सनातन संस्कृति की अलख जगाने हैदराबाद से निकली कुंभ संदेश यात्रा पहुंची लखनऊ

-उपसभापति मानवेन्द्र प्रताप से मिलकर विद्वानों ने दिया ज्ञापन, हरिद्वार तक जाएगी यात्रा
लखनऊ (हि.स.)।  हैदराबाद से 18 फरवरी को कन्याकुमारी होते हुए कुंभ संदेश यात्रा बुधवार को देर रात लखनऊ पहुंची। गुरुवार को गांधी प्रतिमा पर माल्यार्पण कर यात्रा दल में शामिल विद्वानों ने उपसभापति कुंवर मानवेन्द्र सिंह को एक ज्ञापन देकर यात्रा के उद्देश्यों से परिचित कराया। हैदराबाद से कन्याकुमारी होते हुए हरिद्वार तक जाने वाली इस यात्रा का प्रमुख उद्देश्य सनातन धर्म की प्राचीनतम संस्कृति और परंपरा की अलख जगाना है। 
इस संबंध में कुंभ संदेश यात्रा के राष्ट्रीय प्रवक्ता ज्योतिषी आचार्य अविनाश राय ने बताया कि हैदराबाद के पेदाम्मा मंदिर से यात्रा कन्याकुमारी के लिए निकली, जिसका मूल उद्देश्य दक्षिण भारत से चलकर पूरे भारत मे उत्तर भारत की कुम्भ परम्परा  को दक्षिण भारत से निकलकर जिस प्रकार आदि शंकराचार्य ने सनातन परंपरा को पुनः स्थापित किया था। उसी प्रकार “मिशन 5151” के तहत निकली यह यात्रा हैदराबाद से तिरुपति होते हुए कन्याकुमारी से चलकर  उज्जैन, भोपाल, चित्रकूट, प्रयाग, काशी के रास्ते लखनऊ आ पहुंची है। यहॉं से कानपुर, वृंदावन, दिल्ली, मेरठ, पतंजलि आश्रम होते हुए हरिद्वार कुम्भ स्थल पर पहुँचेगी। यह यात्रा पूना, भीमा शंकर, नासिक, उज्जेन चित्रकूट प्रयागराज होते हुए 15 मार्च को काशी गयी। काशी से चलकर 17 मार्च को रात में लखनऊ पहुंची है। यहां 20 को दिल्ली में, 24 को पदयात्रा करते हुए 31 मार्च को हरिद्वार कुंभ में पहुंच जाएंगे।उन्होंने कहा कि विधान परिषद के उपसभापति कुँवर मानवेन्द्र सिंह के साथ मिलकर कुम्भ पर यात्रादल के विद्वानों ने चर्चा की और इस यात्रा के उद्देश्यों से परिचित कराया। सनातन धर्म की प्राचीनतम संस्कृति और परंपरा की अलख दक्षिण भारत से जलाकर उत्तर भारत के विद्वानों और ज्योतिषी बन्धुओं को साथ लेकर छोटी छोटी सभाओं, सेमिनारों और गोष्ठियों के माध्यम से जन जागरण करते हुए यह यात्रा लखनऊ पहुँचने तक 5600 किलोमीटर यात्रा पूर्ण कर चुकी है। कुल 40 दिनों तक चलने वाली यह यात्रा 7000 से अधिक किलोमीटर की यात्रा पूर्ण करके हरिद्वार पहुँचेगी।
कुम्भ संदेश यात्रा का मूल उद्देश्य भारतीय मूल ग्रामीण संस्कृति से जन्म लेने वाली उसी वैदिक परंपरा से भारत के जन जन तक पहुंचाना है। सनातन मूल संस्कृति से भारतीयों को परिचित कराते हुए विश्व पटल पर मानवता और विश्व बंधुत्व का संदेश और सनातन संस्कृति की स्थापना प्रथम लक्ष्य है। भारत की मूल संस्कृति के संरक्षण और पुनरुत्थान हेतु कलि संवत 5151 तक अनवरत यह यात्रा चलती रहेगी।

आज दोपहर विधानपरिषद के उपसभापति कुँवर मानवेन्द्र  से कुम्भ संदेश के उद्देश्यों को बताते हुए आचार्य अविनाश राय ने कहा कि सनातन संस्कृति के पुनरुत्थान हेतु भारत भूमि की मूल आत्मा सामाजिक सांस्कृतिक प्राचीन परम्परा का पोषण करने वाली “कुम्भ संदेश यात्रा”  40 दिनों की यात्रा पूरी करते हुए हरिद्वार कुम्भ स्थल पर पूर्ण होगी। 
कुंवर मानवेन्द्र को कुम्भ संदेश यात्रा के चेयरमैन मनकेना श्रीनिवास रेड्डी ने बताया कि मिशन 5151 तक उत्तर भारत की मूल संस्कृति से दक्षिण भारत की मूल संस्कृति से जोड़कर विशाल अखण्ड भारत की स्थापना ही हमारा प्रथम लक्ष्य है। 
कुम्भ संदेश यात्रा के द्वारा भारतीय संस्कृति को विश्व द्वारा अंगीकार किये जाने पर प्रकाश डालते हुए यात्रा  सचिव बालकृष्ण रेड्डी ने कहा कि आज कोरोना की महामारी में पूरे विश्व ने हमारी नमस्कार परम्परा और आयुर्वेद को अपनाया है। वसन्त जी ने बताया शासन से हम माँग कर रहे हैं कि भारतीय सामाजिक आर्थिक व्यवस्था को पुनः स्थापित किया जाय ताकि पूरा देश एक दूसरे से जुड़ जाए। इस अवसर पर स्थानीय लोगों के साथ पूरा यात्रा दल था।

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