नेपाल के पानी छोड़ने से कुशीनगर में संवेदनशील हुई स्थिति, बांध पर लोगों ने ली शरण

कुशीनगर (हि. स.)। दो दिनों से हो रही मूसलाधार बारिश व नेपाल के बाल्मीकनगर बराज से नारायणी नदी में भारी मात्रा में पानी छोड़े जाने के कारण कुशीनगर जिले के कई स्थानों पर स्थिति संवेदनशील हो गई है। बुधवार को 1.72 लाख क्यूसेक व गुरुवार को 3.24 लाख क्यूसेक पानी डिस्चार्ज किया गया। पिपरा घाट में जलस्तर खतरा के निशान 76.20 मीटर से 85 सेंटीमीटर नीचे 75.35 मीटर पर आ गया है। शुक्रवार की सुबह तक यह पानी एपी बांध के किमी जीरो तक पहुंचने की संभावना है। इससे जलस्तर बढेगा तो निचले क्षेत्र में एक बार फिर बाढ़ आने की संभावना बलवती हो गई है। 

एकाएक पानी का डिस्चार्ज बढ़ने से विभागीय अधिकारियों के हाथ-पांव फूलने लगे हैं। हालांकि बाढ़ खंड के सहायक अभियंता टीम के साथ बचाव कार्य में जुटे है। बारिश के चलते पिपराघाट-नरवाजोत मार्ग‌ के किमी 0.650 से 1.500 के मध्य नदी कटान कर रही है। लगभग 1.00 किमी लंबाई में नारायणी नदी में कभी भी समा सकता है। नरवाजोत एक्सटेंशन बांध व एपी बांध के बांध के किमी .800 जंगली पट्टी के सामने किमी 1300.00 बाघाचौर व किमी 1400.00 अहिरौलीदान में दबाव के चलते स्थिति संवेदनशील है। अत्यधिक बारिश से बांध पर शरण लिए बाढ़ पीड़ितों के लिए स्थिति नारकीय बन गई है। 
कटान से ग्राम पंचायत अहिरौलीदान के नोनिया पट्टी व डीह टोला के निवासी लल्लन बैठा, रामदेव बैठा, कन्हैया लाल, सुरेन्द्र, नथुनी, राजपति, श्रीकिशुन, हरिलाल, जनक यादव, सुबास यादव, विश्वनाथ यादव आदि लोगों का घर नदी में विलीन हो चुके हैं और ये लोग बांध पर शरण लिए है। 
पीड़ितों ने बताया कि बीस साल पहले ऐसी बाढ़ आई थी। बांध पर ही भोजन बना रहे हैं। ग्रामीणों ने बताया कि नदी का दवाब इतना अधिक है कि कराये गये बचाव कार्य बार—बार नदी में समाहित हो जा रहे हैं। ग्रामीणों में भय का माहौल व्याप्त है। कई ग्रामीण अपने सामान व मवेशियों को लेकर गांव छोड़कर जा चुके हैं। 
जारी है बचाव कार्य
बाढ़ खंड के एसडीओ एसके प्रियदर्शी ने बताया कि बचाव कार्य जारी है। बांध पूरी तरह से सुरक्षित है। नरवाजोत पिपरा घाट मार्ग पर सहायक अभियंता आमोद कुमार सिंह अवर अभियंताओं के साथ बांध पर कैम्प करते हुए लगातार बचाव कार्य में लगे हैं। 

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