दलित उत्पीड़न पर नहीं होनी चाहिए राजनीति : रामदास अठावले

लखनऊ (हि.स.)।  हाथरस मामले को लेकर केंद्रीय सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता राज्य मंत्री और रिपब्लिकलन पार्टी ऑफ इंडिया (ए) के राष्ट्रीय अध्यक्ष रामदास अठावले ने शनिवार को यहां कहा कि दलित उत्पीड़न पर राजनीति नहीं होनी चाहिए। 

रामदास अठावले हाथरस मामले में प्रदेश की राज्यपाल आनंदी बेन पटेल और मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ से वार्ता करने के लिए आज राजधानी लखनऊ पहुंचे हैं। राज्यपाल और मुख्यमंत्री से मिलने से पहले उन्होंने पत्रकारों से कहा कि दलित उत्पीड़न को लेकर सियासत नहीं होनी चाहिए। उन्होंने कहा कि उप्र में हर सरकार में दलितों पर अत्याचार हुए।
केंद्रीय मंत्री ने कहा कि उप्र में सपा संरक्षक मुलायम सिंह यादव की सरकार रही हो अथवा बसपा सुप्रीमो मायावती की। बाद में सपा मुखिया अखिलेश यादव की सरकार बनी, इन सभी के शासन काल में दलितों पर अत्याचार हुए थे। 
उन्होंने कहा कि दलित अत्याचार तभी खत्म होगा जब उच्च वर्ग के लोग दलितों को अपनाएंगे। ऐसे में इस मुद्दे पर राजनीति करना ठीक नहीं है। उन्होंने कहा कि विपक्ष को दलित उत्पीड़न पर राजनीति करने और सरकार को कोसने के बजाय इस मामले में सरकार को अच्छे सुझाव देना चाहिए, ताकि दलित उत्पीड़न रोका जा सके।    अठावले ने कहा कि हाथरस की घटना गंभीर घटना है। मैं कल ही हाथरस जाने वाला था लेकिन प्रशासन की तरफ से बताया गया कि अभी पीड़िता के परिजनों से मिलने नहीं दिया जा रहा है। ऐसे में मैं नहीं गया और लखनऊ आ गया हूं। इस मुद्दे पर मुख्यमंत्री योगी से बात करुंगा। 
कांग्रेस नेता राहुल गांधी पर सवाल उठाते हुए श्री अठावले ने कहा कि वह राजस्थान क्यों नहीं गए। उन्हें पहले वहां जाना चाहिए था। उन्होंने कहा कि जब पुलिस रोक रही थी तो राहुल गांधी को रुकना चाहिए था। 
एक सवाल के जवाब में श्री अठावले ने कहा कि हाथरस की घटना पर मुख्यमंत्री योगी ने सही निर्णय लिया है। उन्होंने कहा कि हालांकि अंतिम संस्कार में गलती हुई है। इस मामले में मैं मुख्यमंत्री से बात करूंगा।  वहां के जिलाधिकारी के खिलाफ भी कार्रवाई होनी चाहिए। 
उन्होंने आज फिर दोहराया कि हाथरस घटना के गुनहगारों को फांसी की सजा मिलनी चाहिए। इस मामले में एक साल के अंदर न्याय होना चाहिए। अठावले ने शुक्रवार को भी दिल्ली में कहा था कि हाथरस की बिटिया को न्याय मिलना चाहिए। अभियुक्तों को फांसी की सजा जरुरी है। 

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