जब बेटे को मां के साथ जबरन सम्बंध बनाने के लिए किया गया मजबूर
देवेश शर्मा
इटावा। 12 सितम्बर 1968 को जिले के बकेवर मे हुए गोलीकांड की याद कर अभी भी लोगों के जेहन में कंपकपी पैदा हो जाती है। सरकारी रिकार्ड की बात की जाए तो इस गोलीकांड में महज कुछ लोग ही मरे थे और यदि प्रत्यक्षदर्शियों की बात की जाए तो इस गोलीकांड में दो दर्जन से अधिक वह लोग मारे गये थे जो कि एक रिश्ते को पुलिस द्वारा शर्मसार करने की घटना को लेकर तत्कालीन सांसद कामरेड अर्जुन सिंह भदौरिया के नेतृत्व में प्रदर्शन कर रहे थे। 12 सितंबर 1968 को जो घटना हुई, उससे घृणित घटना अब तक नहीं हुई जिसमें तत्कालीन पुलिस ने मानवीय संवेदनाओं को तार-तार करते हुए चोरी की घटना के आरोपित एक बेटे को अपनी मां के साथ जबरदस्ती शारीरिक सम्बंध बनाने के लिए मजबूर किया गया था। मानवता को दहलाने वाली यह घटना उस समय पंचो कांड के रुप से चर्चा में आयी थी। इस कंलकित घटना का उल्लेख जिले के महान स्वतंत्रता संग्राम सेनानी, पूर्व सांसद कंमाडर अर्जुन सिंह भदौरिया ने भी अपनी पुस्तक ‘नींव के पत्थर’ मे किया है। दुनिया के किसी कोने में कहीं भी ऐसा उदाहरण नहीं है, जिसमे बेटे को मां के साथ रिश्ते बनाने के लिए मजबूर किया गया हो। इस कंलकित घटना के बारे में पुलिस द्वारा निरीह और निहत्थी जनता पर की गयी गोलीबारी की घटना के प्रत्यक्षदर्शी कम्युनिस्ट नेता स्वराज प्रसाद तिवारी मस्ताना बताते है। घटना के 52 वर्ष बीतने के बाद भी जब लोग इस घटना को याद करते हैं तो उनके शरीर में कपकपी पैदा हो जाती है। कस्बे के वरिष्ठ पत्रकार मंतोष तिवारी भी बताते हैं कि इस कंलकित घटना के विरोध 12 सितंबर को भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी के नेतृत्व में जनता लामबंद हुई और बकेवर थाने पर एक प्रदर्शन का आयोजन किया गया। शांति पूर्वक आंदोलनकारियों को पुलिस ने बर्बर लाठी चार्ज किया और फिर गोली कांड हो गया, जिसमें दर्जनों लोग मारे गए थे। आंदोलन में शहीद लोगों की याद में एक स्मारक बना हुआ है, जिस पर प्रत्येक वर्ष लोग एकत्रित हो उन शहीदों को श्रद्धांजलि देते हैं।