National News : रक्षा मंत्री ने किया एंटी-सैटेलाइट मिसाइल सिस्टम के मॉडल का उद्घाटन

-भारत ने एंटी मिसाइल सिस्टम के डिजाइन को दुनिया के सामने रखा

-‘मिशन शक्ति’ से भारत को मिली अंतरिक्ष में मार करने वाली तकनीक

​​सुनीत निगम

नई दिल्ली (हि.स.)। रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने सोमवार को रक्षा अनुसंधान और विकास संगठन (डीआरडीओ) मुख्यालय में एंटी-सैटेलाइट मिसाइल सिस्टम के मॉडल का उद्घाटन किया, जिसे राष्ट्रीय तकनीकी उन्नति के प्रतीक के रूप में देखा जाता है। यह तकनीकी क्षेत्र में ​भारत के ​उन्नत विकास को दर्शा​ने के साथ ही दुश्मन देशों के लिए चेतावनी ​भी ​है कि अगर वह गलत इरादे कुछ भी करेगा तो उन्हें ध्वस्त कर दिया जाएगा।
भारतीय रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन (डीआरडीओ) लगातार मिसाइलों का परीक्षण करके भारत को रक्षा तकनीक में लगातार कामयाबी दिला रहा है। अब भी डीआरडीओ के खजाने में कई ऐसे मिसाइल सिस्टम हैं जिनके सारे परीक्षण पूरे किए जा चुके हैं। आने वाले समय में आखिरी परीक्षण करके इन्हें सशस्त्र बलों को उपयोग के लिए सौंपा जाना है। देश के ‘आत्मनिर्भर भारत’ और ‘मेक इन इंडिया’ अभियान को पूरा करने के साथ ही यह स्वदेशी मिसाइलें चीन के साथ चल रहे गतिरोध के बीच भारत की ताकत में इजाफा कर रही हैं। भारत ने एंटी मिसाइल सिस्टम के डिजाइन को दुनिया के सामने रखा है।
इससे पहले डीआरडीओ ने 27 मार्च,2019 को ओडिशा के डॉ. एपीजे अब्दुल कलाम द्वीप से एंटी-सैटेलाइट मिसाइल परीक्षण ‘मिशन शक्ति’ का सफल परीक्षण किया था। इस परीक्षण के बाद अमेरिका और रूस जैसे देशों के क्लबों में शामिल हो गया है। इससे पहले यह शक्ति केवल अमेरिका, रूस और चीन के पास थी। इस मिसाइल के जरिए भारत को यह बड़ी उपलब्धि हासिल हुई है। इस मिसाइल के तहत भारत को अंतरिक्ष में मार करने वाली तकनीक हासिल हो गई है। डीआरडीओ द्वारा विकसित ए-एसएटी मिसाइल ने ‘हिट टू किल’ मोड में लो अर्थ ऑर्बिट (एलईओ) में भारतीय परिक्रमा लक्ष्य उपग्रह को सफलतापूर्वक शामिल किया। इंटरसेप्टर मिसाइल तीन चरण की मिसाइल थी जिसमें दो ठोस रॉकेट बूस्टर थे।
क्या है ऑरबिटपृथ्वी से 2000 किलोमीटर से कम ऊंचाई पर स्थित कक्षाओं को पृथ्वी की निचली कक्षा या लो अर्थ ऑरबिट कहलाते हैं। 2000 किलोमीटर की ऊंचाई से 35,786 किलोमीटर की ऊंचाई तक की कक्षा को मीडियम अर्थ ऑरबिट या पृथ्वी की मध्यम कक्षा कहा जाता है। 35,786 किलोमीटर ऊंचाई से 42,164 किलोमीटर की ऊंचाई तक की ऊंचाई वाली कक्षाओं को जियोसिंक्रोनस ऑरबिट कहा जाता है। जियोसिंक्रोनस ऑरबिट से ज्यादा ऊंचाई वाली कक्षाएं हाई अर्थ ऑरबिट या पृथ्वी की उच्च कक्षाएं होती हैं। लो अर्थ ऑरबिट में चक्कर लगाने वाले सैटेलाइट को लियो सैटेलाइट कहा जाता है। ये आमतौर पर सूचनाओं के आदान प्रदान में काम आते हैं। भारत से पहले अमेरिका, रूस और चीन के पास ही एंटी सैटेलाइट मिसाइल की क्षमता थी। अमेरिका ने यह क्षमता साल 1958 में हासिल की थी, जबकि रूस ने 1964 और चीन ने 2007 में ए-सैट मिसाइलों का सफल परीक्षण किया था लेकिन कभी दूसरे देश के सैटेलाइट को गिराने में इनका इस्तेमाल नहीं किया गया। डीआरडीओ के पूर्व प्रमुख के मुताबिक भारत की अग्नि-5 मिसाइल की मारक क्षमता 5,000 किलोमीटर है, इससे भी अंतरिक्ष में 600 किलोमीटर ऊंचाई तक हमला किया जा सकता है। आज राजनाथ सिंह द्वारा एंटी सैटेलाइट मिसाइल के डिजाइन को पेश किया गया है। यह तकनीकी क्षेत्र में उन्नत विकास को तो दर्शाता ही है साथ ही दुश्मन देशों के लिए चेतावनी है कि अगर वह गलत इरादे कुछ भी करेगा तो उन्हें ध्वस्त कर दिया जाएगा। एंटी सैटेलाइट मिस्टम दुश्मनों के टोही सैटेलाइट को मार गिराते हैं।

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