पम्बन ब्रिज : भारत का पहला वर्टिकल लिफ्ट सी ब्रिज
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने किया राम नवमी पर किया पम्बन ब्रिज का उद्घाटन
नए पम्बन ब्रिज का महत्व और भविष्य, रामेश्वरम के लिए बेहतर रेल कनेक्टिविटी
जानकी शरण द्विवेदी
चैत्र रामनवमी के शुभ अवसर पर, रविवार, 6 अप्रैल 2025 को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने तमिलनाडु के रामेश्वरम में नए पम्बन ब्रिज का उद्घाटन किया। इस समारोह के दौरान पीएम मोदी ने सड़क पुल से एक ट्रेन और एक जहाज को हरी झंडी दिखाकर इसके संचालन की शुरुआत की। उन्होंने ब्रिज के संचालन को देखा और इसके बारे में विस्तृत जानकारी भी ली। यह पम्बन ब्रिज भारत की उत्कृष्ट इंजीनियरिंग का एक शानदार उदाहरण है, जो रामेश्वरम के पम्बन द्वीप को तमिलनाडु के मुख्य भूमि मंडपम से जोड़ता है।
इस ब्रिज की आधारशिला पीएम मोदी ने साल 2019 में रखी थी। इसे डबल ट्रैक और हाई-स्पीड ट्रेनों के लिए डिजाइन किया गया है। मूल रूप से इसे 2022 में पूरा करना था, लेकिन कोविड-19 महामारी के कारण निर्माण में देरी हुई और यह 2025 में तैयार हुआ। उद्घाटन के बाद प्रधानमंत्री रामेश्वरम के प्रसिद्ध रामनाथस्वामी मंदिर गए और वहां रामनवमी के पावन अवसर पर पूजा-अर्चना की। रामायण के अनुसार, भगवान राम ने लंका में रावण का वध करने के लिए रामेश्वरम के पास धनुषकोडी से राम सेतु का निर्माण शुरू किया था। उल्लेखनीय है कि पीएम मोदी श्रीलंका से लौटकर सीधे तमिलनाडु पहुंचे थे, जहां उन्होंने राज्य में 8,300 करोड़ रुपये से अधिक की रेल और सड़क परियोजनाओं का शिलान्यास और उद्घाटन भी किया।

नए पम्बन ब्रिज की विशेषताएं
नया पम्बन ब्रिज भारत का पहला वर्टिकल लिफ्ट सी ब्रिज है, जिसकी ऊंचाई 3 मीटर है और समुद्र तल से इसकी नेविगेशनल एयर क्लीयरेंस 22 मीटर है। यह ब्रिज 2.08 किलोमीटर (2,070 मीटर या 6,790 फीट) लंबा है और इसे सरकारी कंपनी रेल विकास निगम लिमिटेड (त्टछस्) ने 535 करोड़ रुपये की लागत से बनाया है। इसमें समुद्र के ऊपर 100 स्पैन हैं, जिनमें 99 स्पैन 18.30 मीटर के हैं और एक मुख्य लिफ्ट स्पैन 72.5 मीटर का है। यह लिफ्ट स्पैन समुद्री जहाजों के गुजरने के लिए ऊपर उठता है, जो 16 मीटर चौड़ा और 550 टन वजनी है। रेलवे ब्रिज के रूप में यह बांद्रा-वर्ली सी लिंक के बाद भारत का दूसरा सबसे लंबा ब्रिज है। दक्षिण रेलवे ने इसे अगले 58 वर्षों तक सुरक्षित बताया है। पुराने ब्रिज की तुलना में इसकी ऊंचाई बढ़ाई गई है, जिससे बड़े जहाज इसके नीचे से आसानी से गुजर सकें। पुराना ब्रिज 19 मीटर तक खुलता था, जबकि नया ब्रिज 22 मीटर तक खुलता है। इसके अलावा, इस पर डबल रेलवे ट्रैक बिछाया गया है और इसे विद्युतीकृत भी किया गया है।

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नए पम्बन ब्रिज पर ट्रेन की गति 75 किलोमीटर प्रति घंटा तक हो सकती है, जो पहले के 10 किलोमीटर प्रति घंटा की तुलना में काफी अधिक है। हालांकि, लिफ्ट स्पैन वाले हिस्से पर ट्रेन की अधिकतम गति 50 किलोमीटर प्रति घंटा तक सीमित रखी गई है। यह वर्टिकल लिफ्ट स्पैन भारत में पहला और दुनिया में दूसरा है। इस स्टील ब्रिज को अंतरराष्ट्रीय कंसल्टेंट श्रस्ब् ने डिजाइन किया है, जो यूरोपीय और भारतीय मानकों के अनुसार तैयार किया गया है। मजबूती और टिकाऊपन के लिए इसमें स्टेनलेस स्टील का उपयोग हुआ है, और जंग व समुद्री पानी से बचाव के लिए पॉलीसिलोक्सेन कोटिंग की गई है। पुराने ब्रिज में जंग की समस्या के कारण इसे 2022 में बंद करना पड़ा था, जिससे रामेश्वरम और मंडपम के बीच रेल संपर्क टूट गया था।
हालांकि, रेलवे ब्रिज के समानांतर एक सड़क पुल मौजूद है, जिससे मंडपम और रामेश्वरम का सड़क संपर्क बना रहा। उद्घाटन से पहले दक्षिण रेलवे ने नए पम्बन ब्रिज का कई चरणों में परीक्षण किया। पहला ट्रायल 12 जुलाई 2024 को हल्के इंजन के साथ किया गया। सुरक्षा की पुष्टि के बाद 4 अगस्त 2024 को टावर कार ट्रायल रन हुआ, जिसमें रामेश्वरम स्टेशन तक ओवरहेड उपकरण टावर कार चलाई गई। अंतिम ट्रायल 31 जनवरी 2025 को हुआ, जिसमें रामेश्वरम एक्सप्रेस ट्रेन को ब्रिज पर दौड़ाया गया। यह ट्रायल पूरी तरह सफल रहा, और ट्रेन मंडपम से रामेश्वरम स्टेशन तक गई। इस दौरान इंडियन कोस्ट गार्ड की पेट्रोलिंग बोट के लिए लिफ्ट स्पैन को पहली बार ऊपर उठाया गया।

