पहलगाम आतंकी हमला का जिक्र न होने पर SCO दस्तावेज पर साइन करने से किया इनकार
पाकिस्तान पर लगाया सीधा आरोप, कहा-आतंक पर दोहरा रवैया नहीं चलेगा
इंटरनेशनल डेस्क
बीजिंग। पहलगाम आतंकी हमला को SCO सम्मेलन के साझा दस्तावेज में स्थान न मिलने से असंतुष्ट भारत ने कड़ा रुख अपनाते हुए रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने दस्तावेज पर हस्ताक्षर करने से इनकार कर दिया। यह कदम न सिर्फ SCO जैसी बहुपक्षीय संस्था में भारत की स्पष्ट आतंक-नीति को दर्शाता है, बल्कि पाकिस्तान और उसके समर्थकों को स्पष्ट संदेश भी देता है कि भारत अब किसी प्रकार की चूक या अनदेखी को स्वीकार नहीं करेगा।
रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने चीन के किंगदाओ में आयोजित शंघाई सहयोग संगठन (SCO) के रक्षा मंत्रियों की बैठक में आतंकवाद पर भारत का पक्ष मजबूती से रखा। उन्होंने स्पष्ट शब्दों में कहा कि आतंकवाद और शांति साथ नहीं चल सकते और उन देशों की आलोचना की जो सीमा पार आतंकवाद को नीति का हिस्सा बनाए हुए हैं।
दस्तावेज में बलूचिस्तान का उल्लेख, लेकिन पहलगाम गायब!
सम्मेलन में पेश किए गए साझा बयान के मसौदे में जहां बलूचिस्तान का उल्लेख था, वहीं 22 अप्रैल को जम्मू-कश्मीर के पहलगाम आतंकी हमला, जिसमें 26 सैलानी मारे गए थे, का कोई जिक्र नहीं था। इस ‘चूक’ को भारत ने बेहद गंभीरता से लिया। राजनाथ सिंह ने दस्तावेज पर हस्ताक्षर से इनकार करते हुए कहा कि यदि आतंकवाद की घटनाओं को समान रूप से गंभीरता से नहीं लिया जाएगा, तो ऐसे सम्मेलनों की विश्वसनीयता और उद्देश्य पर प्रश्नचिह्न खड़ा होगा।
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पाकिस्तान को ठहराया जिम्मेदार, लश्कर की साजिश दोहराई
अपने संबोधन में राजनाथ सिंह ने कहा कि कुछ देश सीमा पार आतंकवाद को एक नीति के रूप में इस्तेमाल कर रहे हैं। उन्होंने नाम लिए बिना पाकिस्तान पर सीधा हमला किया और कहा कि लश्कर-ए-तैयबा जैसे आतंकी संगठनों की करतूतें भारत को अस्वीकार्य हैं।
उन्होंने यह भी दोहराया कि पहलगाम आतंकी हमला भारत में पहले भी लश्कर द्वारा अंजाम दिए गए हमलों की तर्ज पर ही था। सिंह ने कहा कि भारत आतंकवाद के खिलाफ ’जीरो टॉलरेंस’ की नीति पर अडिग है और इसमें किसी प्रकार के दोहरे मानदंडों की कोई गुंजाइश नहीं है।
SCO में भारत का स्पष्ट संदेशः आतंक पर चुप्पी अब नहीं चलेगी
सूत्रों के अनुसार, भारत द्वारा साझा दस्तावेज पर हस्ताक्षर न करना इस बात का संकेत है कि भारत अब बहुपक्षीय मंचों पर भी अपने राष्ट्रीय हितों और सुरक्षा को सर्वोपरि रखने के लिए कटिबद्ध है। भारत ने इस घटना के बाद अमेरिका, फ्रांस, जर्मनी, जापान समेत 8 देशों में अपने राजनयिक प्रतिनिधिमंडल भेजकर अंतरराष्ट्रीय स्तर पर आतंक के विरुद्ध समर्थन जुटाने की पहल भी की थी।
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पहलगाम हमले की अंतरराष्ट्रीय उपेक्षा पर उठे सवाल
पहलगाम आतंकी हमला, जिसमें आम नागरिकों की जान गई थी, को SCO जैसे मंच पर स्थान न देना कई सवाल खड़े करता है। विशेषज्ञों का मानना है कि यदि ऐसे मंच पर सिर्फ राजनीतिक संतुलन साधने के लिए एकतरफा संदर्भ शामिल किए जाते हैं, तो इससे आतंकवाद विरोधी वैश्विक संकल्प कमजोर पड़ता है। भारत इसमें सफल रहा है!
राजनाथ सिंह का कूटनीतिक संकेत और SCO की अगली परीक्षा
पहलगाम आतंकी हमला का जिक्र न होने पर राजनाथ सिंह द्वारा दस्तावेज पर हस्ताक्षर न करना न सिर्फ भारत की आंतरिक भावना को दर्शाता है, बल्कि SCO जैसे मंच के लिए भी एक चेतावनी है कि यदि वह आतंक के मुद्दे पर निष्पक्ष और गंभीर नहीं बना, तो उसकी प्रासंगिकता पर प्रश्नचिन्ह लगना तय है।
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