हैलट में सातवें दिन भी जूनियर डाक्टरों का जारी रहा कार्य बहिष्कार

नीट परीक्षा होने के बाद भी जेआर वन को नहीं मिल रहा प्रवेश, काम का बढ़ रहा भार

कानपुर(हि.स.)। गणेश शंकर विद्यार्थी मेडिकल कालेज से संबद्ध हैलट अस्पताल में सातवें दिन जूनियर डाक्टरों ने कार्य बहिष्कार को जारी रखा। शुक्रवार को जूनियर रेजीडेन्ट थ्री ने भी जूनियर रेजिडेन्ट टू का साथ दिया। जूनियर रेजिडेन्ट टू का कहना है कि नीट परीक्षा होने के बाद भी काउंसलिंग नहीं की जा रही है। इससे चयनित जूनियर रेजीडेन्ट वन को प्रवेश नहीं मिल पा रहा है और यहां पर काम का भार बढ़ता जा रहा है।

राष्ट्रीय पात्रता सह प्रवेश परीक्षा स्नातकोत्तर (नीट पीजी) की काउंसलिंग सुप्रीम कोर्ट और सरकार के बीच फंसी हुई है। इसके विरोध में हैलट अस्पतालज में जूनियर रेजीडेन्ट (जेआर) पिछले छह दिनों से कार्य बहिष्कार कर रहे हैं। शुक्रवार को सातवें दिन जेआर की राष्ट्रव्यापी हड़ताल आक्रामक हो गई और जेआर-टू के समर्थन में जेआर-थ्री भी हड़ताल में शामिल हो गए हैं। इस वजह से एलएलआर (हैलट) एवं संबद्ध अस्पतालों में शुक्रवार सुबह से रुटीन के आपरेशन टालने पड़ गए। वहीं, कंसल्टेंट ओपीडी में मरीजों का इलाज करने में जुटे रहे।

इमरजेंसी के बाहर धरने पर बैठे जेआर का कहना था कि जहां एक तरफ कहा जाता है कि देश में डाक्टरों की कमी है, वहीं दूसरी तरफ 40 से 50 हजार डाक्टर अपनी सेवाएं देने के लिए तैयार हैं। उनके पूरे बैच को प्रवेश ही नहीं दिया जा रहा है। डेढ़ साल से बिना जेआर-वन के जूनियर रेजीडेन्ट दिन रात काम कर रहे हैं। फिर भी कोई सुनवाई नहीं हो रही है। ऐसे में जेआर चिकित्सकीय सेवाओं का बहिष्कार करने के लिए मजबूर हुए हैं।

हैलट अस्पताल के प्रमुख अधीक्षक प्रो. आरके मौर्या ने बताया कि ओपीडी का जेआर ने बहिष्कार किया है। हालांकि कंसल्टेंट के साथ सीनियर रेजीडेन्ट, नान पीजी जूनियर रेजीडेन्ट और इंटर्न छात्र-छात्राएं ओपीडी व इनडोर की व्यवस्था संभालने हुए हैं। इमरजेंसी में सिर्फ गंभीर मरीजों का ही इलाज किया जा रहा है। अतिरिक्त नर्सिंग स्टाफ की तैनाती भी की गई है और इमरजेंसी सेवाएं पूरी तरह से बहाल हैं।

error: Content is protected !!