मथुरा के दो ईंट भट्ठों पर वर्षों से काम कर रहे थे ये बांग्लादेशी नागरिक
पकड़े गए बांग्लादेशी नागरिक में महिलाएं और 28 बच्चे भी शामिल, पूछताछ जारी
प्रादेशिक डेस्क
मथुरा। मथुरा पुलिस ने दो ईंट भट्ठों पर पहचान छुपाकर काम कर रहे 90 बांग्लादेशी नागरिक गिरफ्तार किए हैं। इनमें 35 पुरुष, 27 महिलाएं और 28 बच्चे शामिल हैं। ये सभी बीते पांच महीनों से आरबीएस ईंट उद्योग और मोदी ईंट उद्योग खाजपुर में मजदूरी कर रहे थे। पूछताछ में उन्होंने स्वीकार किया कि वे करीब 12 वर्ष पहले अवैध रूप से बांग्लादेश से भारत में दाखिल हुए थे और राजस्थान, हरियाणा, गाजियाबाद जैसे कई राज्यों में मजदूरी करते हुए अब मथुरा पहुंचे हैं।
सुरक्षा एजेंसियां सतर्क
बांग्लादेशी नागरिक अपने परिवार के साथ पहचान छुपाकर रह रहे थे। ईंट भट्ठों में काम करना न केवल सुरक्षा व्यवस्था पर सवाल उठाता है, बल्कि यह नेटवर्क की गहराई को भी दर्शाता है। पुलिस ने जानकारी दी कि ये सभी लोग किसी वैध पहचान पत्र के बिना ही काम कर रहे थे। पूछताछ के दौरान जब इनसे दस्तावेज मांगे गए, तो कोई भी वैध प्रमाण नहीं दिखा सके। पहले दावा किया कि वे बंगाल के निवासी हैं, लेकिन संदेह होने पर स्थानीय खुफिया इकाई और इंटेलिजेंस ब्यूरो की टीम ने मौके पर पहुंचकर जांच की।
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अवैध घुसपैठियों का वर्षों पुराना नेटवर्क उजागर
सीओ मांट गुंजन सिंह द्वारा की गई पूछताछ में सामने आया कि बांग्लादेशी नागरिक का यह समूह करीब 12 साल पहले भारत में घुसपैठ कर चुका था। इसके बाद ये लोग अलग-अलग राज्यों में मजदूरी करते रहे। ईंट भट्ठों में मजदूरी के नाम पर इनकी पहचान और गतिविधियों पर किसी ने संदेह नहीं जताया। इससे स्पष्ट होता है कि अवैध घुसपैठियों का यह नेटवर्क लंबे समय से भारत के श्रम बाजार में गहराई से जड़ें जमा चुका है।
फर्जी पहचान और ठेकेदार की मिलीभगत की आशंका
एसएसपी श्लोक कुमार ने बताया कि यह पूरा मामला ठेकेदारों की मिलीभगत से संभव हुआ है। कम मजदूरी पर काम कराने के लिए ठेकेदार फर्जी पहचान वाले श्रमिकों को बुलाते हैं और स्थानीय भट्ठा मालिक भी इसमें सहयोग करते हैं। जिन दो भट्ठों से बांग्लादेशी नागरिक पकड़े गए हैं, वहां करीब 200 से अधिक श्रमिक काम करते हैं। पुलिस अब इन भट्ठा संचालकों और संबंधित ठेकेदारों की तलाश कर रही है।
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चार साल पहले भी पकड़े गए थे बांग्लादेशी नागरिक
यह पहली बार नहीं है, जब मथुरा में बांग्लादेशी नागरिक की घुसपैठ का मामला सामने आया हो। जनवरी 2020 में वृंदावन के सेवाकुंज मंदिर से भी दो बांग्लादेशी नागरिक पकड़े गए थे, जो सात वर्षों से साधु बनकर रह रहे थे। इससे साफ है कि पहचान छिपाकर वर्षों तक देश के भीतर रहना इन घुसपैठियों के लिए कोई कठिन कार्य नहीं रहा।
विदेशी अधिनियम के तहत होगी सख्त कार्रवाई
पुलिस ने साफ किया है कि पकड़े गए सभी बांग्लादेशी नागरिक के खिलाफ विदेशी अधिनियम के तहत कार्रवाई की जाएगी। उन्हें जनता इंटर कॉलेज परिसर में रखा गया है, जहां उनकी पहचान, कॉल रिकॉर्ड और संभावित नेटवर्क की जांच की जा रही है। साथ ही उनके द्वारा प्रयोग किए गए दस्तावेजों की भी फॉरेंसिक जांच कराई जा रही है।
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बांग्लादेशी नागरिक के खिलाफ चलेगा व्यापक अभियान
एसएसपी की ओर से जिले भर में ऐसे अवैध रूप से रह रहे लोगों के खिलाफ विशेष अभियान चलाने के निर्देश दिए गए हैं। अपराध समीक्षा बैठक में यह निर्णय लिया गया कि जिन स्थानों पर मजदूर बड़ी संख्या में काम कर रहे हैं, वहां पहचान सत्यापन अनिवार्य होगा। यह कदम भविष्य में बांग्लादेशी नागरिकों की पहचान छुपाकर देश में रहने की प्रवृत्ति पर रोक लगाने की दिशा में अहम माना जा रहा है।
यह घुसपैठ देश की सुरक्षा के लिए खतरा
इस घटना ने एक बार फिर साबित किया है कि बांग्लादेशी नागरिक भारत में पहचान छुपाकर रहने और काम करने के नए-नए तरीके अपना रहे हैं। यह न केवल श्रमिक बाजार को प्रभावित करता है, बल्कि देश की आंतरिक सुरक्षा के लिए भी एक गंभीर चुनौती बनता जा रहा है। मथुरा पुलिस की इस कार्रवाई ने जहां एक बड़े नेटवर्क को उजागर किया है, वहीं आने वाले समय में इस दिशा में और भी सख्त कदम उठाए जाने की उम्मीद है।

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