Wednesday, July 16, 2025
Homeसाहित्य एवं संस्कृतिप्यार सच्चा तो ऊपर बैजू बावरा

प्यार सच्चा तो ऊपर बैजू बावरा

देव प्रकाश चौधरी

छोटे से शहर में अक्सर प्यार की उम्र भी छोटी रह जाती है। जितनी गलियां, उतनी निगाहें। जगह-जगह झुंडों में अखबार पढ़ते लोग सुबह के अभिभावक और जिनको मंदिर और मस्जिद से लगाव है, वे शाम के पहरेदार। मध्य प्रदेश के चंदेरी में हायर सैकेंडरी स्कूल में 10वीं कक्षा में पढ़ने वाले जफर को भी लगता था कि उसका मासूम प्यार कहीं जमाने की नजर में चढ़कर टूट न जाए। निगाहें बचाकर वह भी बैजू बावरा के स्मारक के पास पहुंचा। वहां लगे कैकटस की पत्तियों पर अपना और अपनी प्रेमिका का नाम लिखकर आ गया। भरोसा है, बैजू बावरा उसके प्यार की रक्षा करेंगे, “लेकिन अर्जी तो देनी पड़ती है, उसके बिना बैजू वावरा भी कुछ नहीं कर सकते।” चंदेरी में बैजू वावरा के दरवार में प्रेम की अर्जी लगाने वाला जफर अकेला नहीं है। इलाके भर के प्रेमी-प्रेमिकाओं की आशंकाएं यहां आकर आत्मविश्वास में ढल रही हैं।
16 वीं शताब्दी के महान गायक पंडित बैजनाथ का जन्म चंदेरी में सन् 1542 में हुआ था। जब बैजू युवा हुए तो नगर की कलावती नामक युवती से उनका प्रेम प्रसंग हुआ। कलावती बैजू की प्रेयसी के साथ-साथ प्रेरणास्रोत भी रही। संगीत और गायन के साथ-साथ बैजू अपनी प्रेयसी के प्यार में पागल थे और लोग उन्हें बैजू बावरा कहने लगे। कहते हैं, उन्होंने अंतिम सांस चंदेरी में ही ली। उनकी याद में चंदेरी में एक स्मारक भी बनाया गया है। उसी स्मारक के इलाके में कैकटस के पौधे हैं। उन्हीं पौधे की पत्तियों पर लिखे जा रहे हैं प्रेमी-प्रेमिकाओं के नाम। लटकते होंगे, यूरोप में पुलों पर मोहब्बत के ताले और बहती होंगी नदियों में चाबियां! जापान के लोग अपने प्यार की सलामती के लिए देते होंगे पक्षियों को दाना! इस देश के भी हजारों प्रेमियों ने अपने प्यार की खातिर बांधी होगी ताबीजें, गुदवाया होगा गोदना, चढ़ाई होगी चादरें, रखा होगा उपवास, लेकिन प्रेम की यह अर्जी सबसे अलग है, और अपने आप में बेमिसाल। कहा जाता रहा है कि बैजू राग दीपक गाकर तेल के दीप जला सकते थे, राग मेघ, मेघ मल्हार, या गौड़ मल्हार गाकर वर्षा करा सकते थे, राग बहार गाकर फूल खिला सकते थे और यहां तक कि राग मालकौंस गाकर पत्थर भी पिघला सकते थे। अब उन्हीं बैजू के दरवार में अपना-अपना नाम दर्ज कराने वाले प्रेमी-प्रेमिकाओं को उम्मीद है कि एक न एक दिन माता-पिता का दिल पिघलेगा। वे हामी भरेंगे। शहनाई बजेगी।
‘शहनाई बजी भी है,’ यहां के स्थानीय पत्रकार और समाज सेवी विवेक कांत भार्गव मानते हैं कि बहुत पुराने इस शहर की यह परंपरा बहुत पुरानी तो नहीं-‘यहां के लोगों का बैजू बावरा के प्रति राग ही इतना गहरा है कि कैकटस के पत्तियों पर किसी एक प्रेमी जोड़े ने कभी नाम लिखा होगा, अब प्रेमी-प्रेमिकाओं के लिए यह पूजा है। सवाल उठाने वाले सवाल उठाते हैं, लेकिन धार्मिक विश्वास की आप वैज्ञानिक व्याख्या नहीं कर सकते।’ कुछ इसी तरह की बातें पत्रकार नीरज वर्धमान भी बताते हैं-‘हम सिर झुकाते हैं और पत्थर को देवता बना देते हैं। फिर ये तो जीवित पत्तियां हैं।’ फूल खिले, दिल मिले, शहनाइयां बजीं और बैजू बावरा देखते-देखते हो गए प्यार के नए संत। चंदेरी के गाइड और इतिहास के गहरे जानकार मुजफ्फर अंसारी कहते हैं, ‘प्यार में बड़ी ताकत है साहब! युवाओं के भरोसे से एक नई पहचान बन रही है चंदेरी की।’ लेकिन कैकटस ही क्यों, फूल क्यों नहीं, उस इलाके में फूल भी तो हो सकते थे? इस सवाल का जवाब, बैजू बावरा के स्मारक पर हर साल उनकी याद में कार्यक्रम करने वाले युवा समाजसेवी चंद्र प्रकाश तिवारी कहते हैं- “कांटों पर भरोसा तो प्रेमी युगल ही कर सकते हैं।” चंदेरी में ज्यादतर पत्थर के घर हैं। पत्थर की गलियां हैं। करघे की आवाज है। साडियों का इंद्रधनुषी रंग है। कुछ पर्यटकों की निगाहें हैं। छोटा सा बाजार है। बहस कभी लंबीं नहीं चलती यहां। मंदिर जाते हैं लोग। मस्जिद भी गुलजार रहती है। शहर छोटा है। सोच छोटी नहीं। फिर भी प्यार पर एक किस्म की हिदायत तो मिलती ही रहती है। कभी कड़वी तो कभी मीठी डांट, लेकिन प्यार सच्चा है तो ऊपर बैजू बावरा हैं न?

