‘बुद्धोत्सव’ को सतरंगी आकार दे रहे ‘राम-कृष्ण-गोरक्ष’ की धरती के कलाकार

कुशीनगर (हि.स.)। भगवान श्रीराम के अवतारों में से एक माने जाने वाले तथागत बुद्ध की धरती पर हो रहे ‘बुद्धोत्सव’ को ‘सतरंगी’ आकार देने में अयोध्या के कलाकारों का विशेष योगदान है। कृष्ण जन्मस्थली मथुरा और गोरखनाथ की धरती गोरखपुर के कलाकारों के लोकनृत्य, गायन और वादन से इस उत्सव में चार-चांद लगाने वाला रहा। इन सभी स्थलों से कुशीनगर पहुंचे 300 कलाकारों ने अपनी तैयारियों के हिसाब से प्रदर्शन किया है। इनकी प्रस्तुति को देख मानो भारतीय संस्कृति, श्रीलंकाई तथा बुद्धिज्म का संगम हो रहा हो।

श्रीलंकाई डेलिगेशन के हवाई अड्डा पहुंचने के साथ ही इन कलाकारों ने अपनी लोक प्रतिभा की छटा क्या बिखेरी, वहां मौजूद अतिथियों के चेहरे पर हल्की और खुश करने वाली मुस्कान अनायास ही बिखर गई। माहौल खुशनुमा दिख रहा था।

भगवान कृष्ण की धरती मथुरा से मयूर नृत्य के लिए प्रतिभाग करने वाली में शामिल तीन कलाकार हरीश कुमार, पूजा माहौर और आदित्य ने अपनी कलाकारी से सबक मन मोह लिया। मानो भगवान श्रीकृष्ण रूपी अतिथियों को खुश करने में मोर ने अपनी पूरी ऊर्जा लगा दी हो।

भगवान श्रीराम की जन्मभूमि अयोध्या के दो कलाकार शीतला प्रसाद वर्मा व सुश्री प्रकृति यादव ने फरुआही नृत्य से न सिर्फ लोक परंपराओं में शामिल श्रीराम के दर्शन कराए बल्कि उनके शौर्य और बल का प्रदर्शन भी कराया। विविध लोकनृत्य के कलाकारों ने भी अपनी प्रस्तुति में भगवान श्रीराम को आरोपित करने में कोई कोर कसर नहीं छोड़ी।

भगवान शंकर का अवतारी मने जाने वाले गोरक्षनाथ की धरती गोरखपुर के अजीत उपाध्याय, विंध्याचल आजाद, रामज्ञान यादव, छेदी यादव भी विविध व फरुआही लोकनृत्य से अतिथियों में भारतीय लोक परंपराओं को आरोपित करने का प्रयास किया।

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