नाबालिग बच्चों को अपने से अलग रखने वाले अभिभावक कानून की नजर में दोषी
उच्च अधिकारियों की अनुमति के बिना पाक्सो एक्ट में विधिक राय नहीं ले सकेंगे विवेचक
पुलिस लाइन में आयोजित पाक्सो एक्ट कार्यशाला में अपर पुलिस अधीक्षक ने पुलिस अधिकारियों को सिखाया कानून का पाठ
जानकी शरण द्विवेदी
गोंडा। पाक्सो एक्ट कहता है कि यदि कोई अभिभावक 12 वर्ष से कम आयु के अपने बच्चे को उसकी इच्छा के विरुद्ध अपने पास रखने से मना करता है तो उसके खिलाफ भारतीय दंड विधान की धारा 317 के तहत अभियोग दर्ज हो सकता है। सात साल से कम सजा वाले मामलों में नाबालिग बच्चों के खिलाफ थानों में प्राथमिकी नहीं दर्ज की जाएगी। यदि ऐसी प्राथमिकी दर्ज भी कर ली जाती है, तो 16 वर्ष से कम आयु वर्ग के बच्चों के अपराध उनके बालिग होने पर पुलिस अभिलेखों में ‘शून्य’ कर दिए जाएंगे। यहां तक कि उसके चरित्र प्रमाण पत्र अथवा नौकरी आदि के सत्यापन के समय भी इन मुकदमों का उल्लेख नहीं किया जाएगा। पाक्सो एक्ट के मामलों में उच्च अधिकारियों की अनुमति के बिना किसी भी थाने का भारसाधक अधिकारी अथवा विवेचक विधिक राय के लिए पत्रावली अभियोजन शाखा को नहीं भेजेगा। पाक्सो एक्ट की पीड़िता को चिकित्सीय परीक्षण या अदालती कार्रवाई आदि के लिए थानों से जिला मुख्यालय पर लाने के लिए किसी सार्वजनिक परिवहन (पब्लिक ट्रांसपोर्ट) का उपयोग नहीं किया जाएगा। मंगलवार को इस प्रकार के कई निर्देश जिले के विशेष किशोर पुलिस इकाई के नोडल अधिकारी व अपर पुलिस अधीक्षक शिवराज ने पुलिस लाइन सभागार में आयोजित कार्यशाला में बाल कल्याण पुलिस अधिकारियों को दिए।
गुमशुदगी दर्ज होने से लेकर बच्चे की बरामदगी तक अपनानी है यह प्रक्रिया
जिले के समस्त थानों से आए पुलिस अधिकारियों तथा किशोर न्याय बोर्ड के पदाधिकारियों को सम्बोधित करते हुए अपर पुलिस अधीक्षक ने कहा कि थाने पर जब भी किसी नाबालिग बच्चे के गुमशुदगी की सूचना प्राप्त होगी, तो उसे पाक्सो एक्ट के तहत अपहृत माना जाएगा और तत्काल भादवि की धारा 363 के तहत अभियोग पंजीकृत करके उसकी तलाश शुरू कर दी जाएगी। उन्होंने बताया कि भादवि की धारा 363 का मतलब है कि किसी नाबालिग बच्चे को उसके अभिभावक कर अभिरक्षा से अलग करना। यहां पर यह आवश्यक नहीं है कि कोई व्यक्ति कार, बाइक या साइकिल से आए और बच्चे को लेकर कहीं चला जाए अथवा उसे बहला फुसलाकर पैदल ही लेकर कहीं चला जाय। यदि बच्चा स्वेच्छा से भी किन्हीं कारणों से अपने अभिभावक से अलग हो जाता है, तो उसे कानून की नजर में 363 भादवि का अपराध माना जाएगा और तदनुसार जेजे एक्ट में अपेक्षित कार्रवाई की जाएगी।