हमारी अन्य खबरों को पढ़ने के लिए www.hindustandailynews.com पर क्लिक करें।

आवश्यकता है संवाददाताओं की

तेजी से उभरते न्यूज पोर्टल www.hindustandailynews.com को गोण्डा जिले के सभी विकास खण्डों व समाचार की दृष्टि से महत्वपूर्ण स्थानों तथा देवीपाटन, अयोध्या, बस्ती तथा लखनऊ मण्डलों के अन्तर्गत आने वाले जनपद मुख्यालयों पर युवा व उत्साही संवाददाताओं की आवश्यकता है। मोबाइल अथवा कम्प्यूटर पर हिन्दी टाइपिंग का ज्ञान होना आवश्यक है। इच्छुक युवक युवतियां अपना बायोडाटा निम्न पते पर भेजें : jsdwivedi68@gmail.com
जानकी शरण द्विवेदी
सम्पादक
मोबाइल – 9452137310

कलमकारों से ..

तेजी से उभरते न्यूज पोर्टल www.hindustandailynews.com पर प्रकाशन के इच्छुक कविता, कहानियां, महिला जगत, युवा कोना, सम सामयिक विषयों, राजनीति, धर्म-कर्म, साहित्य एवं संस्कृति, मनोरंजन, स्वास्थ्य, विज्ञान एवं तकनीक इत्यादि विषयों पर लेखन करने वाले महानुभाव अपनी मौलिक रचनाएं एक पासपोर्ट आकार के छाया चित्र के साथ मंगल फाण्ट में टाइप करके हमें प्रकाशनार्थ प्रेषित कर सकते हैं। हम उन्हें स्थान देने का पूरा प्रयास करेंगे :
जानकी शरण द्विवेदी
सम्पादक
E-Mail : jsdwivedi68@gmail.com

RELATED ARTICLES

Most Popular