उत्तर प्रदेश में 42 हजार हेक्टेयर क्षेत्रफल पर होती है ग्रीष्मकालीन मूंग

मूंग की खेती करने से खेत में बढ़ती है नाइट्रोजन की क्षमता

कानपुर (हि.स.)। किसान रबी फसलों की कटाई के बाद जायद की दलहनी फसलों की बुवाई करते हैं। दलहनी फसलों में ग्रीष्मकालीन मूंग का बेहतर उत्पादन होता है और उत्तर प्रदेश में करीब 42 हजार हेक्टेयर पर यह फसल उगाई जाती है।

मूंग की खेती से मिट्टी की उर्वरा क्षमता बढ़ती है क्योंकि नाइट्रोजन खेत में पर्याप्त मात्रा में पहुंच जाता है जिससे अगली फसल भी अच्छी होती है। ऐसे में अगर किसान सही समय पर मूंग की खेती करें, तो इससे फसल की अच्छी उपज प्राप्त होती है। इसकी खेती किसी भी प्रकार की भूमि में की जा सकती है हां यह जरुर है कि खेत में फसल की सिंचाई की उचित व्यवस्था होनी चाहिए। यह बातें रविवार को सीएसए के दलहन कृषि वैज्ञानिक डॉ. मनोज कटियार ने कही।

चन्द्रशेखर आजाद कृषि प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय (सीएसए) के लहन वैज्ञानिक डॉ.मनोज कटियार ने बताया कि किसान इस समय गर्मी यानी जायद में बोई जाने वाली मूंग की बुवाई कर सकते हैं। मूंग जैसी दलहनी फसलों की बुवाई से यह फायदा होता है कि यह खेत में नाइट्रोजन की मात्रा को बढ़ाती हैं, जिससे दूसरी फसलों से भी बढ़िया उत्पादन मिलता है। मूंग की फसल के लिए गर्म जलवायु की जरूरत पड़ती है। मूंग की खेती सभी प्रकार की मिट्टी में सफलतापूर्वक की जाती है, लेकिन मध्यम दोमट, मटियार भूमि समुचित जल निकास वाली, जिसका पीएच मान 7-8 हो इसके लिए उत्तम होती है। ग्रीष्मकालीन मूंग का क्षेत्रफल उत्तर प्रदेश में लगभग 42000 हेक्टेयर क्षेत्रफल है, जबकि कानपुर मंडल में ग्रीष्मकालीन मूंग का क्षेत्रफल लगभग 10829 हेक्टेयर क्षेत्रफल है। उन्होंने कहा की ग्रीष्मकालीन मूंग की बुवाई किसान भाई कर चुके हैं अब ग्रीष्मकालीन मूंग का प्रबंधन अत्यंत आवश्यक है। ग्रीष्मकालीन मूंग में सबसे महत्वपूर्ण जल प्रबंधन एवं सिंचाई व्यवस्था होती है।

तीन से चार सिंचाई में तैयार हो जाती है मूंग

डॉक्टर कटियार ने कहा कि किसान भाई मूंग की फसल में पहली सिंचाई बुवाई के 20 दिन पर ही करें। अथवा तापमान के बढ़ने पर जरूरत के अनुसार सिंचाई किसान भाई पहले भी कर सकते हैं। प्रथम सिंचाई के बाद आवश्यकता अनुसार 10 से 12 दिनों के अंतराल पर किसान भाई सिंचाई अवश्य मूंग की फसल में करते रहे। गर्मी की मूंग की फसल में कुल सिंचाई तीन से चार की आवश्यकता होती है। हमेशा किसान भाई यह बात याद रखें कि शाम के समय जब हवा न चल रही हो तब सिंचाई करना चाहिए।

फसल कटाई से पांच दिन पहले बंद कर दें सिंचाई

उन्होंने किसानों को सलाह दी है कि मूंग की फसल में कीट नियंत्रण के लिए किसान डाईमेथॉट 1000 मिली लीटर प्रति 600 लीटर पानी या इमिडाक्लोप्रिड 17.8 एसएल प्रति 600 लीटर पानी में 125 मिलीलीटर के हिसाब से छिड़काव करें। उन्होंने बताया कि गर्मी की मूंग 60 से 65 दिनों में पक कर तैयार हो जाती है। फसल कटाई या फलियों की तूड़ाई के पांच दिन पहले सिंचाई देना अवश्य बंद कर दें।

हरी खाद का काम करते हैं अवशेष

विश्वविद्यालय के मीडिया प्रभारी मृदा वैज्ञानिक डॉ. खलील खान ने बताया कि मूंग की कटाई की अपेक्षा फलियों की तुड़ाई करना ज्यादा हितकारी होता है। इसके पीछे कारण यह है कि फली तोड़ने के बाद फसल अवशेष को खेत में ही रोटावेटर की सहायता से पलट देने से हरी खाद तैयार हो जाती है। यह हरी खाद मृदा की उपजाऊ शक्ति में बढ़ोतरी लाती है।

अजय सिंह

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