Saturday, June 14, 2025
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अवैध बांग्लादेशी के खिलाफ सरकार की जोरदार मुहिम

दर्जनों घोषित अवैध बांग्लादेशी जबरन नो-मैन्स लैंड में धकेले गए

राज्य डेस्क

दिसपुर (असम)। अवैध बांग्लादेशी लोगों के खिलाफ असम सरकार का अभियान जारी है। राज्य के मुख्यमंत्री हिमंत विश्व शर्मा के नेतृत्व में घोषित विदेशी नागरिकों की धरपकड़ कर उन्हें भारत-बांग्लादेश सीमा के नो-मैन्स लैंड में धकेला जा रहा है। 27 और 29 मई को असम के पश्चिमी और दक्षिणी इलाकों से कम से कम 49 ऐसे व्यक्तियों को जबरन सीमा पार कर निर्जन क्षेत्र में छोड़ दिया गया। ये सभी लोग वे हैं जिन्हें फॉरेनर्स ट्रिब्यूनल ने “अवैध बांग्लादेशी“ घोषित किया था। यह अभियान असम सरकार की अवैध बांग्लादेशियों के खिलाफ चल रही जोरदार मुहिम का हिस्सा है।

मुख्यमंत्री हिमंत विश्व शर्मा ने मीडिया से बातचीत में बताया कि लगभग 30,000 घोषित विदेशी इस वक्त गायब हैं। उन्होंने कहा कि एनआरसी अपडेट की प्रक्रिया के कारण यह मुहिम कुछ समय के लिए रुकी थी, लेकिन अब सरकार ने इसे तेज़ करने का निर्णय लिया है।

सुप्रीम कोर्ट और हाई कोर्ट में पहुंचा मामला
इस कार्रवाई से चिंतित होकर कई परिवारों ने अदालतों का रुख किया है। सुप्रीम कोर्ट और गुवाहाटी हाई कोर्ट में तीन याचिकाएं दायर की गई हैं, जिनमें याचिकाकर्ताओं ने अपने परिजनों की जानकारी मांगी है। साथ ही सरकार की इस जबरन निर्वासन की नीति पर रोक लगाने की मांग भी की गई है।

गुरुवार को गुवाहाटी हाई कोर्ट ने असम सरकार को नोटिस जारी कर अबू बक्कर सिद्दिक और अकबर अली नामक दो भाइयों के ठिकाने की जानकारी मांगी। इन दोनों को 2017 में विदेशी घोषित किया गया था और उन्हें गोलपारा के ट्रांजिट कैंप में रखा गया था। सुप्रीम कोर्ट के निर्देश पर 2020 में उन्हें जमानत पर रिहा किया गया था।

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घोषित विदेशियों पर सीधा एक्शन
मुख्यमंत्री ने साफ किया कि जो व्यक्ति ट्रिब्यूनल द्वारा घोषित विदेशी है और उसने हाई कोर्ट या सुप्रीम कोर्ट में कोई अपील नहीं की है, उसे भारत में रहने का कोई अधिकार नहीं है। ऐसे लोगों को चिन्हित कर सीधे ’पुश-बैक’ किया जा रहा है।

उन्होंने बताया कि सुप्रीम कोर्ट ने फरवरी में स्पष्ट निर्देश दिया था कि जिन घोषित विदेशियों ने अपील नहीं की है, उन्हें किसी भी हालत में वापस भेजा जाए। इस आदेश के तहत सरकार ने यह कदम उठाया है।

सीमाई क्षेत्रों में बढ़ी हलचल
सरकार की इस तेज कार्रवाई के बाद सीमाई क्षेत्रों में सुरक्षा और निगरानी को लेकर हलचल तेज हो गई है। सुरक्षा एजेंसियां सीमाई इलाकों में लगातार निगरानी कर रही हैं ताकि कोई भी अवैध बांग्लादेशी दोबारा भारत में प्रवेश न कर सके।

मुख्यमंत्री ने एक और जानकारी दी कि कुछ दिन पहले ही सीमा पार कर भारत में दाखिल हुए 35 बांग्लादेशी नागरिकों को मेघालय सीमा पर सिलचर के पास पकड़ा गया था और उन्हें तुरंत सीमा पार वापस भेज दिया गया।

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मानवाधिकार संगठनों की चुप्पी
अवैध बांग्लादेशियों को नो-मैन्स लैंड में धकेलने की यह नीति भले ही सरकार के लिए राजनीतिक रूप से फायदेमंद मानी जा रही हो, लेकिन इस पर मानवाधिकार संगठनों की चुप्पी भी कई सवाल खड़े करती है। यह स्पष्ट नहीं है कि क्या इन नागरिकों को कानूनी सहायता का पूरा अवसर मिला या नहीं।

हालांकि, मुख्यमंत्री शर्मा ने स्पष्ट किया कि यदि किसी व्यक्ति को ट्रिब्यूनल द्वारा विदेशी घोषित किया गया है, और उस पर कोई न्यायिक स्टे नहीं है, तो सरकार उसके विरुद्ध कार्रवाई करने के लिए बाध्य है।

आगे भी होंगे बड़े अभियान
सरकार ने संकेत दिया है कि इस तरह की “पुश-बैक“ कार्रवाई आगे भी जारी रहेगी। इसके लिए सभी जिलों को निर्देश जारी कर दिए गए हैं। सीमावर्ती जिलों में विशेष निगरानी बढ़ा दी गई है। असम सरकार की यह चौंकाने वाली और सख्त कार्रवाई यह दर्शाती है कि राज्य अब अवैध बांग्लादेशियों के मामले में और अधिक नरमी बरतने को तैयार नहीं है।
सुप्रीम कोर्ट के आदेशों का पालन करते हुए यह कदम उठाया जा रहा है, लेकिन इसने राज्य में मानवाधिकारों को लेकर नई बहस छेड़ दी है। आने वाले दिनों में यह विषय राष्ट्रीय स्तर पर अधिक चर्चा का विषय बन सकता है।

अवैध बांग्लादेशी पर असम सरकार की बड़ी कार्रवाई

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