UP News : पत्थर उखड़ते ही दिवाली का आगाज : अनूठी परम्परा

– हजारों साल पुरानी परम्परा के इस खेल की मची धूम

– मंदिरों में भी भजन कीर्तन के बाद हुआ दिवाली नृत्य 
हमीरपुर (हि.स.)। जनपद के सरीला कस्बे में एक अनूठी परम्परा की दिवाली देखने को लोगों की भीड़ उमड़ती है लेकिन कोरोना संक्रमण काल में भी इस परम्परा का आगाज पत्थर उखाडऩे के बाद कर दिया गया है। पूरे कस्बे में ढोल नगारों के बीच दिवाली नृत्य टोलियां दिवाली खेलती रही। 
जनपद के सरीला कस्बे के अस्थाई मांझखोर मुहाल में दशहरे के दिन एक बड़ा पत्थर गाड़ने की प्रथा है। यह पत्थर दशहरे के दिन विधि विधान से जमीन में गाड़ा गया। दीपावली की आधी रात के बाद कस्बे में दिवाली नृत्य की टोलियों ने नृत्य करते हुये इस पत्थर को उखाड़कर दिवाली का आगाज कर दिया है। कस्बे के पहाड़ी तालाब स्थित हनुमान जी के मंदिर पर भी दिवाली नृत्य की टोलियां पहुंचती है और वहां माथा टेकने के बाद मंदिर के बाहर दिवाली खेली जाती है। मौन चराने वाले भी यहां इस स्थान पर दिवाली नृत्य करते है। 
समाजसेवी महेन्द्र सिंह राजपूत ने बताया कि इस स्थान पर दशहरे के  दिन गाड़े गये पत्थर को उखाड़कर दिवाली का आगाज किये जाने की हजारों साल पुरानी परम्परा है। इस परम्परा को लेकर यहां तैयारियां शुरू कर दी गयी है। दीपावली के दिन ही इस पुरानी परम्परा का आगाज होगा। उन्होंने बताया कि यादव समाज के लोगों में पत्थर उखाड़ने की परम्परा है जिसे बड़े ही उत्साह के साथ इसे निभाते है। 
डा.भवानीदीन ने बताया कि दीपावली की रात्रि में ही पत्थर उखाड़ने के बाद दिवाली नृत्य की टोलियां पूरी रात दिवाली खेलती है। यह परम्परा बहुत पुरानी है जिसे देखने के लिये आसपास के तमाम गांवों से लोग यहां आते है। सरीला कस्बे में हजारों साल पुराने सल्लेश्वर मंदिर, बड़ी माता मंदिर, कालिका देवी मंदिर व क्षेत्र के करियारी में सौरामठ पर भी दिवाली नृत्य की टोलियां दिवाली खेलेगी। भइया दूज पर दिवाली नृत्य टोलियों की प्रतियोगितायें भी होती है। दिवाली नृत्य टोलियां पुरस्कृत भी की जाती है। 

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