वक्फ संशोधन अधिनियम पर बवाल, खौफनाक हिंसा से सहमा मुर्शिदाबाद
वक्फ संशोधन अधिनियम बना विवाद की जड़, विरोध के बीच चाकूबाजी और गोलीबारी
मुर्शिदाबाद में धारा 163 लागू, इंटरनेट सेवाएं बंद, हालात नियंत्रण में लाने की कोशिश
राज्य डेस्क
कोलकाता। पश्चिम बंगाल का मुर्शिदाबाद जिला इन दिनों भय और तनाव के माहौल से गुजर रहा है। वक्फ संशोधन अधिनियम के खिलाफ जारी विरोध प्रदर्शनों के बीच शुक्रवार को भड़की हिंसा ने दो लोगों की जान ले ली है और दर्जनों को घायल कर दिया है। पुलिस ने शनिवार को पुष्टि की कि शमसेरगंज क्षेत्र के जाफराबाद में एक ही परिवार के दो सदस्यों के शव उनके घर से बरामद किए गए, जिनपर चाकू से हमला किया गया था। एक अन्य घटना में धुलियान इलाके में गोलीबारी की भी खबर है। इन घटनाओं ने पूरे जिले में दहशत फैला दी है।
इकबाल और फहीम की हुई मौत
पुलिस के अनुसार, वक्फ संशोधन अधिनियम पर हुए बवाल में मृतकों की पहचान 55 वर्षीय इकबाल और उनके 26 वर्षीय पुत्र फहीम के रूप में हुई है। दोनों घर के अंदर अचेत अवस्था में पाए गए और अस्पताल ले जाने पर मृत घोषित कर दिए गए। स्थानीय परिवार का आरोप है कि उपद्रवियों ने उनके घर में लूटपाट की और जानलेवा हमला किया। पुलिस ने बताया कि इन घटनाओं के बाद जिले के कई हिस्सों में धारा 163 लागू कर दी गई है और एहतियातन इंटरनेट सेवाएं बंद कर दी गई हैं। सुरक्षा बलों की तैनाती बढ़ा दी गई है और संवेदनशील इलाकों में फ्लैग मार्च किए जा रहे हैं।
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वक्फ (संशोधन) अधिनियमः क्या है विवाद की जड़?
वक्फ एक्ट 1995 में बने मूल अधिनियम में हाल ही में संशोधन कर केंद्र सरकार ने कुछ प्रावधानों में बदलाव किए हैं, जिनमें वक्फ संपत्तियों के रजिस्ट्रेशन, विवाद निपटान प्रक्रिया और राज्य वक्फ बोर्ड की शक्तियों को लेकर संशोधन शामिल हैं। खासतौर पर वक्फ संशोधन अधिनियम वक्फ संपत्तियों पर सरकारी निगरानी को बढ़ाते हैं, जिसे कुछ मुस्लिम संगठन अपने धार्मिक अधिकारों में हस्तक्षेप मान रहे हैं। संशोधन के अनुसार, अब केंद्र को यह अधिकार मिल गया है कि वह किसी भी वक्फ संपत्ति की निगरानी और प्रबंधन में हस्तक्षेप कर सकता है, जबकि पहले यह पूरा अधिकार राज्य वक्फ बोर्ड के पास था। इसके अलावा कई राज्यों में बिना मुस्लिम प्रतिनिधित्व के बोर्ड बनाए जाने का आरोप भी लगा है।
धार्मिक संगठनों की प्रतिक्रिया
ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड और जमीयत उलेमा-ए-हिंद जैसे प्रमुख संगठनों ने वक्फ संशोधन अधिनियम को मुस्लिम समुदाय के अधिकारों पर हमला बताया है। बोर्ड ने एक बयान में कहा कि यह कदम मुस्लिम समुदाय की धार्मिक और सांस्कृतिक स्वायत्तता को खत्म करने की दिशा में एक खतरनाक संकेत है। स्थानीय मस्जिदों और मदरसों में वक्फ संशोधन अधिनियम के खिलाफ लोगों को जागरूक किया जा रहा था, जिसके बाद शुक्रवार को विरोध प्रदर्शन हिंसक हो गया। कई स्थानों पर पत्थरबाजी, आगजनी और दुकानों में तोड़फोड़ की घटनाएं सामने आई हैं।
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राजनीतिक बयानबाजी तेजः केंद्र बनाम राज्य
मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने इन घटनाओं पर दुख जताते हुए केंद्र सरकार को आड़े हाथों लिया है। उन्होंने आरोप लगाया कि वक्फ संशोधन अधिनियम के माध्यम से केंद्र सरकार राज्य के अधिकारों और धार्मिक अल्पसंख्यकों की स्वतंत्रता पर हमला कर रही है। वहीं, भाजपा के प्रवक्ता ने बयान दिया कि वक्फ संशोधन अधिनियम से वक्फ बोर्ड की पारदर्शिता बढ़ेगी और अवैध कब्जों को रोका जा सकेगा। उन्होंने कहा कि हिंसा के लिए राज्य सरकार की लापरवाही जिम्मेदार है, क्योंकि कानून व्यवस्था राज्य का विषय है।

कानूनी विशेषज्ञों की राय
विधि विशेषज्ञों का मानना है कि वक्फ संशोधन अधिनियम को लेकर देश में पहले से ही कई विवाद चल रहे हैं, और यह संशोधन इन्हें कम करने की दिशा में एक प्रयास हो सकता है, बशर्ते इसका क्रियान्वयन पारदर्शी और धर्मनिरपेक्ष तरीके से किया जाए। लेकिन राजनीतिक और धार्मिक टकराव के माहौल में इस संशोधन की समय-सीमा और प्रक्रिया पर भी सवाल उठ रहे हैं।
स्थिति नियंत्रण में लेकिन तनाव बरकरार
वक्फ संशोधन अधिनियम पर बवाल के बाद पुलिस ने अब तक आठ संदिग्धों को हिरासत में लिया है और दावा किया है कि स्थिति नियंत्रण में है। हालांकि, स्थानीय लोग अभी भी डरे हुए हैं और कई इलाकों में बाजार बंद हैं। स्कूल-कॉलेजों की छुट्टी कर दी गई है और जिलाधिकारी ने लोगों से शांति बनाए रखने की अपील की है।

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