Gonda : घातक बीमारियों से बचाव के लिए टीकाकरण जरूरी

विकास भवन में जनपद स्तरीय अभिमुखीकरण कार्यशाला आयोजित

संवाददाता

गोंडा। टीकाकरण के माध्यम से हमारा देश दो घातक एवं लाइलाज बीमारियों वर्ष 1977 में चेचक और 2012 में पोलियों से मुक्त घोषित किया जा चुका है। मां और बच्चे को होने वाली टिटनेस जैसी बीमारी लगभग खत्म होने की कगार पर है। टिटनेस एवं डिप्थीरिया के मामलों में 95 फीसदी तक की कमी दर्ज की गयी है। ये आंकड़े दर्शाते हैं कि टीकाकरण कार्यक्रम बच्चों को ऐसी बीमारियों से बचाव में प्रभावी हैं, जिनके लिए टीका उपलब्ध है। उक्त बातें मुख्य विकास अधिकारी गौरव कुमार ने बताई। वह शुक्रवार को विकास भवन सभागार में स्वास्थ्य विभाग के तत्वाधान में यूनिसेफ के सहयोग से नियमित टीकाकरण कार्यक्रम अन्तर्गत ब्लॉक रिस्पॉस टीम (बीआरटी) की जनपद स्तरीय अभिमुखीकरण कार्यशाला को सम्बोधित कर रहे थे। उन्होंने कहा कि बीमारियों से बचाव हेतु सरकार निःशुल्क टीकाकरण की सेवाएं वीएचएसएनडी सत्र (ग्राम स्वास्थ्य स्वच्छता एवं पोषण दिवस) के माध्यम से लोगों के घरों के बेहद नजदीक ही उपलब्ध करा रही है, जिससे उन्हें कहीं जाना न पड़े, आने-जाने पर कोई खर्चा न हो और टीकाकरण कराने के लिए लंबा इंतजार भी न करना पड़े। इसके बाद भी बहुत से परिवार जानकारी के अभाव में अपने बच्चों का टीकाकरण नहीं कराते हैं। इसके लिए सीडीओ ने प्रतिभागियों से अपील किया कि समुदाय तक सही जानकारी पहुंचाएं और झिझक उदासीन परिवारों को बच्चों का टीकाकरण निर्धारित आयु पर कराने के लिए प्रेरित करें।
सीएमओ डॉ रश्मि वर्मा ने कहा कि नियमित टीकाकरण में सुधार लाने के लिए हमें एकजुट होकर कार्य करना होगा। नियमित टीकाकरण बच्चों व माताओं को जानलेवा बीमारियों से बचाने का सशक्त माध्यम है। शत-प्रतिशत लक्ष्य की प्राप्ति के लिए आंकड़ों का संकलन व बेहतर कार्य योजना जरूरी है। जिला प्रतिरक्षण अधिकारी डॉ जय गोविन्द ने बताया कि टीकाकरण बच्चों को टीबी, हेपेटाइटिस-बी, पोलियो, काली-खांसी, डिप्थीरिया, टिटनेस, हिब इन्फेक्शन, निमोनिया, दस्त, खसरा व रूबेला और दिमागी बुखार जैसी 12 जानलेवा बीमारियों से बचाता है। टीकाकरण न कराने से बच्चे इनके शिकार हो सकते हैं। डीएमसी यूनिसेफ शेषनाथ सिंह ने प्रतिभागियों को टीकाकरण से मना करने वाले परिवारों के कारण और उनके सम्भावित जवाब पर जानकारी दी। ‘बच्चों को टीके लगवाना क्यों जरूरी है’, ‘हमने तो अपने किसी बच्चे को कोई टीके नहीं लगवाए और हमारे सारे बच्चे तंदुरुस्त हैं’, ‘मेरे बच्चे की बांह जांघ पर टीका लगा था, वह पक गया था अब हम टीका नहीं लगवाएंगे’, ‘हमारे धर्म में बीमारी से बचाव हेतु टीका लगवाना जरूरी नहीं है’ आदि पर विस्तृत चर्चा किया। डीएमसी ने बताया कि इस दो दिवसीय कार्यशाला के पहले दिन 22 नवम्बर को गोंडा अर्बन, इटियाथोक, पंडरी कृपाल, रुपईडीह, मुजेहना, कटरा बाज़ार, हलधरमऊ, कर्नलगंज व बभनजोत तथा दूसरे दिन 25 नवम्बर को नवाबगंज, बेलसर, तरबगंज, परसपुर, वजीरगंज, छपिया, मनकापुर व काजीदेवर के एमओ, बीपीएम, बीसीपीएम, हेल्थ सुपरवाइजर व हेल्थ विजिटर अभिमुखीकरण किया गया। इस मौके पर एसीएमओ डॉ आदित्य वर्मा, रीजनल कोऑर्डिनेटर सतीश कुमार, डीसीपीएम डॉ आरपी सिंह, वैक्सीन स्टोर इंचार्ज पंकज तिवारी, यूएनडीपी के प्रतिनिधि राजेश सिंह व सीएचएआई के सत्येन्द्र कुमार सहित अन्य लोग मौजूद रहे।

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जानकी शरण द्विवेदी

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