प्रधानमंत्री मोदी की अपील का असर, दीपावली पर हो रहे हैं ‘वोकल फॉर लोकल’

रजनीश पाण्डेय
रायबरेली(हि.स.)। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की अपील अब लोगों पर असर कर रही है और इससे प्रभावित होकर इस बार की दीपावली पर लोग ख़ुद लोकल के लिए वोकल बन रहे हैं। बाजारों में जहां मिट्टी की मूर्तियों व दीयों की मांग बढ़ी है वहीं गंगाघाटों व मंदिरों के लिए भी गोबर से दिए बनाये जा रहे हैं।
 दीपावली पर पहले से अलग इस बार इलेक्ट्रिक झालरों व अन्य चाइनीज़ सजावटी समानों की ओर लोगों का रुझान काफी कम हुआ है। प्रधानमंत्री के लोकल फॉर वोकल को लेकर आम लोग खासकर महिलाओं में भी जागरूकता बढ़ी है।
 एक अनुमान के मुताबिक़ जहां अकेले रायबरेली जिले में 5 करोड़ से ज्यादा की इलेक्ट्रिक झालरे व अन्य चाइनीज़ सजावटी समान बिक जाते थे लेकिन इस बार यह बिक्री आधी रहने की संभावना है। प्रमुख व्यापारी नेता और जिला व्यापारी जनअधिकार संगठन के अध्यक्ष अभिलाष चंद्र कौशल का कहना है कि ‘इस बार दीपावली में लोगों का रुझान परम्परागत मिट्टी की दीयों व अन्य समानों की ओर ज्यादा है, बाजारों में इस तरह की भी दुकानों की संख्या पहले से दोगुनी हो गई हैं। इन दुकानों पर हो रही भीड़ बता रही है कि लोग प्रधानमंत्री के लोकल फॉर वोकल को लेकर जागरूक हैं।’
मिट्टी की दीयों और मूर्तियों की बढ़ी बिक्री
 इस बार की दीपावली पहले से कुछ अलग होगी, इसकी झलक बाजारों में हो रही भीड़ से मिल रही है। बाजारों में मिट्टी के दिये पहले की अपेक्षा इस बार ज्यादा बिक रहे हैं। दुकानें भी जहां पहले 500 तक आती थी वहीं जिले भर में करीब 1000 से ज्यादा दुकाने इस बार लगी हुई हैं।बाजार में आने वाले खरीददारों का रुझान मिट्टी के दियों और मूर्तियों को लेकर ज्यादा है। मूर्तियों की दुकान पर अचानक से मिट्टी की मूर्तियों की मांग बढ़ गई है। 
 मिट्टी की मूर्तियां बेचने वाले रमेश, रामलाल और सुरेश कुमार का कहना है कि इस बार मिट्टी की मूर्तियों की मांग बढ़ी है, हालांकि बावजूद इसके यह दुकानों पर उपलब्ध नहीं हो पा रही है।मूर्तिकार राम सजीवन प्रजापति के अनुसार पहले की अपेक्षा छोटी मूर्तियों की मांग काफी ज्यादा है और लोग घरों के लिए मिट्टी की मूर्तियां ही पसंद कर रहे हैं। इससे काफ़ी खुश हैं और मानते हैं कि मोदी जी की बात लोग स्वीकार कर रहे हैं। 
गोबर के दीयों से होंगे मंदिर और गंगातट रोशन
वोकल फॉर लोकल का असर इस बार दीपावली पर मंदिरों और गंगा घाट पर भी दिखेगा।डलमऊ, गोकना आदि महत्वपूर्ण गंगा तटों पर गाय के गोबर से बनाये गए दीयों का प्रयोग करने की तैयारी है। डलमऊ के पथवारी गाय घाट पर 1100 गोबर से बने दीये जलाए जाएंगे। पंचामृत गंगा आरती समूह इसकी तैयारी करते हुए दिया तैयार करा रहा है। गोकना गंगा घाट पर भी पंडित जितेंद्र द्विवेदी गाय के गोबर से दीपावली पर गंगा घाट को रोशन करने की तैयारी कर रहे हैं। प्रमुख मंदिरों पर भी इस बार गाय के गोबर और मिट्टी की दीयों को रोशन करने की तैयारी है। इसके अलावा घरों और गांवों में भी मंदिरों को इलेक्ट्रिक झालरों के प्रति लोगों का रुझान कम हुआ है और लोग पाम्परिक दीयों की ओर रुचि ले रहे हैं। शहर में 9 से 14 नवम्बर तक चल रहे मेले में माटीकला शिल्पमेला में लोगों की आ रही अच्छी खासी संख्या भी इसी बात को साबित कर रही है। इस बार जिस तरह से दीपावली के त्योहार पर पारम्परिक दियों और मूर्तियों की ओर लोगो की रुचि बढ़ रही है और प्रधानमंत्री मोदी के वोकल फॉर लोकल को अपना रहे हैं वह आने वाले समय के लिए एक सुखद तस्वीर दिखा रही है।

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