अपर पुलिस अधीक्षक ने बताया कि पाक्सो एक्ट की गाइड लाइंस के अनुसार, किसी थाने में 363 का अभियोग दर्ज होते ही विवेचक तत्काल गुमशुदा बच्चे का नवीनतम चित्र प्राप्त करेगा और सोशल मीडिया के माध्यम से पुलिस विभाग के विभिन्न ग्रुपों पर उसे प्रसारित करते हुए बच्चे की तलाश में सभी से सहयोग का अनुरोध करेगा। इसके साथ ही पुलिस विभाग के मिसिंग चिल्ड्रेन पोर्टल पर जाकर फार्म ‘एम’ भरकर अपडेट करेगा। फार्म ‘एम’ का तात्पर्य किसी बच्चे के मिसिंग होने से है। पोर्टल पर अपलोड हो जाने के बाद यह सूचना देश के सभी राज्यों के पुलिस थानों तक पहुंच जाएगी। यदि वह बच्चा मिल जाता है तो विवेचक फार्म ‘आर’ भरकर उसी पोर्टल पर उसके मिल जाने की सूचना देगा। फार्म ‘आर’ का आशय बच्चे के रिकवरी से है। बच्चे के मिल जाने पर फार्म ‘आर’ भरा जाना अनिवार्य है, जिससे देश व प्रदेश के दूसरे पुलिस थाने उस बच्चे की तलाश बंद कर सकें। यदि कुछ दिन तक खोजने पर भी गुमशुदा बच्चा नहीं मिलता है, तो उसकी तलाश के लिए हुलिया के साथ गश्ती जारी की जाएगी तथा मीडिया में सूचना दी जाएगी।
अपर पुलिस अधीक्षक ने बताया कि इसके साथ ही आवश्यकता के अनुसार, जिला अपराध रिकार्ड ब्यूरो (डीसीआरबी) अथवा राज्य अपराध अभिलेख ब्यूरो (एससीआरबी) को सूचित किया जाएगा। विवेचक को इसकी जानकारी जिला विधिक सेवा प्राधिकरण को भी दिया जाना अनिवार्य है। गुमशुदा बच्चे के अंतिम बार देखे जाने वाले स्थान से लेकर उसके घर तक हर संभावित स्थान यथा कुंआ, तालाब, झील, नदी, बाग, पार्क, जंगल आदि में तलाश की जाएगी। यहां तक कि रास्ते में लगे सीसीटीवी कैमरों की मदद से भी उसके आवागमन के बारे में जानकारी एकत्रित करने का प्रयास किया जाएगा। यदि चार महीने तक यह सभी प्रक्रिया पूरी कर लेने के बाद भी उस बच्चे के बारे में कोई जानकारी नहीं मिल पाती है, तो थाने के विवेचक द्वारा आगे की विवेचना एंटी हृयूमन ट्रैफिकिंग यूनिट (एएचटीयू) को सौंप दी जाएगी।
अपर पुलिस अधीक्षक ने बताया कि यदि कोई विवेचक गुमशुदा बच्चे की तलाश के लिए ऊपर बताए गए सभी तरीकों का लिखा-पढ़़ी में प्रयोग नहीं करता है, तो उसे अपने कर्तब्यों का सम्यक निर्वहन न करने का दोषी ठहराया जा सकता है। उन्होंने बताया कि गुमशुदा नाबालिग बालक बालिकाओं की बरामदगी होने पर उससे सादे कपड़ों में पूछताछ की जाएगी। गुमशुदा बच्चों के न मिलने तक उनकी हुलिया सार्वजनिक की जा सकेगी, किन्तु उनके मिल जाते ही पहचान गोपनीय हो जाएगी। इसके बाद उसकी कोई भी फोटो या वीडियो सार्वजनिक रूप से प्रकाशित या प्रसारित नहीं की जाएगी। महिला सम्बन्धी अपराधों में केवल महिला पुलिस अधिकारी द्वारा ही पीड़िता से पूछताछ की जाएगी। पुरुष अधिकारी उससे पूछताछ बिल्कुल नहीं करेंगे। उसे यथाशीघ्र आवश्यकतानुसार बाल कल्याण समिति (सीडब्लूसी), जुबेनाइल जस्टिस बोर्ड (जेजेबी) या पाक्सो कोर्ट के समक्ष पेश किया जाएगा।

पाक्सो एक्ट व 354 के मामलों में पुलिस अधिकारी के यह हैं कर्तब्य
