Lucknow News :ज्ञान महज एक सैद्धांतिक पक्ष नहीं है बल्कि उसका एक व्यवहारिक पक्ष : योगी आदित्यनाथ
-लखनऊ विश्वविद्यालय के शताब्दी समारोह का किया शुभारम्भ
लखनऊ (हि.स.)। लखनऊ विश्वविद्यालय अपनी स्थापना के सौ वर्ष होने के साथ ढेर सारी उप्लब्धियांं लाया है। ये कोरोना की चुनौती है। साथ ही नई शिक्षा नीति भी आई है। दोनों में से बहुत कुछ हम ले सकते हैं। सामान्य अवसर पर सब योग्यता प्रदर्शित कर सकता है। लेकिन, चुनौती से तप कर ही सोना बनता है। कोरोना काल में शिक्षा को आगे बढ़ाया जा रहा है। ये लखनऊ विश्वविद्यालय की उपलब्धि है।
यह बातें मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने गुरुवार को लखनऊ लखनऊ विश्वविद्यालय के शताब्दी वर्ष समारोह के उदघाटन अवसर पर कहीं। उन्होंने कहा कि लखनऊ विश्वविद्यालय की सौ वर्ष की शानदार यात्रा के लिए बधाई। सौ वर्ष की जीवंत यात्रा को अगले सौ साल तक कायम रखें।
मुख्यमंत्री ने कहा कि लोकल फॉर वोकल को भी लखनऊ विश्वविद्यालय ने बढ़ावा दिया है। सौ साल की उपलब्धियां बहुत हैं। एक भारत श्रेष्ठ भारत को भी लखनऊ विश्वविद्यालय ने आगे बढ़ाया। अपने सौ वर्षों की यात्रा को याद करते हुए लखनऊ विश्वविद्यालय बड़े गौरव के साथ कह सकता है कि हमने इस देश को राष्ट्रपति से लेकर न्याय की उत्कृष्टता को बनाए रखने के लिए न्यायमूर्ति, प्रशासनिक अधिकारी और भारत के लोकतंत्र की मजबूती के लिए अनेक नेता भी दिए हैं। लखनऊ विश्वविद्यालय ने शोध की उत्कृष्टता के लिए हमें आचार्य व वैज्ञानिक दिए हैं। व्यापार व निवेश के क्षेत्र में कार्य करने वाले अनेक उद्योगपति भी दिए हैं। स्वाभाविक रूप से एक लंबी श्रृंखला है। इस श्रृंखला को संजोने का अवसर भी यह शताब्दी वर्ष प्रदान कर रहा है।
विभिन्न क्षेत्रों में उत्कृष्ट छात्र देने वाला लखनऊ विश्वविद्यालय जब अपना मूल्यांकन करेगा, तो मूल्यांकन में यह सब एक-एक नग और उपलब्धि के रूप में विश्वविद्यालय के साथ जुड़ता हुआ दिखाई देगा।
मुख्यमंत्री ने कहा कि ध्यान रहे ज्ञान महज एक सैद्धांतिक पक्ष नहीं है बल्कि उसका एक व्यवहारिक पक्ष भी है। जब हम इन दोनों के मध्य समन्वय स्थापित करेंगे, तो हमारा नौजवान अपना पाठ्यक्रम पूरा करने के बाद खुद को असहाय महसूस नहीं करेगा बल्कि अपने पैरों पर खड़ा होकर आगे बढ़ाने में सक्षम होगा, जो समाज और राष्ट्र के लिए भी नया संदेश देगा।
उन्होंने कहा कि भारत में ज्ञान की बात केवल परीक्षा पास करने तक नहींं है। हमारा उद्देश्य सा विद्या या विमुक्तकये है। नई शिक्षा नीति भी है। हम इस नीति पर चलेंगे तो हमारा कोई विद्यार्थी डिग्री पाने के बाद असहाय नहीं होगा। ये ही राष्ट्रीय शिक्षा नीति का सार है। राष्ट्रीय शिक्षा नीति को साथ जोड़ना होगा।
मुख्यमंत्री ने कहा कि देखा गया है कि हमने संस्थान खोल दिये। लेकिन, उनको जनसरोकार से दूर कर दिया। संस्थान का हिस्सा केवल छात्र या आचार्य ही नहीं होते हैं। अभिभावक और पूर्व छात्र बहुत महत्वपूर्ण होते हैं। हम ज्ञान को सीमित नहीं कर सकते हैं।
