Saturday, July 19, 2025
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UP News : महिला से साइबर ठगी का सनसनीखेज मामला!

फर्जी CBI अधिकारी बनकर 6.92 लाख की वसूली

पैसा चुकाने के लिए महिला ने बेंच दिए पति के चेन

प्रादेशिक डेस्क

मुरादाबाद। उत्तर प्रदेश के मुरादाबाद जनपद के मझोला थाना क्षेत्र से महिला से साइबर ठगी का अत्यंत भयावह और चिंताजनक मामला सामने आया है। आरोपी ने खुद को मुंबई स्थित केंद्रीय जांच ब्यूरो (CBI) का वरिष्ठ अधिकारी बताकर एक गृहिणी को मानसिक रूप से इतना आतंकित कर दिया कि उसने अपनी चूड़ियां, पति की चेन और अन्य गहने तक गिरवी रखकर कुल 6 लाख 92 हजार रुपये साइबर ठग के निर्देश पर विभिन्न खातों में ट्रांसफर कर दिए।

इस महिला से साइबर ठगी की घटना ने यह साबित कर दिया कि साइबर अपराधी अब न केवल तकनीकी रूप से दक्ष हो चुके हैं, बल्कि वे मनोवैज्ञानिक दबाव डालकर लोगों को ठगने की नई रणनीतियों पर काम कर रहे हैं।

ठगी की शुरुआत: CBI अधिकारी बनकर धमकी
बुद्धि विहार सेक्टर-2 निवासी मोनिका शर्मा, जो एक सामान्य गृहिणी हैं, उनके मोबाइल पर 20 दिसंबर 2024 को एक अनजान व्हाट्सएप कॉल आया। कॉलर ने खुद को CBI मुंबई का वरिष्ठ अधिकारी बताते हुए कहा कि मोनिका शर्मा के विरुद्ध एक गंभीर एफआईआर दर्ज की गई है और उन्हें जल्द ही मुंबई पुलिस गिरफ्तार करने वाली है।
घबराई मोनिका से जब यह पूछा गया कि क्या वह मामला खत्म करना चाहती हैं, तो उसने हामी भर दी। यहीं से शुरू होती है महिला से साइबर ठगी की आपराधिक योजना।

महिला से साइबर ठगी : धमकियों के बीच किस्तों में भेजी गई राशि
आरोपी ने सबसे पहले 27 दिसंबर को मोनिका को 1.35 लाख रुपये तीन अलग-अलग खातों में जमा करने के लिए मजबूर किया। इसके लिए उसने अपने गहने खुशलहापुर रोड स्थित एक ज्वैलर्स के यहां गिरवी रखे। इसके बाद 2 जनवरी को 45 हजार, 3 जनवरी को 38 हजार, 6 जनवरी को 40 हजार, 28 जनवरी को 47 हजार और अंततः 10 फरवरी को 2.10 लाख रुपये और डलवाए गए।

महिला से साइबर ठगी मामले में संज्ञान में आया कि 10 फरवरी की कॉल में धमकी दी गई थी कि यदि तत्काल राशि जमा नहीं की गई, तो उनके पति को भी फर्जी मुकदमे में फंसा दिया जाएगा। इस प्रकार महिला से साइबर ठगी की पूरी प्रक्रिया करीब डेढ़ महीने तक चली और आरोपी ने मनोवैज्ञानिक रूप से पीड़िता को इस हद तक नियंत्रित कर लिया कि वह अपनी चूड़ी और पति की चेन तक गिरवी रखने को मजबूर हो गई।

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पति को भनक भी नहीं लगी, चेन से हुआ खुलासा
पीड़िता के पति राजीव शर्मा, जो एसी मरम्मत का कार्य करते हैं, को उस वक्त पूरे मामले की जानकारी हुई जब उन्होंने देखा कि उनकी चेन घर में नहीं है। पूछताछ करने पर मोनिका ने पूरा घटनाक्रम बताया। इसके बाद राजीव शर्मा साइबर क्राइम थाना मुरादाबाद पहुंचे और शिकायत दर्ज कराई।

लेकिन मामला यहीं नहीं रुका। एफआईआर दर्ज कराने के लिए पीड़ित को साइबर थाना, मझोला थाना और बैंक शाखाओं के चक्कर काटने पड़े। जब कोई कार्रवाई नहीं हुई, तब उन्होंने एसपी क्राइम सुभाष चंद्र गंगवार से संपर्क किया, जिनके निर्देश पर मुकदमा पंजीकृत हुआ।

अपराध की प्रकृति और तकनीकी दृष्टिकोण से पड़ताल
यह महिला से साइबर ठगी दरअसल एक vishing (voice phishing) हमला था, जिसमें कॉलर ने फर्जी पहचान और सरकारी एजेंसी का डर दिखाकर पैसे ऐंठे। व्हाट्सएप कॉलिंग जैसी एन्क्रिप्टेड तकनीक का प्रयोग कर अपराधी ने अपना स्थान और पहचान छिपाकर रखा।

साइबर अपराध विशेषज्ञों के अनुसार, इस प्रकार की ठगी में अपराधी IP spoofing, OTP bypass, phishing gateways और virtual bank accounts का प्रयोग करते हैं। इससे न केवल पुलिस की जांच कठिन हो जाती है बल्कि पैसे का पता लगाना लगभग असंभव हो जाता है।

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साइबर ठगी से कैसे बचें? विशेषज्ञों के सुझाए प्रभावी उपाय

सरकारी अधिकारी की कॉल की पुष्टि करें: कोई भी कॉल जिसमें पुलिस, सीबीआई, इनकम टैक्स या कोर्ट की बात हो, पहले संबंधित विभाग के अधिकृत नंबर पर पुष्टि करें।

व्हाट्सएप कॉल पर संदेह करें: साइबर अपराधी अधिकतर वॉयस ओवर इंटरनेट कॉलिंग का प्रयोग करते हैं, जो ट्रैक करना कठिन होता है।

OTP या खाता विवरण न दें: बैंक, पुलिस या कोई सरकारी एजेंसी कभी भी OTP या UPI कोड नहीं मांगती।

सीधा पुलिस से संपर्क करें: किसी भी तरह की धमकी या डराने वाले कॉल की सूचना तुरंत राष्ट्रीय साइबर हेल्पलाइन 1930 या www.cybercrime.gov.in पर दें।

Call Recording रखें: हर कॉल का रिकॉर्ड रखें ताकि जांच में साक्ष्य मिल सकें।

Bank Transaction Alert: हर बैंक ट्रांजैक्शन का SMS और ईमेल अलर्ट चालू रखें।

Cyber Hygiene अपनाएं: नियमित रूप से पासवर्ड बदलें, दो-स्तरीय प्रमाणीकरण (2FA) का प्रयोग करें और सार्वजनिक वाईफाई से बचें।

महिला से साइबर ठगी
यह महिला से साइबर ठगी का मामला केवल एक पीड़िता की कहानी नहीं, बल्कि एक सामाजिक और तकनीकी चुनौती है, जो देशभर में लाखों लोगों के लिए खतरे की घंटी है। जब तक जनता जागरूक नहीं होगी, कानून मजबूत नहीं होगा और डिजिटल सुरक्षा सशक्त नहीं होगी, तब तक इस प्रकार की घटनाएं होती रहेंगी। साइबर सुरक्षा एक साझा जिम्मेदारी है सरकार, समाज, तकनीकी विशेषज्ञ और स्वयं नागरिक को इसके प्रति सजग रहना होगा।

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