राज्य : कोविड-19 से मरने वाले मुसलमानों को दफन किए जाने का मामला हुआ पेचीदा

कब्रिस्तान कमेटी ने थक-हार कर आम शवों के साथ ही कोविड-19 से मरने वालों को दफन करना शुरू किया
एम. ओवैस

नई दिल्ली (हि.स.)। दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल और उपराज्यपाल सचिवालय की उदासीनता के कारण कोविड-19 महामारी से मरने वाले मुसलमानों को दफन किए जाने का मामला गहराता जा रहा है। आईटीओ स्थित जदीद कब्रिस्तान अहले-इस्लाम में कोविड-19 प्रोटोकॉल के तहत मुस्लिम शवों को दफन करने के लिए अब जगह बिल्कुल भी नहीं बची है। इसकी वजह से कब्रिस्तान इंतेजामियां को काफी मुश्किलों का सामना करना पड़ रहा है। कब्रिस्तान इंतेजामियां को थक हार कर अब आम शवों को दफनाने की जगह पर कोविड-19 से मरने वालों को दफन करने का सिलसिला शुरू कर दिया है।
कब्रिस्तान इंतेजामियां, दिल्ली वक्फ बोर्ड और कई गैर सरकारी संगठनों की तरफ से मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल और दिल्ली के उपराज्यपाल को बार-बार कब्रिस्तान में जगह भरने से सम्बंधित पत्र भेजे जा रहे हैं। उनकी तरफ से इस सिलसिले में कोई कार्रवाई नहीं की जा रही है। मुख्यमंत्री और उप राज्यपाल के उदासीन रवैया को देखते हुए मुसलमानों में काफी बेचैनी भी पाई जा रही है। आईटीओ स्थित जदीद कब्रिस्तान अहले-इस्लाम में मुस्लिम शवों को दफन करने के लिए कोविड-19 प्रोटोकॉल के तहत एक अलग जगह तय की गई थी जो कि अब भर चुकी है। यहां पर तकरीबन 1300 मुस्लिम शवों को दफन किया जा चुका है। इनमें से ज्यादातर लोगों का निधन अस्पतालों में हुआ है जिन्हें यहां लाकर दफन किया गया है। इसमें कई विदेशी नागरिकों के शव भी शामिल हैं।
दिल्ली वक्फ बोर्ड की तरफ से इस सिलसिले में उपराज्यपाल को पत्र भेजकर जानकारी दी गई थी। पत्र के माध्यम से उपराज्यपाल को यह सुझाव भी दिया गया था कि रिंग रोड स्थित मिलेनियम पार्क के पास 5 एकड़ भूमि पर एक कब्रिस्तान मौजूद है जहां पर फिलहाल मुर्दों को दफन नहीं किया जा रहा है। यह जमीन दिल्ली वक्फ बोर्ड की मिल्कियत है। इस कब्रिस्तान को कॉविड-19 महामारी से मरने वाले लोगों को दफन किए जाने के लिए खोल दिया जाए लेकिन अभी तक इस सिलसिले में उपराज्यपाल कार्यालय के तरफ से किसी भी तरह का कोई भी दिशा-निर्देश जारी नहीं किया गया है। 
बताया जाता है कि 5 एकड़ भूमि पर फैले इस कब्रिस्तान में बड़ी संख्या में शव को दफन किया जा सकता है और इस संकट काल में महामारी से निपटने के लिए इसका सही इस्तेमाल किया जा सकता है। कई लोगों का कहना है कि वह अपने शवों को लेकर के इस कब्रिस्तान में दफन करने के लिए गए थे मगर स्थानीय लोगों के विरोध की वजह से उन्हें अपने शव को दफन किए बिना वापस आना पड़ा है। सामाजिक संस्था से जुड़े लोगों का कहना है कि अगर उपराज्यपाल सचिवालय की तरफ से यहां पर सुरक्षा व्यवस्था का इंतजाम कर दिया जाता है तो यहां पर शव को दफनाने का सिलसिला फौरन शुरू किया जा सकता है।

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