मुख्यमंत्री ने कहा कि कोई भी समाज सरकार के आगे चलेगा तभी वह स्वाबलम्बी बनेगा। स्वाबलम्बी समाज ही आत्मनिर्भर होगा। दुर्भाग्य से आजादी के बाद देश इसी हालात में रहा है। मगर प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने देश को बदल दिया है। उन्होंने आत्मनिर्भर भारत को शुरू किया है। उत्तर प्रदेश सरकार ने काम शुरू किया है। हमने उत्तर प्रदेश दिवस का कार्यक्रम 24 जनवरी को मनाया। प्रथम स्थापना दिवस 69 वर्ष के बाद मनाया गया। 2018 में हमने एक जनपद एक उत्पाद का कार्यक्रम शुरू किया। आज केंद्रीय बजट में इसको लागू किया गया। पूरे देश में इसको लागू किया जा रहा है। यही आत्मनिर्भर भारत की नींव है। हर एक हाथ को काम मिलेगा।
मुख्यमंत्री ने कहा कि उन्होंने एक तकनीकी संस्थान के बीस विद्यार्थी बुलाए। वे स्टार्टअप शुरू करना चाहते थे। वे पूंजी चाहते थे। स्टार्टअप, स्टैंडअप और मुद्रा योजना की जानकारी उनको नहीं थी। जो नवाचार के जरिये स्वयं का काम करना चाहते थे वे वंचित हैं। उनको काम नहीं मिला है। हमको सोचना पड़ेगा। वोकल फॉर लोकल होना पड़ेगा।
उन्होंने कहा कि हमने एक जिला एक उत्पाद पर काम किया था। हर जिले की मैपिंग करवाई। हमारा हर जनपद बहुत सम्पन्न है। हमारी पर कैपिटा इनकम देश से ज्यादा थी। लेकिन, हम एक तिहाई तक आ गए। उन्होंने कहा कि यहां का ऊर्जावान युवा पलायन तभी करेगा जब हम स्थानीय उत्पाद को आगे नहीं बढाएंगे। भारत को आत्मनिर्भर बनाना है तो इसके लिए उत्तर प्रदेश को आगे बढ़ाना होगा।
उपमुख्यमंत्री डॉ. दिनेश शर्मा ने कहा कि मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ का शिक्षा में लगाव रहा है। विश्वविद्यालय में जिस तरह की सहायता की जरूरत होती है वे करते हैं। वे कोरोना काल में लगे रहे। कई अवसरों पर उन्होंने ध्यान दिया है। उन्होंने कहा कि लखनऊ विश्वविद्यालय में अनेक शोध हुए हैं। कई शोध पीठ का निर्माण किया गया है। सरकार लगातार धनराशि उपलब्ध करवा रही है। सेंटर आफ एक्सीलेंस के ढाई करोड़ से अधिक की धनराशि दी गई है। डिजिटल लाइब्रेरी में 11,000 ई कंटेंट आए। डिजिटल लायब्रेरी में अनेक अहम लेक्चर निश्शुल्क उपलब्ध हैं। मेस के निर्माण के लिए तीन करोड़ रुपये दिए। आवासों के निर्माण के लिए भी बजट उपलब्ध करवाया गया।
इस मौके पर कुलपति प्रो. आलोक कुमार राय ने कहा कि लखनऊ विश्वविद्यालय ने अनेक उपलब्धियां प्राप्त की हैं। नई शिक्षा नीति के 60 फीसद प्रावधान का पालन करने वाला पहला विश्विद्यालय है। नया डिलिट् आर्डिनेंस और पीएचडी आर्डिनेंस का पालन किया है। विद्यार्थियों के लिए काम हो रहे हैं। उन्होंने कहा कि हमने फैकल्टी ऑफ योग और सेंटर आफ नैनो साइंस की स्थापना की है। आध्यात्मिक विकास के लिए हैप्पी थिंकिंग लैब, इस्कॉन और ब्रह्मकुमारी से एमओयू किया, जिससे हम अपने दर्शन की ओर मोड़ा है।