अपर पुलिस अधीक्षक ने बाल कल्याण पुलिस अधिकारियों व महिला पुलिस अधिकारियों को पाक्सो एक्ट की धारा 7/8 तथा 9/10 में उदाहरण के साथ अंतर को रेखांकित किया। उन्होंने बताया कि यदि किसी नाबालिग बच्चे के साथ घर परिवार के किसी करीबी सदस्य, रिश्तेदार, शिक्षक, डाक्टर, पुलिस कर्मचारी आदि ऐसे व्यक्तियों द्वारा छेड़छाड़ की जाएगी, जिनके कंधों पर उस बच्चे के संरक्षण की जिम्मेदारी है तो यह गंभीर अपराध माना जाएगा और ऐसे मामलों में पाक्सो एक्ट की धारा 9/10 लगेगी। उन्होंने भारतीय दंड विधान की धारा 354 तथा इसके उपखण्डों ए, बी, सी, डी पर भी विस्तार से चर्चा की।
अपर पुलिस अधीक्षक ने बताया कि थानों पर महिलाओं से छेड़छाड़ व दुष्कर्म से सम्बंधित अपराधों की प्राथमिकी महिला पुलिस अधिकारी ही दर्ज करेगी, किन्तु पाक्सो पीड़िता का बयान महिला आरक्षी दर्ज नहीं करेगी। वह केवल भादवि की धारा 354 के अपराध पीड़िता का बयान दर्ज करेंगी, किन्तु बयान दर्ज करने के बाद कागज पर पीड़िता का हस्ताक्षर न कराकर स्वयं अपना हस्ताक्षर करेंगी। उन्होंने निर्देश दिया कि ऐसे प्रकरणों में पीड़िता को चिकित्सीय परीक्षण या अदालती कार्रवाई के लिए थानों से जिला मुख्यालय पर लाने के लिए किसी सार्वजनिक परिवहन (पब्लिक ट्रांसपोर्ट) का उपयोग नहीं किया जाएगा। उसे पैदल भी इधर-उधर नहीं घुमाया जाएगा। इसके लिए थाने पर उपलब्ध सरकारी वाहन अथवा 112 नम्बर के वाहनों की सेवाएं ली जानी चाहिए।
अपर पुलिस अधीक्षक ने बताया कि पीड़िता के साथ मौजूद पुलिस अधिकारी न तो इस सम्बंध में स्वयं मीडिया को कोई जानकारी देगा और न ही पीड़िता की फोटोग्राफी या वीडियोग्राफी करने की अनुमति किसी को भी देगा। यदि कोई भी व्यक्ति जबरन ऐसा करने की कोशिश करता है तो आन ड्यूटी पुलिस अधिकारी की जिम्मेदारी है कि वह उसे ऐसा करने से दृढ़ता से रोके। मना करने के बावजूद न मानने पर उसके खिलाफ भादवि की धारा 228ए, पाक्सो एक्ट की धारा 23 तथा जुबनाइल जस्टिस (जेजे) एक्ट की धारा 74 के तहत प्राथमिकी दर्ज हो सकती है। उन्होंने बताया कि केन्द्र सरकार के नए निर्देशों के अनुरूप मानसिक रूप से विक्षिप्त नाबालिग बच्चों के लिए प्रत्येक जिला चिकित्सालय में मेंटल हेल्थ केयर वार्ड बनाया जाएगा, जहां पर लावारिस पाए गए बच्चों को उपचार के लिए रखा जाएगा। आवश्यकता पड़ने पर यहां से उन्हें वाराणसी या लखनऊ के मानसिक रोग चिकित्सालयों में स्थानांतरित किया जा सकेगा। ऐसे बच्चों को अब किसी भी सरकारी चिकित्सालय में तैनात चिकित्सा अधिकारी अटेंड कर सकेगा। अब तक इसकी अनुमति केवल विशेषज्ञ चिकित्सकों को ही थी।
कार्यशाला में प्रशिक्षु उपाधीक्षक सुश्री शिल्पा वर्मा, अपर मुख्य चिकित्सा अधिकारी डा. एपी सिंह, शेष मणि पाण्डेय, सीडब्लूसी के अध्यक्ष प्रेम शंकर लाल श्रीवास्तव, सदस्य राम कृपाल शुक्ल, श्रम प्रवर्तन अधिकारी सत्येन्द्र प्रताप, संरक्षण अधिकारी चन्द्र मोहन वर्मा, राम चन्द्र प्रसाद, किशोर पासवान, अनिल कुमार सिंह, सुरेश यादव, रमेश कुमार वर्मा, सुनील कुमार सिंह, अखिलेश कुमार यादव, गोविन्द