UP News : अन्नपूर्णा के दरबार में सजी छप्पन भोग की झांकी,भोग प्रसाद पाने की होड़

-बाबा विश्वनाथ सहित सभी प्रमुख मंदिरों में हुआ अन्नकूट श्रृंगार, देशी घी के लड्डूओं से बने शिवालय
वाराणसी (हि.स.)। दीपावली के दूसरे दिन अन्नकूट पर्व पर रविवार को अन्नपूर्णा दरबार में छप्पन भोग की झांकी सजी। पूर्वाह्न में दर्शन के लिए कतारबद्ध श्रद्धालु स्वर्णमयी अन्नपूर्णा के दरबार में अन्नकूट की झांकी दर्शन देखकर निहाल हो गये। पर्व पर अन्नपूर्णा मंदिर के गर्भगृह में लड्डुओं से मंदिर बनाया गया। 
मंदिर के उप महंत शंकर पुरी के अगुवाई में मध्याह्न भोग आरती के बाद भोग प्रसाद भक्तों में वितरित हुआ। पर्व पर मंगला आरती के बाद श्री काशी विश्वनाथ दरबार में भी लड्डूओं से भव्य मंदिर बनाया गया। इसकी तैयारी मंदिर बंद होने के बाद शुरू कर दी गई। पर्व पर कई कुन्तल देशी घी के लड्डू सहित दाल-चावल,पूड़ी-सब्जी और विभिन्न प्रकार के मेवे और फल का भोग बाबा विश्वनाथ को लगाया गया। 
दरबार में अन्नकूट की झांकी दर्शन के लिए श्रद्धालुओं की लंबी कतार लगी। शहर के अन्य मंदिरों काशी विश्वनाथ मंदिर परिक्षेत्र स्थित ढुंढिराज गणेश, शनि मंदिर, कैलाश मंदिर, अक्षयवट हनुमान मंदिर, साक्षी विनायक मंदिर, विशालाक्षी मंदिर सहित अन्य मंदिरों में भी अन्नकूट श्रृंगार में छप्पन भोग की झांकी सजाई गई। दर्शन पाने के लिए घंटों पहले से ही श्रद्धालु कतारबद्ध रहे। श्रद्धालुओं ने अन्नकूट का भोग-प्रसाद मंदिर परिसर के अन्नक्षेत्र में ग्रहण किया। अन्न से बनाए गए पर्वत को प्रसाद के रूप में पाने की श्रद्धालुओं में होड़ मची रही। इसी क्रम में मछोदरी स्थित स्वामी नारायण मंदिर में छप्पन भोग की झांकी की सजाई गई। महंत प्रेम स्वरूप दास और पुजारी घनश्याम मेहता ने भक्तों में प्रसाद वितरित किया। 
-स्वर्णमयी अन्नपूर्णा का दर्शन अब एक साल बाद मिलेगाश्री काशी विश्वनाथ मंदिर परिक्षेत्र स्थित मां अन्नपूर्णा के स्वर्णमयी विग्रह का दर्शन एक अगले वर्ष धनतेरस पर्व पर मिलेगा। वर्ष में सिर्फ चार दिन ​ही स्वर्णमयी प्रतिमा का दर्शन श्रद्धालुओं को मिलता है। अन्तिम दिन मां के स्वर्णमयी स्वरूप और अन्नकूट की झांकी देखने के लिए श्रद्धालुओं का सैलाब उमड़ पड़ा। अन्नकूट पर्व पर परम्परानुसार माता को छप्पन भोग लगाया गया। लड्डू, मगदल, बालूशाही, खुरमा,चंद्रकला, काजू बर्फी, काजू बिस्किट, बादाम बर्फी, अंजीर हलवा, बादामहलुवा, मूंग हलुआ, काजू नमकीन, पंचमेवा नमकीन आदि मिठाइयों के साथ पांच प्रकार की दाल, सवा कुन्तल चावल, 16 प्रकार के पकौड़े, सहित छप्पन प्रकार के व्यंजन भोग में शामिल रहा। पर्व पर महंत रामेश्वरपुरी के अगुवाई में रात्रि 11 बजे स्वर्णमयी प्रतिमा की विशेष महाआरती होगी। उसके बाद स्वर्णमयी विग्रह का पट आमजन के लिए पूरे एक वर्ष के लिए बंद हो जायेगा।

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