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ब्रिज का कार्य सिद्धांत
जब समुद्री जहाज को नए पम्बन ब्रिज के नीचे से गुजरना होगा, तो इसका नेविगेशनल लिफ्ट स्पैन ऊपर उठेगा। इसके बाद जहाज या क्रूज नीचे से निकल सकेंगे। इस लिफ्ट स्पैन को ऊपर उठने में 5 मिनट लगते हैं। यह इलेक्ट्रो-मैकेनिकल सिस्टम से संचालित होता है और 5 मिनट में 22 मीटर तक ऊपर उठ सकता है। इसे संचालित करने के लिए केवल एक व्यक्ति की जरूरत होती है, जो बटन दबाकर इसे स्वचालित रूप से ऊपर उठाता है। पुराना पम्बन ब्रिज एक कैंटिलीवर ब्रिज था, जिसे लीवर से खोला जाता था और इसके लिए 14 लोग मिलकर लीवर घुमाते थे। नए ब्रिज की खासियत यह है कि यह समुद्री हलचल और चक्रवातों को भी ध्यान में रखता है। अगर समुद्री हवा की गति 58 किलोमीटर प्रति घंटा से अधिक हो जाती है, तो वर्टिकल लिफ्ट सिस्टम काम नहीं करेगा और ऑटोमैटिक रेड सिग्नल सक्रिय हो जाएगा। हवा की गति सामान्य होने तक ट्रेनों की आवाजाही बंद रहेगी। यह सिस्टम तूफान और चक्रवात जैसी आपदाओं में सुरक्षा के लिए बनाया गया है।
पुराने पम्बन ब्रिज का इतिहास
पम्बन का पुराना रेलवे ब्रिज अंग्रेजों ने 111 साल पहले बनवाया था। रेलवे बोर्ड के सूचना एवं प्रकाशन निदेशक दिलीप कुमार के अनुसार, इसे 24 फरवरी 1914 को शुरू किया गया था। 1850 में ब्रिटिश शासन ने भारत और श्रीलंका को जोड़ने के लिए पाल्क स्ट्रेट में नहर बनाने की योजना बनाई थी, लेकिन भौगोलिक और आर्थिक कारणों से यह संभव नहीं हुआ। इसके बाद अंग्रेजों ने मंडपम और पम्बन द्वीप के बीच रेलवे लाइन बिछाने का फैसला किया। फिर धनुषकोडी से श्रीलंका के कोलंबो तक नाव से जोड़ने की योजना बनी।

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1870 में पम्बन ब्रिज का प्लान तैयार हुआ, लेकिन विभिन्न कारणों से काम 1911 में शुरू हुआ। तीन साल बाद 143 खंभों पर 2.2 किलोमीटर लंबा ब्रिज बनकर तैयार हुआ और 24 फरवरी 1914 को रेल सेवा शुरू हुई। उस समय इसकी लागत 20 लाख रुपये थी। इसका डिजाइन जर्मन इंजीनियर शेरजर ने तैयार किया था, इसलिए इसे ‘कैंटिलीवर शेरजर रोलिंग लिफ्ट ब्रिज’ भी कहा जाता था। इसे समुद्री पानी और तेज हवाओं से बचाने के लिए खास लोहे से बनाया गया था। यह लंदन के टेम्स नदी पर बने टावर ब्रिज की तर्ज पर तैयार हुआ था। पुराना ब्रिज बेहद मजबूत था और 1964 के चक्रवात को भी झेल गया, हालांकि इसे काफी नुकसान पहुंचा था। 23 दिसंबर 1964 को 240 किलोमीटर प्रति घंटा की रफ्तार से आए चक्रवात ने धनुषकोडी को तबाह कर दिया था। उस रात 653 पम्बन-धनुषकोडी पैसेंजर ट्रेन समुद्र में बह गई, जिसमें करीब 150 लोगों की मौत हुई थी। मरम्मत की जिम्मेदारी इंजीनियर ई. श्रीधरन को दी गई, जिन्होंने 46 दिनों में इसे फिर से शुरू कर दिया। 1988 तक यह मंडपम और रामेश्वरम को जोड़ने का एकमात्र साधन था, जब तक सड़क पुल नहीं बना।
नया पम्बन ब्रिज आधुनिक तकनीक और इंजीनियरिंग का प्रतीक है, जो रामेश्वरम को बेहतर कनेक्टिविटी और सुरक्षा प्रदान करेगा। यह न केवल रेल यात्रा को तेज और सुविधाजनक बनाएगा, बल्कि समुद्री व्यापार को भी बढ़ावा देगा। इसके साथ ही, यह भारत की सांस्कृतिक और ऐतिहासिक धरोहर को आधुनिकता से जोड़ने का एक शानदार प्रयास है।

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