कुमार, रामकेश चौधरी, देवी दयाल तिवारी, चन्द्रेश यादव, आशीष मिश्रा, आशीष तिवारी, प्रदीप जायसवाल, देवेन्द्र प्रसाद तिवारी, योगेन्द्र प्रताप सिंह, धीरेन्द्र सिंह, मानेन्द्र सिंह, बलिराम सिंह, मंजू यादव, सौरभ वर्मा, दुर्गेश कुमार, संजीव सिंह, बबिता सिंह, सरिता, निशा शुक्ला, रिचा तिवारी, कंचन पाल, अंजली मौर्य, कंचन तिवारी, आराधना सिंह, रणविन्दर कौर, नीरज यादव, भावना सिंह आदि उपस्थित रहे।

यह भी पढें : डीएम, एसपी ने परखी कजली तीज मेले की तैयारियां
आवश्यकता है संवाददाताओं की
तेजी से उभरते न्यूज पोर्टल www.hindustandailynews.com को गोंडा जिले के सभी विकास खण्डों व समाचार की दृष्टि से महत्वपूर्ण स्थानों तथा देवीपाटन, अयोध्या, बस्ती तथा लखनऊ मण्डलों के अन्तर्गत आने वाले जनपद मुख्यालयों पर युवा व उत्साही संवाददाताओं की आवश्यकता है। मोबाइल अथवा कम्प्यूटर पर हिन्दी टाइपिंग का ज्ञान होना आवश्यक है। इच्छुक युवक युवतियां अपना बायोडाटा निम्न पते पर भेजें : jsdwivedi68@gmail.com
जानकी शरण द्विवेदी
सम्पादक
मोबाइल – 9452137310
📢 पोर्टल की अन्य खबरों को पढ़ने के लिए: www.hindustandailynews.com
📱 हमारे WhatsApp चैनल को फॉलो करें
✍️ कलमकारों से: पोर्टल पर प्रकाशन के इच्छुक कविता, कहानियां, महिला जगत, युवा कोना, सम सामयिक विषयों, राजनीति, धर्म-कर्म, साहित्य एवं संस्कृति, मनोरंजन, स्वास्थ्य, विज्ञान एवं तकनीक इत्यादि विषयों पर लेखन करने वाले महानुभाव अपनी मौलिक रचनाएं एक पासपोर्ट आकार के छाया चित्र के साथ मंगल फाण्ट में टाइप करके हमें प्रकाशनार्थ प्रेषित कर सकते हैं। हम उन्हें स्थान देने का पूरा प्रयास करेंगे।
📞 संपर्क: जानकी शरण द्विवेदी (प्रधान संपादक)
📱 मोबाइल: 9452137310
📧 ईमेल: hindustandailynews1@gmail.com
📣 महत्वपूर्ण सूचना
गोंडा और आसपास के क्षेत्रों के युवाओं के लिए विशेष अभियान
आपका गाँव, आपकी खबर — अब आपकी कलम से!
मित्रों, आपके आसपास की कई घटनाएं खबर रह जाती हैं। उन्हें मीडिया में स्थान नहीं मिल पाता है। तो अब सरकारी योजनाओं की सच्चाई, गाँवों की समस्याएं, युवाओं की सफलता या स्थानीय मुद्दे, सभी को मिलेगा एक सशक्त मंच!
हिंदुस्तान डेली न्यूज ला रहा है ‘आपका गाँव, आपकी खबर’ मुहिम।
हम तलाश कर रहे हैं ऐसे जागरूक युवाओं को जो अभी बेरोजगार हैं अथवा पढ़ रहे हैं। वे अपने क्षेत्र अथवा स्कूल, कॉलेज में आयोजित कार्यक्रम, क्षेत्र की सच्चाई, विशेषताएँ और जनहितकारी मुद्दे हमारे साथ साझा करें।
कैसे भेजें: WhatsApp पर हिंदी में टाइप किया हुआ टेक्स्ट, फोटो, ऑडियो या वीडियो, किसी भी रूप में भेज सकते हैं।
कैसे जुड़ें: अपना नाम, उम्र, पता, योग्यता और पहली खबर (Text या Voice में) भेजें। साथ में एक फोटो और WhatsApp नंबर भेजें। चयन होने पर ID कार्ड जारी किया जाएगा और आप टीम के WhatsApp ग्रुप में जोड़ दिए जाएंगे।