गैस सिलेंडर की कीमतों में बेतहाशा वृद्धि, उपभोक्ता चौंकें
तेल कंपनियों ने 50 रुपए बढ़ा दिए घरेलू गैस सिलेंडर के दाम, मंत्री ने की पुष्टि
बिजनेस डेस्क
नई दिल्ली। गैस सिलेंडर के दामों में अप्रत्याशित बढ़ोतरी ने आम आदमी की रसोई का बजट बिगाड़ दिया है। तेल विपणन कंपनियों द्वारा 14.2 किलोग्राम वाले घरेलू एलपीजी सिलेंडर की कीमत में 50 रुपये की सीधी बढ़ोतरी की घोषणा से देशभर में उपभोक्ताओं में असंतोष देखा जा रहा है। एक अप्रैल से लागू इस वृद्धि के बाद दिल्ली में एलपीजी सिलेंडर की कीमत 853 रुपये हो गई है, जो पहले 803 रुपये थी। यही सिलेंडर कोलकाता में 879 रुपये, मुंबई में 852.50 रुपये और चेन्नई में 868.50 रुपये में बिक रहा है। पिछले महीने कोई बदलाव नहीं किया गया था, जिससे उपभोक्ताओं में यह विश्वास बना था कि सरकार और कंपनियां कीमतों को स्थिर रखने की दिशा में काम कर रही हैं। लेकिन अचानक आई इस वृद्धि ने उस विश्वास को कमजोर किया है।
कामर्शियल गैस सिलेंडर की कीमत यथावत
इस बार 19 किलोग्राम वाले कमर्शियल एलपीजी सिलेंडर की कीमतों में कोई बदलाव नहीं किया गया है, जिससे रेस्टोरेंट, ढाबा और छोटे उद्योगों को अस्थायी राहत मिली है। लेकिन घरेलू उपभोक्ता इससे प्रभावित हुए हैं, जो लगातार महंगाई से जूझ रहे हैं। इस निर्णय के पीछे तेल कंपनियों का तर्क है कि अंतरराष्ट्रीय बाजार में कच्चे तेल की कीमतों में उतार-चढ़ाव, मुद्रा विनिमय दर और लॉजिस्टिक्स लागत में वृद्धि जैसे कारक जिम्मेदार हैं।
सब्सिडी पर सरकार चुप
गौरतलब है कि सरकार की ओर से सब्सिडी को लेकर कोई नया अपडेट नहीं दिया गया है। फिलहाल उज्ज्वला योजना के अंतर्गत कुछ लाभार्थियों को सीमित सब्सिडी दी जाती है, लेकिन अधिकांश मध्यमवर्गीय उपभोक्ता बाजार दर पर ही गैस खरीदने को विवश हैं। आठ मार्च 2024 को महिला दिवस के अवसर पर सरकार ने 100 रुपये की कटौती करते हुए एक राहत दी थी, जब दिल्ली में गैस सिलेंडर की कीमत 903 से घटकर 803 रुपये कर दी गई थी। अब उस राहत का असर महज एक महीना ही रहा और मूल्य पुनः 850 के पार पहुंच गए हैं।
उपभोक्ताओं ने जाहिर किया गुस्सा
आम उपभोक्ताओं ने इस मूल्य वृद्धि को लेकर सोशल मीडिया पर नाराजगी जाहिर की है। कई उपभोक्ताओं ने कहा कि रसोई गैस जैसी आवश्यक वस्तु पर बार-बार कीमतें बढ़ाना जनता के साथ अन्याय है। इस मुद्दे पर विपक्षी दलों ने भी सरकार को घेरा है। कांग्रेस पार्टी ने ट्वीट कर कहा कि ‘गैस के दामों में आग लगी है, और सरकार मूकदर्शक बनी है।’ आम आदमी पार्टी और वाम दलों ने भी इस फैसले को जनविरोधी करार देते हुए विरोध प्रदर्शन की चेतावनी दी है। महंगाई की मार पहले से झेल रहे मध्यम और निम्न आय वर्ग के लिए यह अतिरिक्त 50 रुपये हर रिफिल पर भारी पड़ सकते हैं। गृहिणी रीता वर्मा कहती हैं, ‘पिछले तीन महीने से हम सोच रहे थे कि शायद कीमतें स्थिर रहेंगी, लेकिन हर बार बजट गड़बड़ा जाता है। एक सिलेंडर 853 का हो गया है, और सब्जियों की कीमतें पहले ही आसमान छू रही हैं।’
कीमतों में और बढ़ोतरी की आशंका
तेल कंपनियों के सूत्रों का कहना है कि अगर अंतरराष्ट्रीय बाजार में कच्चे तेल की कीमतें और बढ़ती हैं, तो अगले कुछ महीनों में घरेलू एलपीजी की कीमतें और चढ़ सकती हैं। पेट्रोलियम मंत्रालय की ओर से इस पर कोई स्पष्ट बयान नहीं आया है। विशेषज्ञ मानते हैं कि सरकार को स्थिति को नियंत्रित करने के लिए सब्सिडी तंत्र को फिर से सक्रिय करना होगा या फिर ळैज् या एक्साइज ड्यूटी में राहत देनी होगी। घरेलू गैस सिलेंडर जैसी आवश्यक वस्तु की कीमत में हर महीने अस्थिरता जनता के लिए चिंता का विषय है। रसोई का बजट सीधे प्रभावित होता है, और इसका असर उपभोक्ता विश्वास पर भी पड़ता है। सरकार को चाहिए कि वह कीमतों को स्थिर रखने के लिए दीर्घकालिक नीति बनाए, जिससे तेल कंपनियों और उपभोक्ताओं दोनों के हित सुरक्षित रह सकें।

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