Gonda News : साहित्यिक अभिरुचि वाले राज्य कर्मियों को मिलेगा पुरस्कार

सेवारत व सेवानिवृत्त कर्मचारी भी उठा सकते हैं योजना का लाभ

संवाददाता

गोण्डा। उत्तर प्रदेश शासन की योजना के अन्तर्गत राज्य कर्मचारी साहित्य संस्थान द्वारा वर्ष 2020-21 के लिए उत्तर प्रदेश के राज्य कर्मियों को देवनागरी लिपि में लिखी जाने वाली प्रदेश की भाषाओं, बोलियों में दीर्घकालीन साहित्यिक सेवा के लिए चार पुरस्कार दो गद्य एवं दो पद्य हेतु देवनागरी लिपि में लिखी जाने वाली उत्तर प्रदेश की भाषाओं व बोलियों में गद्य की तीन एवं पद्य की पाँच कृतियों हेतु आठ पुरस्कार दिये जाने हैं। इसके अतिरिक्त हिन्दी भाषा, प्रदेश की बोलियों में दीर्घकालीन सेवा हेतु सेवानिवृत्त राज्यकार्मियों को गद्य, पद्य में एक-एक पुरस्कार एवं गद्य, पद्य की पुस्तकों पर एक-एक पुरस्कार दिया जाना है। इसके साथ ही हिन्दीतर भाषा-भाषी प्रदेशों के राज्यकर्मियों को गद्य या पद्य में दीर्घकालीन सेवा हेतु एक पुरस्कार एवं पद्य की मौलिक कृति पर एक पुरस्कार प्रदान किया जाना है ।
उत्तर प्रदेश के राज्यकर्मियों हेतु उर्दू भाषा (फारसी लिपि में) दीर्घकालीन साहित्यिक सेवा हेतु दो पुरस्कार गद्य या पद्य, उर्दू भाषा (फारसी लिपि) में रचित या अन्य भाषा में लिखित मौलिक पुस्तक की फारसी लिपि में अनुवादित, लिप्यांतरित गद्य या पद्य की कृति के लिए एक पुरस्कार एवं पद्य में लिखी गई पुस्तक के लिए एक पुरस्कार तथा उत्तर प्रदेश सरकार के सेवानिवृत्त कर्मियों को फारसी लिपि में लिखित उर्दू भाषा में एक पुरस्कार दीर्घकालीन सेवा में गद्य या पद्य हेतु तथा पद्य की श्रेष्ठ पुस्तक हेतु एक पुरस्कार प्रदान किया जाना है। इन सभी पुरस्कारों की धनराशि रुपये एक-एक लाख होगी। हिन्दी या उर्दू, गद्य या पद्य में सृजनात्मक साहित्य के अतिरिक्त यात्रा वृत्तात, आत्मकथा, जीवनी, संस्कृति, संस्मरण, विज्ञान पर्यावरण, अद्यावधिक विषय, आलोचनात्मक साहित्य, भूगोल, इतिहास, दर्शन, पौराणिक शिक्षा एवं वित्त से सम्बन्धित पुस्तकें या अन्य भाषा में लिखी गयी उपयोगी पुस्तकों का हिन्दी, उर्दू में किये गये अनुवाद की पुस्तक भी पुरस्कार हेतु विचारणीय होगी। इस हेतु दिनांक 30 नवम्बर, 2020 तक प्रविष्टियाँ मांगी गयी हैं।
ज्ञातव्य है कि राज्य कर्मचारी साहित्य संस्थान, उत्तर प्रदेश के राज्यकर्मियों की प्रख्यात साहित्यिक संस्था है। संस्था का मुख्य उद्देश्य उत्तर प्रदेश की देवनागरी लिपि में लिखी जाने वाली भाषाओं व बोलियों, उर्दू भाषा (फारसी लिपि में) के साहित्य की समृद्धि, प्रचार एवं राज्य कर्मियों में साहित्यिक अभिरुचि उत्पन्न करना है। राज्य कर्मचारी साहित्य संस्थान उप्र के महामंत्री डॉ दिनेश चंद्र अवस्थी ने राज्य कर्मी साहित्यकारों से अनुरोध किया है कि राज्यकर्मी साहित्यकार अधिक से अधिक संख्या में अपनी प्रविष्टियां संस्थान को प्रेषित करें। राज्यकर्मी साहित्यकारों कों अपनी प्रविष्टि सचिव, पुरस्कार समिति, राज्य कर्मचारी साहित्य संस्थान, कक्ष संख्या-119 ब. भूतल निकट गेट संख्या-9 उत्तर प्रदेश सचिवालय हजरतगंज लखनऊ-226001 के पते पर भेजनी है। प्रारूप एवं शर्ते डाक टिकट लगा लिफाफा भेजकर भी (कोरियर से नहीं) प्राप्त की जा सकती है।

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