अंधापन मुक्त भारत निर्माण में आयुर्वेद की पहल,नेत्र विकार से पीड़ितों को हो रहा लाभ

आयुर्वेद आई ड्राप के सकारात्मक परिणाम,चार समूह में बॉट कर प्रभाव का अध्ययन कर विश्लेषण

वाराणसी (हि.स.)। अंधापन मुक्त भारत निर्माण में आयुर्वेद विशेषज्ञ भी पहल कर रहे हैं। विभिन्न प्रकार के दृष्टिदोष जिसमें मोंतियाबिंद भी शामिल है, के सहज और सुरक्षित इलाज के लिए आईसोटीन आई ड्राप बनाया गया है। इस आई ड्राप का तीन सौ रोगियों पर चिकित्सकीय प्रभाव का परीक्षण करने के बाद परिणाम मिला। इस दवा से 88 फीसद नेत्र विकार के रोगियों को लाभ मिला है। यह जानकारी काशी हिन्दू विश्वविद्यालय (बीएचयू) आयुर्वेद संकाय के पूर्व संकाय प्रमुख एवं यामिनी इन्नोवेशन्स के प्रो.यामिनी भूषण त्रिपाठी ने दी।

उन्होंने बताया कि आयुर्वेद में इस आई ड्राप के प्रयोग से अपेक्षा से अधिक नेत्र विकार में सकारात्मक परिणाम मिला है। उन्होंने बताया कि बरेली स्थित बासु आई हास्पिटल में 2018—20 तक पंजीकृत नेत्र विकार के रोगियो पर इस ड्राप के प्रभाव का एक वैज्ञानिक अध्ययन बीएचयू के आयुर्वेद संकाय के वैज्ञानिकों ने किया। अध्ययन इंटरनेशनल जर्नल आफ फार्मास्युटिकल साइंस एंड रिसर्च जर्नल में भी प्रकाशित किया है।

अध्ययन के दौरान 308 रोगियों को चार समूहों में बांट कर आई ड्राप के प्रभाव का विश्लेषण किया गया। इसमें पहला समूह वैसे रोगियों का था जिन्होंने कम पावर का चश्मा लगाया था। दूसरे समूह में वे रोगी थे जिनकी दृष्टिदोष 6/18 तक थी। चौथा समूह उन रोगियों का था जो डब्ल्यू एचओ के अनुसार अन्धेपन की श्रेणी में आते है। अध्ययन में बताया गया कि तीन माह तक आईसोटीन ड्राप के प्रयोग से रोगियों के दूर दृष्टि एवं निकट दृष्टि दोष में महत्वपूर्ण बदलाव आया। प्रो. त्रिपाठी के अनुसार विभिन्न समूहों के विशिष्ट अध्ययन से पता चला कि समूह एक और दो के 91 फीसद रोगियों का चश्मा उतर गया। समूह तीन के 47 फीसद रोगियों के चश्मे का पावर घट गया। समूह चार में अंधेपन से ग्रसित 61 फीसद रोगियों की कुछ हद रोशनी वापस आ गईं । प्रो. त्रिपाठी ने बताया कि उनके निर्देशन में यह शोध किया गया। इस आई ड्राप का रसायनिक विश्लेषण आईआईटी बॉम्बे की प्रयोगशाला में कराया गया। यहां भी इसे सुरक्षित आयुर्वेद आई ड्राप बताया गया।

श्रीधर

error: Content is protected !!