Wednesday, July 16, 2025
Homeधर्म-कर्ममंदिर से लौटते वक्त ये 3 गलतियां पड़ सकती हैं भारी

मंदिर से लौटते वक्त ये 3 गलतियां पड़ सकती हैं भारी

धर्म-कर्म डेस्क

जब कोई श्रद्धालु मंदिर जाता है तो वह न केवल पूजा-अर्चना करता है, बल्कि एक विशेष मानसिक ऊर्जा और शांति का अनुभव भी करता है। लेकिन मंदिर से लौटते वक्त जाने-अनजाने ऐसी तीन गलतियां अक्सर हो जाती हैं, जो व्यक्ति के पूरे आध्यात्मिक प्रयास को निष्फल कर सकती हैं। यह खबर न केवल धार्मिक मान्यताओं पर आधारित है, बल्कि पारंपरिक अनुभव और सामाजिक चेतावनियों पर भी केंद्रित है।

मंदिर से लौटते वक्त घंटी बजाना हो सकता है नुकसानदेह
अक्सर भक्त मंदिर से वापस लौटते समय भी मंदिर के द्वार पर लगी घंटी को बजाते हैं। हालांकि प्रवेश के समय घंटी बजाने से सकारात्मक ऊर्जा का संचार माना जाता है, लेकिन मंदिर से लौटते वक्त यही क्रिया वांछित नहीं मानी गई है।

मान्यता है कि मंदिर के भीतर एकत्र की गई सकारात्मक ऊर्जा उस घंटी की ध्वनि के साथ वहीं छूट जाती है। ऐसे में व्यक्ति खालीपन और नकारात्मकता का अनुभव कर सकता है। इसलिए यह जरूरी है कि भक्त केवल मंदिर में प्रवेश करते समय ही घंटी बजाएं और बाहर निकलते समय उसे न छुएं। इस परंपरा का पालन करने से आत्मिक ऊर्जा देर तक बनी रहती है।

मंदिर से खाली हाथ लौटना नहीं माना जाता शुभ
मंदिर से लौटते वक्त दूसरी बड़ी गलती होती है खाली हाथ घर लौटना। जब कोई व्यक्ति मंदिर जाता है, तो वह फूल, माला, अगरबत्ती, दीपक और मिठाई लेकर जाता है। ये सारी चीजें भगवान को अर्पित करने के बाद, व्यक्ति को कुछ प्रसाद या फूल साथ लाना चाहिए।

यह धार्मिक मान्यता है कि यदि कोई श्रद्धालु कुछ पवित्र वस्तु लेकर लौटता है, तो वह उस स्थान की सकारात्मकता को अपने साथ लाता है। विशेष रूप से यदि किसी ने शिवलिंग पर जल चढ़ाया है, तो उसका कुछ अंश बचाकर घर लाना शुभ माना जाता है। यह जल रोग निवारण और शुद्धिकरण के लिए उपयोगी माना जाता है।

यह भी पढ़ें: Iran Israel War: अमेरिकी बमबारी के बाद पश्चिम एशिया में बढ़ा संकट

हाथ-पांव तुरंत धोना भी कर सकता है आध्यात्मिक नुकसान
मंदिर से लौटते वक्त तीसरी सामान्य लेकिन बड़ी गलती होती है घर आते ही हाथ-पांव धो लेना। यह क्रिया वैज्ञानिक दृष्टि से तो ठीक लग सकती है, लेकिन आध्यात्मिक दृष्टि से यह सकारात्मक ऊर्जा को धो देने के समान माना गया है। मंदिर से लौटते समय शरीर और मन पर जो सकारात्मक प्रभाव होता है, वह यदि कुछ समय तक शरीर में बना रहे तो उसका संपूर्ण लाभ मिलता है।

यदि किसी के पैर अत्यधिक गंदे हैं, तो कपड़े से उन्हें पोंछ लेना एक बेहतर विकल्प है। कुछ देर रुकने के बाद हाथ-पांव धोने से ऊर्जा का प्रवाह बाधित नहीं होता और मानसिक शांति बनी रहती है।

सतर्कता ही है आध्यात्मिक लाभ की कुंजी
मंदिर से लौटते वक्त छोटी-छोटी गलतियां न केवल आध्यात्मिक ऊर्जा को कम कर सकती हैं, बल्कि मानसिक रूप से भी व्यक्ति को असंतुलित कर सकती हैं। यह आवश्यक है कि परंपराओं की गहराई को समझा जाए और उनका पालन श्रद्धा के साथ किया जाए।

धार्मिक क्रियाओं का उद्देश्य केवल एक कर्मकांड नहीं, बल्कि भीतर की शांति और ऊर्जा को संचित करना है। इसलिए यदि श्रद्धालु मंदिर से लौटते वक्त इन तीन सावधानियों का ध्यान रखते हैं, तो वह न केवल पवित्रता को बनाए रख सकते हैं, बल्कि घर में भी सकारात्मकता और सुख-शांति सुनिश्चित कर सकते हैं।

यह भी पढ़ें: जानें कलश स्थापना का मुहूर्त

RELATED ARTICLES

Most Popular