वीर भोग्या वसुंधरा कथा कार्यक्रम का दृश्य

‘वीर भोग्या वसुंधरा’ में आचार्य बलूनी की चेतावनी

पंच महाभूत पर जागरूकता जरूरी, इसके बिना मानव कल्याण नहीं

वीर भोग्या वसुंधरा में आचार्य ने पंचमहाभूत से दूर होते मनुष्यों की स्थिति को बताया दुर्भाग्यपूर्ण

संवाददाता

उतरौला, बलरामपुर। वीर भोग्या वसुंधरा जैसे प्रेरक आयोजन के तीसरे दिन कथा व्यास आचार्य सुशील बलूनी ने पंचमहाभूत की वैज्ञानिक व्याख्या प्रस्तुत करते हुए कहा कि इन तत्वों की उपेक्षा आज समाज को शारीरिक और मानसिक दुर्बलता की ओर धकेल रही है। बजाज हिन्दुस्थान शुगर मिल परिसर में चल रही छह दिवसीय कथा के तीसरे दिन उपस्थित श्रोताओं के बीच आचार्य बलूनी का यह वक्तव्य प्रेरणादायी रहा।

उन्होंने बताया कि वीर भोग्या वसुंधरा केवल एक सूक्ति नहीं बल्कि एक जीवन दृष्टि है, जिसमें वीरता, साहस, अनुशासन और आत्मचिंतन जैसे तत्वों की अभिव्यक्ति होती है। उन्होंने कहा कि पंचमहाभूतों पृथ्वी, जल, अग्नि, वायु और आकाश की समझ से न केवल त्रिदोषों को नियंत्रित किया जा सकता है, बल्कि जीवन को आध्यात्मिक और शारीरिक संतुलन की ओर भी अग्रसर किया जा सकता है।

जागरण से ही होगा भाग्य का उदय
‘वीर भोग्या वसुंधरा’ की चर्चा करते हुए आचार्य बलूनी ने कहा कि यदि व्यक्ति अपने शरीर, मन और आत्मा को संतुलित कर लेता है तो वह किसी भी युद्ध का सामना कर सकता है चाहे वह आंतरिक हो या बाहरी। उन्होंने गुरु गोविंद सिंह, महारानी लक्ष्मीबाई, छत्रपति शिवाजी, कबीर और मलूकदास जैसे संत और योद्धाओं के जीवन प्रसंगों से उदाहरण देते हुए बताया कि राष्ट्र की रक्षा के लिए आंतरिक चेतना का जागरण आवश्यक है। उनका कहना था कि वीर भोग्या वसुंधरा का अर्थ केवल भूमि का भोग नहीं है, बल्कि उसके लिए शौर्य, बलिदान और जागरूकता का प्रदर्शन भी है।

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संतुलित मन से ही मिलती है प्रभु कृपा
अपने प्रवचन के दौरान आचार्य बलूनी ने यह भी कहा कि वीरता केवल शारीरिक नहीं, मानसिक भी होती है। यदि समाज का युवा पंचमहाभूतों को समझ कर स्वयं को व्यवस्थित कर ले तो देश अपने आप स्वर्णिम बन जाएगा। उन्होंने चेतावनी दी कि पंचमहाभूतों की उपेक्षा कर आधुनिक जीवनशैली को अपनाना वीर भोग्या वसुंधरा की भावना के विपरीत है। संयमित दिनचर्या, सही आहार, ध्यान और प्राणायाम से ही नयी पीढ़ी भविष्य की रक्षा कर सकती है। मनुष्य की अंतःशक्ति यदि प्रसन्न और संयमित हो तो वह किसी भी बाधा को पार कर सकता है।

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‘वीर भोग्या वसुंधरा’ कथा में सांस्कृतिक कार्यक्रम प्रस्तुत करते श्रद्धालु।

छात्रों की सांस्कृतिक प्रस्तुति ने बांधा समां
कार्यक्रम में बजाज पब्लिक स्कूल के छात्रों द्वारा प्रस्तुत शिव तांडव और आज गली गली जैसे गीतों पर आधारित नृत्य प्रस्तुतियों ने सभी को मंत्रमुग्ध कर दिया। छात्र-छात्राओं की ऊर्जा और प्रस्तुति इस आयोजन का विशेष आकर्षण रही।

चेतना हमारी सबसे बड़ी पूंजी
कथा व्यास आचार्य सुशील बलूनी ने कहा कि हमारी चेतना ही हमारी सबसे बड़ी पूंजी है। यदि हम पंचमहाभूतों को न समझ पाए तो जीवन की बुनियाद ही डगमगाने लगती है। उन्होंने आगे कहा, ‘वीरता का अर्थ केवल तलवार उठाना नहीं, बल्कि धैर्य, अनुशासन और आत्मविजय भी है। वीर भोग्या वसुंधरा की भावना से ही जीवन सार्थक बनता है।’

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युवाओं के लिए प्रेरणा
चीनी मिल के महाप्रबंधक ने इस आयोजन की सराहना करते हुए कहा कि वीर भोग्या वसुंधरा जैसे कार्यक्रम समाज में नई ऊर्जा का संचार करते हैं। उन्होंने आचार्य बलूनी की व्याख्याओं को युवाओं के लिए अत्यंत उपयोगी बताया। उन्होंने कहा कि पंचमहाभूतों की समझ आज के युवाओं के लिए जितनी ज़रूरी है, उतनी ही उनके व्यक्तित्व निर्माण में सहायक भी। ऐसे आयोजन समाज को अपनी जड़ों से जोड़ते हैं और आत्मविश्वास की नींव रखते हैं।

प्रबंधन की गरिमामयी उपस्थिति
इस अवसर पर बजाज चीनी मिल के उपाध्यक्ष राकेश यादव, पावर यूनिट हेड श्रीवास्तव, अशोक पांडे, बृजेश चंद्र मंडल, केपी सिंह, संदीप खोखर, गुरजीत ढिल्लों समेत अनेक अधिकारी मौजूद रहे। महिलाओं, बच्चों और किसानों की उपस्थिति ने आयोजन को जनमानस से जोड़ दिया।

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‘वीर भोग्या वसुंधरा’ कथा में सांस्कृतिक कार्यक्रम प्रस्तुत करते श्रद्धालु।

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