श्री काशी विश्वनाथ धाम के लोकार्पण समारोह में प्रधानमंत्री मोदी मुख्य जजमान बनेंगे

रात्रि प्रवास में काशी के प्रबुद्ध वर्ग से कर सकते है संवाद, स्वर्वेद महामंदिर जाने वाले पहले प्रधानमंत्री बनेंगे

वाराणसी(हि.स.)। श्री काशी विश्वनाथ धाम के लोकार्पण के समय पूजन अर्चन के दौरान वाराणसी के सांसद और देश के प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी मुख्य जजमान की भूमिका में रहेंगे। धाम के लोकार्पण के बाद प्रधानमंत्री काशीपुराधिपति की विधिवत आराधना कर राष्ट्र के कल्याण की कामना करेंगे।

प्रधानमंत्री काशी विश्वनाथ धाम में विधिवत पूजा अनुष्ठान के बाद मंदिर चौक पर संतों से संवाद भी करेंगे। इसके लिए पूरी तैयारी चल रही है। वाराणसी प्रवास के दूसरे दिन 14 दिसम्बर को प्रधानमंत्री धाम के मंदिर चौक पर भाजपा शासित राज्यों के मुख्यमंत्री और उप मुख्यमंत्रियों के सम्मेलन में भाग लेंगे। इसके बाद प्रधानमंत्री उमरहा स्थित स्वर्वेद महामंदिर के वार्षिकोत्सव, विहंगम योग कार्यक्रम भाग लेने वाले पहले प्रधानमंत्री बनेंगे। संत प्रवर आचार्य स्वतंत्र देव महाराज एवं संत प्रवर विज्ञान देव महाराज की मौजूदगी में प्रधानमंत्री विहंगम योग संत समाज के वार्षिकोत्सव को सम्बोधित करेंगे। यहां प्रधानमंत्री का लगभग डेढ़ घंटे तक ठहराव है। प्रधानमंत्री के दो दिवसीय प्रवास को देख कार्यक्रम स्थल से लेकर प्रधानमंत्री के आवागमन के रूट पर सुरक्षा व्यवस्था की अभेद किलेबंदी रहेगी। प्रधानमंत्री की सुरक्षा जल,थल,नभ से होगी। एसपीजी टीम के आने के बाद इसको अन्तिम रूप दिया जायेगा। शहर में प्रधानमंत्री के हेलीकॉप्टर के उतरने के लिए संपूर्णांनंद संस्कृत विश्वविद्यालय के खेल मैदान में हेलीपैड बनाया जाएगा।

सैकड़ों साल पहले बाबा विश्वनाथ का मंदिर और गंगा नदी एकाकार थे। समय काल और अन्य कारणों से अलग हो गई। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने सैकड़ों साल पुराने दरबार के स्वरूप को साकार करने का संकल्प लिया था। जिसे प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की अगुवाई में विश्वनाथ धाम का निर्माण कर मूर्त रूप दिया गया। मुख्यमंत्री के निर्देश पर 2018 में गठित काशी विश्वनाथ विशिष्ट क्षेत्र विकास परिषद ने भी इसमें महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। प्रधानमंत्री ने आठ मार्च 2019 को विश्वनाथ कारिडोर का शिलान्यास किया था। 2020 जनवरी में कार्य शुरू होने के बाद रिकार्ड समय में कॉरिडोर लगभग बन गया है। लगभग 800 करोड़ रुपये की कुल लागत से बन रहे इस कॉरिडोर में 296 भवनों को खरीदा गया, इनमें से 227 निजी संपत्तियां थीं एवं 31 सेवइत के भवन थे। इसके अतिरिक्त 13 मंदिरों समेत नगर निगम की 5 परिसंपत्तियां एवं विभिन्न ट्रस्टों की 21 परिसंपत्तियां भी अधिग्रहित की गई। कॉरिडोर बनने के बाद बाबा धाम में एक साथ एक लाख से अधिक श्रद्धालु दर्शन पूजन कर सकेंगे। कॉरिडोर का निर्माण करने वाली अहमदाबाद की कंसल्टेंट कम्पनी ने कुल चार चरणों में निर्माण कार्य शुरू किया। पहले और तीसरे चरण का काम पहले पूरा किया गया।

योजनाबद्ध तरीके से पहले चरण में मंदिर और आस-पास का इलाके का विस्तारीकरण करने के बाद तीसरे चरण में गंगा घाट के किनारे से निर्माण कार्य शुरू किया गया। मकराना और चुनार के खास पत्थरों से बने इस परिसर में 34 फीट की ऊंचाई वाले चार नये प्रवेश गेट बनाए गए हैं। घाट से आने वाला रास्ता ललिता घाट से है, जहां से मंदिर का स्वर्णशिखर देखा जा सकता है। मंदिर चौक से लेकर गंगा घाट तक कुल 24 इमारतें बनी हैं। इनमें मुमुक्षु भवन, सिटी म्यूजियम, वाराणसी गैलरी, यात्री सुविधा केंद्र, आध्यात्मिक पुस्तक केंद्र, पर्यटक सुविधा केंद्र, वैदिक भवन, जलपान केंद्र, अन्न क्षेत्र और दुकानें भी बनकर तैयार हैं। श्री काशी विश्वनाथ का दरबार अब सीधे गंगा तट से एकाकार हो गया है। धाम आने वाले श्रद्धालु गंगा स्नान करके सीधे मंदिर क्षेत्र में आ सकेंगे। श्रद्धालु कॉरिडोर के बाहरी हिस्से पर बने टैरेस पर खड़े होकर गंगा के साथ ही मोक्षतीर्थ मणिकर्णिका और ललिता घाट को भी देख सकेंगे। काशी विश्वनाथ धाम कॉरिडोर का सड़क मार्ग से मुख्य प्रवेश द्वार गोदौलिया गेट है।

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