हिन्दी जन भाषा है, लेकिन रोजगार की भाषा नहीं बन पाई : कलराज मिश्र

हिंदी दिवस पर वर्चुअल सेवा निवृत शिक्षकों को राज्यपाल ने किया सम्मानित

वाराणसी। राजस्थान के राज्यपाल कलराज मिश्र ने कहा कि हिन्दी जन भाषा है, रोजगार की भाषा नहीं बन पायी है। लोग अंग्रेजी को ही रोजगारपरक भाषा मानकर विकल्प लेते हैं। राज्यपाल सोमवार अपराह्न हिन्दी दिवस एवं शिक्षक सम्मान समारोह को वर्चुअल सम्बोधित कर रहे थे। 
 सम्पूर्णानन्द संस्कृत विश्वविद्यालय एवं राष्ट्रीय शैक्षिक महासंघ उत्तर प्रदेश(काशी महानगर इकाई) के संयुक्त तत्वावधान में आयोजित कार्यक्रम में राज्यपाल ने कहा कि वैश्विक जगत में हिन्दी का प्रचार प्रसार बढ़कर आज दुनियां में चौथे स्थान पर पहुँच गया है। 
 उन्होंने कहा कि किसी भी राष्ट्र की संस्कृति,धर्म एवं परम्परा भाषा के माध्यम से व्यक्त होती है। अपने शास्त्र, अपनी संस्कृति, अपने ज्ञान विज्ञान की अभिव्यक्ति, उसका संरक्षण और संवर्धन तथा विकास अपनी ही भाषा के माध्यम से हम अच्छी तरह कर सकते हैं। 
 राज्यपाल ने कहा कि अपने देश में उत्तर और दक्षिण को जोड़ने का कार्य संस्कृत भाषा के माध्यम से हो पाया। भारत में विविधता रहने के पश्चात भी मूल भाषा के रुप में संस्कृत को सभी ने स्वीकृति प्रदान की। उसी आधार पर भारत विश्वगुरु कहलाया। 
 वीर बहादुर सिंह पूर्वांचल विश्वविद्यालय, जौनपुर की कुलपति प्रो निर्मला एस.मौर्य ने कहा कि जब एक शिक्षक सम्मानित होता है, तो एक राष्ट्र का सम्मान होता है। हिंदी में ही पूरे देश को एक सूत्र में बांधे रखने की क्षमता विद्यमान है। पूर्वोत्तर पर्वतीय विश्वविद्यालय,शिलांग,मेघालय में हिन्दी विभाग के वरिष्ठ आचार्य(प्रो)हितेंद्र कुमार मिश्र ने बतौर मुख्य वक्ता कहा कि हिन्दी एक साथ जोड़ने और एकता की भाषा है। आज अपनी उपलब्धियों के साथ यह विश्व भाषा बनने के पायदान पर खड़ी है। 
 समारोह की अध्यक्षता विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. राजाराम शुक्ल ने किया। प्रो. शुक्ल ने इस दौरान कहा कि निज भाषा को पूर्ण सम्मान और सहयोग देने से कोई भी देश या राष्ट्र गौरवशाली बनता है। समारोह में अवकाश प्राप्त शिक्षक प्रो कृष्णा निगम, प्रो. चन्द्रकला त्रिपाठी, प्रो. वशिष्ठ नारायण त्रिपाठी, प्रो. सुरेश प्रताप सिंह, प्रो. अशोक कुमार सिंह, डॉ नागेशवर सिंह, डॉ नरेंद्र प्रताप सिंह, डॉ काशी नाथ सिंह, डॉ शेष नाथ सिंह, डॉ अवधेश उपाध्याय, डॉ बलबीर सिंह, डॉ महेश प्रताप सिंह, डॉ मुन्नी सिंह, डॉ जगदीश सिंह, डॉ महेंद्र प्रताप सिंह, डॉ प्रेम लाल टाम्टा, डॉ मनोरमा त्रिपाठी, डॉ वशिष्ठ मुनि सिंह एवं श्री रामायण सिंह को राज्यपाल ने उनकी सुदीर्घ शैक्षिक सेवाओं के लिये शिक्षक रत्न के सम्मान से विभूषित किया। संचालन कार्यक्रम संयोजक प्रो. प्रेम नारायण सिंह ने किया।

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