अंबेडकर जयंती पर गोंडा में श्रद्धांजलि कार्यक्रम

अंबेडकर के अद्वितीय विचारों को भुलाना असंभव-आयुक्त

समाज को झकझोर देने वाले अंबेडकर के कार्य आज भी प्रासंगिक-डीएम

अंबेडकर जयंती पर आयुक्त व जिलाधिकारी ने कर्मचारियों को दिलाई शपथ

जानकी शरण द्विवेदी

गोंडा। अंबेडकर जयंती के अवसर पर देवीपाटन मंडल में आयोजित हुए समारोहों ने एक बार फिर डॉ. भीमराव अंबेडकर के विचारों और कार्यों को स्मरण करने का अवसर दिया। आयुक्त शशि भूषण लाल सुशील और जिलाधिकारी नेहा शर्मा ने जनपद में आयोजित विविध कार्यक्रमों में हिस्सा लेते हुए बाबा साहब को श्रद्धांजलि अर्पित की और उनके विचारों को आत्मसात करने का आह्वान किया।

अंबेडकर ने की समता मूलक समाज की स्थापना
अंबेडकर के जीवन दर्शन को आज की पीढ़ी के लिए एक शक्तिशाली प्रेरणा बताते हुए आयुक्त ने कहा कि अंबेडकर ने न केवल संविधान रचकर देश की नींव मजबूत की, बल्कि समतामूलक समाज की कल्पना को भी मूर्त रूप दिया। उनका मानना था कि जब तक समाज में समता नहीं होगी, तब तक स्वतंत्रता अधूरी रहेगी। उन्होंने यह भी कहा कि मौलिक अधिकारों के साथ-साथ नागरिकों को अपने मौलिक कर्तव्यों को भी नहीं भूलना चाहिए। यह संतुलन ही लोकतंत्र की वास्तविक आत्मा है।

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समाज के हर तबके का उद्धार किया अंबेडकर ने
आयुक्त ने कहा कि अंबेडकर ने न केवल दलित समाज, बल्कि समाज के हर उस हिस्से के लिए संघर्ष किया जो उपेक्षित था, चाहे वह महिलाएं हों, श्रमिक हों या आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग। उनकी यही समावेशी सोच उन्हें केवल संविधान निर्माता नहीं, बल्कि एक महान सामाजिक सुधारक बनाती है। अंबेडकर का मानना था कि जब तक समाज में व्याप्त अन्याय, अज्ञानता और असमानता का अंत नहीं होता, तब तक स्वतंत्र भारत की कल्पना अधूरी है। आयुक्त ने ‘शिक्षित बनो, संगठित रहो, संघर्ष करो’ के मूलमंत्र को दोहराते हुए कहा कि यही बाबा साहब की क्रांतिकारी सोच का सार है।

बेडकर जयंती पर गोंडा में श्रद्धांजलि कार्यक्रम
अंबेडकर जयंती पर गोंडा में श्रद्धांजलि अर्पित करती जिलाधिकारी

अंबेडकर की चेतावनी आज भी झकझोरती है : नेहा शर्मा
कार्यक्रम की अध्यक्षता करते हुए कलेक्ट्रेट सभागार में जिलाधिकारी नेहा शर्मा ने उनके संघर्षमय जीवन पर प्रकाश डाला। उन्होंने कहा कि अंबेडकर का समर्पण, विद्वता और सामाजिक दृष्टिकोण हर भारतीय के लिए मार्गदर्शक हैं। डीएम ने कहा कि अंबेडकर का यह कथन हमें नहीं भूलना चाहिए कि कोई भी जाति, धर्म या वर्ग इतना श्रेष्ठ नहीं हो सकता कि वह किसी अन्य को दबा सके। उन्होंने कहा कि डॉ. अंबेडकर ने महिलाओं को भी समान अधिकार दिलाने के लिए जिस तरह से कानूनों में संशोधन और सुझाव दिए, वह क्रांतिकारी थे।

अंबेडकर जयंती पर गोंडा में श्रद्धांजलि कार्यक्रम
डा. अम्बेडकर की प्रतिमा पर मार्ल्यापण करती डीएम नेहा शर्मा।

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हर पीढ़ी को अंबेडकर के विचारों से लेना चाहिए सबक
जिलाधिकारी नेहा शर्मा ने कहा कि उनका सपना था एक ऐसा भारत जहाँ कोई भी व्यक्ति अपने जन्म के कारण अपमानित न हो। इसीलिए उन्होंने शिक्षा को सबसे बड़ा हथियार बताया और कहा कि शिक्षा केवल अधिकार नहीं बल्कि कर्तव्य है, जिसे हर नागरिक को निभाना चाहिए। आज जब समाज फिर से वर्ग संघर्ष, भेदभाव और सामाजिक असमानता की चुनौतियों से जूझ रहा है, ऐसे में उनके विचार पहले से कहीं अधिक प्रासंगिक हो गए हैं। अंबेडकर ने संविधान में जो मूल अधिकार सुनिश्चित किए, वे समाज के प्रत्येक व्यक्ति को गरिमा और अवसर की समानता प्रदान करते हैं।

