Saturday, June 14, 2025
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167 देशों को रोशन कर सकता है कच्छ का रिन्यूएबल एनर्जी प्लांट

538 वर्ग किलोमीटर में फैला यह प्लांट साइज में 17 देशों से बड़ा

राज्य डेस्क

खावड़ा (गुजरात)। रेगिस्तान की तपती धूप, 120 किमी/घंटा की तेज हवाएं और बंजर जमीन। कच्छ के खावड़ा में जहां जीवन की कल्पना भी चुनौतीपूर्ण है, वहां अडाणी ग्रीन एनर्जी लिमिटेड (एजीईएल) ने दुनिया का सबसे बड़ा रिन्यूएबल एनर्जी प्लांट स्थापित कर इतिहास रच दिया है। 538 वर्ग किलोमीटर में फैला यह प्लांट साइज में 17 देशों से बड़ा है और 167 देशों को रोशन करने की क्षमता रखता है। एआई और मशीन लर्निंग से लैस यह रिन्यूएबल एनर्जी प्रोजेक्ट भारत के स्वच्छ ऊर्जा मिशन का प्रतीक है।

रेगिस्तान में ऊर्जा का नया युग
एक राष्ट्रीय समाचारपत्र के वेबसाइट पर प्रकाशित खबर के अनुसार, 2023 में शुरू हुआ खावड़ा रिन्यूएबल एनर्जी प्लांट अब तक 5 गीगावाट (5000 मेगावाट) की क्षमता हासिल कर चुका है। अगले पांच साल में यह 30 गीगावाट तक पहुंचेगा। यह प्लांट सोलर और विंड एनर्जी का हाइब्रिड मॉडल अपनाता है। सोलर पैनल दिन में और विंड टर्बाइन्स रात में बिजली बनाते हैं, जिससे ग्रिड को स्थिर आपूर्ति मिलती है। एजीईएल के वाइस प्रेसिडेंट धवल परमार कहते हैं, ’यह रिन्यूएबल एनर्जी प्लांट भारत के 2030 तक 500 गीगावाट स्वच्छ ऊर्जा लक्ष्य का महत्वपूर्ण हिस्सा है। हमारा लक्ष्य इसमें 50 गीगावाट का योगदान देना है।’

538 वर्ग किमी की विशालता
खावड़ा रिन्यूएबल एनर्जी प्लांट मुंबई के आकार जितना और पेरिस से पांच गुना बड़ा है। यह दुनिया के 17 देशों से बड़ा है। इसमें 6 करोड़ सोलर पैनल लगाए जाएंगे, जो एक कतार में रखने पर 1,00,500 किमी की दूरी बनाएंगे। यह पृथ्वी की परिधि (40,075 किमी) का 2.5 गुना है। प्लांट में 120 मीटर ऊंचे विंड टर्बाइन्स और सोलर पैनल की लंबी कतारें हैं। सिंगल-एक्सिस ट्रैकर्स सूरज की दिशा में घूमकर 20-30 फीसद अधिक बिजली बनाते हैं।

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खावड़ा, कच्छ में अडाणी ग्रीन एनर्जी द्वारा विकसित रिन्यूएबल एनर्जी प्लांट
खावड़ा में अडाणी ग्रीन एनर्जी द्वारा विकसित रिन्यूएबल एनर्जी प्लांट

एआई और रोबोटिक्स का कमाल
रिन्यूएबल एनर्जी प्लांट एआई और मशीन लर्निंग पर आधारित है। सोलर पैनल की सफाई के लिए वाटरलेस रोबोट्स सेंसर और सक्शन तकनीक से धूल हटाते हैं, जिससे अरबों लीटर पानी बचता है। ’डिजिटल ट्विन’ तकनीक मशीनों की स्थिति की निगरानी करती है, जिससे खराबी का पहले पता चल जाता है। प्लांट का एनर्जी नेटवर्क ऑपरेशन सेंटर 24×7 रियल टाइम डेटा मॉनिटर करता है। धवल परमार बताते हैं, “हमारा लक्ष्य मैनलेस ऑपरेशन है, जहां इंसानी दखल न्यूनतम हो। एआई मॉडल अगले दिन के बिजली उत्पादन का सटीक अनुमान लगाते हैं।“

दुनिया के 167 देशों को रोशन करने की क्षमता
प्लांट 30 गीगावाट की क्षमता पूरी करने के बाद सालाना 87.4 अरब यूनिट बिजली बनाएगा। ये 1.74 करोड़ घरों को रोशन करने के लिए काफी होगी। वर्ल्ड पॉपुलेशन रिव्यू (2025) के मुताबिक, दुनिया के 195 में से 167 देश ऐसे हैं, जहां सब मिलाकर 1.74 करोड़ से कम घर हैं। यानी यहां से जनरेट होनी वाली बिजली से 167 देश रोशन हो सकेंगे।

चुनौतियों से जीत
खावड़ा में 42 डिग्री की गर्मी, तेज हवाएं और खारा पानी बड़ी चुनौतियां थीं। एजीईएल ने चार आरओ प्लांट्स लगाकर पानी की समस्या हल की। भूकंप जोन 5 में होने के कारण विंड टर्बाइन्स की नींव 20 फीसद मजबूत बनाई गई। स्टोन कॉलम तकनीक ने टर्बाइन्स को स्थिरता दी। 15,000 वर्कर्स के लिए टाउनशिप बनाई गई, जिसमें एसी कमरे, अस्पताल, खेल के मैदान और कैंटीन हैं। फ्रांस की एक कंपनी वर्कर्स के लिए खाना बनाती है। एजीईएल के प्रेसिडेंट तीर्थनाथ सिंह कहते हैं, ‘यहां कुछ भी नहीं था। हमने 180 किमी फाइबर नेटवर्क और 100 किमी सड़क बनाई।’

खावड़ा रिन्यूएबल एनर्जी प्लांट: दुनिया का सबसे बड़ा हरित ऊर्जा केंद्र
खावड़ा रिन्यूएबल एनर्जी प्लांट का कैंटीन, जहां अफसर से मजदूर तक एक साथ खाना खाते हैं

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भारत का गौरव
खावड़ा रिन्यूएबल एनर्जी प्लांट न सिर्फ बिजली बनाएगा, बल्कि रोजगार, तकनीकी नवाचार और पर्यावरण संरक्षण को बढ़ावा देगा। यह भारत के स्वच्छ ऊर्जा मिशन का प्रतीक है।

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