहना है कि कई बार वह शिकायत करना चाहती थी, लेकिन पुलिस से मदद मिलने की कोई उम्मीद नहीं थी। यह प्रशासनिक तंत्र पर सीधा हमला है, जहां महिलाएं अगर खुद ही न्याय करने पर उतर आएं, तो समझ लेना चाहिए कि कानून की पहुंच वहां तक नहीं पहुंच पा रही है।

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समाज के भरोसे की भी राख?
पुलिस ने पहाड़ी क्षेत्र से जो जली हुई हड्डियां और राख बरामद की हैं, वे न सिर्फ एक व्यक्ति की मौत का संकेत देती हैं, बल्कि एक ऐसे सामाजिक ताने-बाने के भी जलने का प्रतीक हैं, जहां महिलाएं खुद अपने बलात्कारी को सजा देने के लिए तैयार हो जाती हैं। यह घटना बताती है कि जब न्याय में देरी होती है, तो इंसाफ का रास्ता अक्सर हिंसा में बदल जाता है। और तब कानून, संविधान और व्यवस्था सब केवल कागज़ी साबित होते हैं।

क्या यह उदाहरण दोहराया जाएगा?
गजपति जिले की इस घटना ने पूरे देश को झकझोर कर रख दिया है। जहां एक ओर बलात्कारी को सजा मिलने की मांग हमेशा होती रही है, वहीं दूसरी ओर इस तरह की खुद से सज़ा देने वाली घटनाएं अगर बढ़ती हैं, तो यह राज्य की कानून व्यवस्था के लिए गंभीर चेतावनी है। अब देखने वाली बात यह होगी कि क्या पुलिस इस मामले में महिलाओं पर सख्त कार्रवाई करती है, या फिर बलात्कारी को सजा देने के तरीके को एक ’संदेश’ के तौर पर देखा जाएगा।

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