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कलेक्ट्रेट सभागार में डा. अम्बेडकर की प्रतिमा पर मार्ल्यापण करते एडीएम आलोक कुमार।
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कलेक्ट्रेट सभागार में डा. अंबेडकर के चित्र पर मार्ल्यापण करते ओएसडी शिवराज शुक्ल।

अंबेडकर जयंती एक चेतना दिवस बने
दोनों वरिष्ठ अधिकारियों ने अंबेडकर चौराहे पर पहुंचकर मार्ल्यापण किया तथा कहा कि उनकी जयंती को केवल एक प्रतीकात्मक आयोजन तक सीमित न रखें, बल्कि इसे सामाजिक जागरूकता का माध्यम बनाएं। आज के डिजिटल और तेज़ी से बदलते समय में जब नई पीढ़ी तेजी से तकनीक की ओर बढ़ रही है, तब अंबेडकर के सामाजिक और संवैधानिक मूल्यों को उन्हें समझाना और उनके जीवन से जोड़ना ज़रूरी हो गया है। वह आज भी उतने ही जीवंत हैं, जितने वे अपने समय में थे। वे केवल संविधान निर्माता नहीं, बल्कि भारतीय समाज की अंतरात्मा हैं।

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विकास भवन सभागार में आयोजित कार्यक्रम को सम्बोधित करते पीडी डीआरडीए चंद्रशेखर।

सामाजिक न्याय के प्रहरी थे अंबेडकर : परियोजना निदेशक
विकास भवन सभागार में उनकी जयंती श्रद्धापूर्वक मनाई गई। इस अवसर पर डीआरडीए के परियोजना निदेशक चंद्रशेखर ने कहा कि वह केवल संविधान निर्माता नहीं थे, बल्कि सामाजिक न्याय के महान प्रहरी भी थे। उन्होंने कहा कि डा. साहब ने समता, स्वतंत्रता और बंधुत्व पर आधारित समाज की कल्पना की थी। परियोजना निदेशक ने कहा कि उनकी दृष्टि में समाज तब सशक्त होगा, जब अंतिम व्यक्ति को अधिकार और अवसर मिलेंगे। उन्होंने यह भी जोड़ा कि हमें उनकी विचारधारा को अपने कार्य में आत्मसात करना चाहिए। तभी विकास समावेशी और टिकाऊ बन पाएगा। यही उनके प्रति हमारी सच्ची श्रद्धांजलि होगी।

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विकास भवन सभागार में आयोजित अंबेडकर जयंती कार्यक्रम में माल्यार्पण करते स्टेनो लालबचन।

आज भी प्रासंगिक हैं डा. अम्बेडकर के विचार-लालजी दुबे
जिला पंचायत राज अधिकारी लालजी दुबे ने कहा कि डॉ. भीमराव अंबेडकर का जीवन संघर्ष, आत्मबल और ज्ञान की पराकाष्ठा का प्रतीक है। उन्होंने विपरीत परिस्थितियों में शिक्षा और संविधान के माध्यम से समाज को नई दिशा दी। हमारा दायित्व है जन-जन तक शासकीय योजनाओं और उनके अधिकारों की जानकारी पहुँचाना, जिससे हर व्यक्ति सशक्त हो। यह कार्य डॉ. अम्बेडकर के ‘शिक्षित बनो, संगठित रहो, संघर्ष करो’ के मंत्र से प्रेरित है। उनके विचार आज भी उतने ही प्रासंगिक हैं, जितने स्वतंत्रता के समय थे। आइए, उनके सिद्धांतों को अपनाकर हम सामाजिक समानता और न्याय की ओर बढ़ें।

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कलेक्ट्रेट सभागार में आयोजित अंबेडकर जयंती कार्यक्रम में माल्यार्पण करते कर्मचारी गण।

विकास भवन के आयोजन में यह भी रहे उपस्थित
अंबेडकर जयंती पर आयोजित कार्यक्रम में जिला विकास अधिकारी सुशील श्रीवास्तव, उपायुक्त स्वतः रोजगार जेएन राव, जिला बेसिक शिक्षाधिकारी अतुल तिवारी, वंदना द्विवेदी, लाल बचन, नितिन श्रीवास्तव, सुधीर श्रीवास्तव, रंजीत सिंह, अभिषेक, रोहित, काजी जलालुद्दीन, शबनम जहां, समेत अनेक अधिकारी कर्मचारी उपस्थित रहे।

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