अनलॉक में ‘काशी विश्वनाथ कॉरिडोर’ का दिखने लगा स्वरूप, निर्माण कार्य में गति

-मंदिर परिक्षेत्र पर्यटकों के लिए आकर्षण

वाराणसी (हि.स.)। कोरोना संकटकाल के अनलॉक के दौर में  ‘काशी विश्वनाथ कॉरिडोर’ तेजी से आकार लेने लगा है। कॉरिडोर पथ में पड़ने वाले मंदिरों और परिसर का स्वरूप भी दिखने लगा है। 
लॉकडाउन के चलते निर्माण कार्य में आये  गतिरोध के बाद अब परियोजना में कार्य ने गति पकड़ ली है। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के लगातार निर्देश और स्थलीय निरीक्षण से कार्य में तेजी देखने को मिल रही है। 800 करोड़ रुपए की अनुमानित लागत से बन रहे परियोजना को अगस्त 2021 तक देश को समर्पित करना है। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के ड्रीम प्रोजेक्ट में शामिल परियोजना के पूरा होने पर मंदिर परिक्षेत्र का ही नहीं आसपास के इलाके की तस्वीर भी बदल जायेगी। 
परियोजना में श्री काशी विश्वनाथ मंदिर को सीधे गंगा के किनारे ललिता घाट और मणिकर्णिका घाट से जोड़ा जाना था। मणिकर्णिका घाट और जलासेन घाट के बीच से काशी विश्वनाथ के गर्भ गृह तक जाने वाला रास्ता लगभग तैयार हो चुका है।
परियोजना से जुड़े अफसरों के अनुसार मंदिर में दर्शन के लिए आने वाले श्रद्धालु गंगा स्नान के बाद सीधे आसानी से दरबार में जाकर दर्शन पूजन कर सकेंगे। परियोजना में मंदिर प्रांगण के विस्तार में दोनों तरफ़ श्रद्धालुओं के लिए विश्रामालय, संग्रहालय, वैदिक केंद्र, वाचनालय, दर्शनार्थी सुविधा केंद्र, व्यावसायिक केंद्र, पुलिस एवं प्रशासनिक भवन, वृद्ध एवं दिव्यांग के लिए एस्‍केलेटर एवं मोक्ष भवन इत्यादि निर्मित किए जाएंगे। 
विश्‍वनाथ धाम में दो परिसर होंगे। मुख्‍य परिसर मंदिर के चारों ओर होगा और चार प्रवेश द्वार होंगे। घाट और मंदिर परिसर को जोड़ने के लिए एक विशाल प्रवेश द्वार होगा। इसे पार करते ही मंदिर चौक सामने होगा। मणिकर्णिका घाट के ऊपर विशाल मंच बनाने के बाद मंदिर परिसर को जोड़ने के लिए पाथवे भी बनेगा। घाट पर बने मंच से मणिकर्णिका घाट के साथ जलासेन और ललिता घाट काे भी पर्यटक देख सकेंगे।धाम परियोजना पूरी होने के बाद  मंदिर में दर्शन करने वाले श्रद्धालुओं की संख्या भी बढ़ जायेगी। धाम और मंदिर परिक्षेत्र पर्यटकों के लिए भी आकर्षण का केंद्र हो जायेगा। 

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