श्रीराम वन गमन मार्ग के 17 जगहों पर बनेगा कॉरीडोर

नेशनल डेस्क

नई दिल्ली। पांच अगस्त को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी अयोध्या में राम मंदिर के लिए भूमि पूजन व शिलान्यास करेंगे। अयोध्या में भूमि पूजन से जुड़ी तैयारियों को अंतिम रूप देने के लिए मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ रविवार को अयोध्या जाएंगे। जहां वे अफसरों और संतों के साथ बैठक कर पूरे आयोजन की तैयारियों की समीक्षा करेंगे। इसी बीच इतिहासकारों ने 200 से ज्यादा स्थानों का पता लगाया है जहां राम, सीता और लक्ष्मण अपने 14 साल के वनवास के दौरान ठहरे थे। केंद्र सरकार ने ऐसे 17 बड़े स्मारकों की पहचान की है जिन्हें कॉरिडोर के तौर पर विकसित किया जा सकता है। आज हम आपको उन्हीं कॉरिडोर के बारे में बताते हैं।
तमसा नदी : यह स्थान अयोध्या से 20 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है। यहां पर श्रीराम ने नाव के जरिए नदी पार की थी।
श्रृंगवेरपुर तीर्थ : यह स्थान प्रयागराज से 20-22 किलोमीटर दूर स्थित है। यहां श्रीराम ने केवट से गंगा पार कराने को कहा था। वर्तमान में इस स्थल को सिंगरौर कहा जाता है।
कुरई : सिंगरौर में गंगा पार करके श्रीराम कुरई में रुके थे।
प्रयाग : कुरई से श्रीराम प्रयाग पहुंचे थे।
चित्रकूट : इसके बाद श्रीराम चित्रकूट पहुंचे थे। यहीं श्रीराम को अयोध्या वापस ले जाने के लिए भरत पहुंचे थे।
सतना : यहां अत्रि ऋषि का आश्रम था।
दंडकारण्य : चित्रकूट से निकलने के बाद श्रीराम दंडकारण्य पहुंचे। दंडकारण्य मध्यप्रदेश, छत्तीसगढ़, महाराष्ट्र, ओडिशा और आंध्रप्रदेश के कुछ क्षेत्रों को मिलाकर बना है।
पंचवटी नासिक : दंडकारण्य में रहने के बाद श्रीराम अगस्त्य मुनि के आश्रम गए थे। यह आश्रम नासिक के पास पंचवटी क्षेत्र में स्थित है जो गोदावरी नदी के किनारे बसा हुआ है। यहीं पर श्रीराम ने शूर्पणखा की नाक काटी थी।
सर्वतीर्थ : नासिक क्षेत्र में ही रावण ने सीता का हरण करके जटायु का वध किया था।
पर्णशाला : आंध्र प्रदेश के खम्मम जिले के भद्राचलम में स्थित है पर्णशाला। रामालय से करीब एक घंटे की दूरी पर स्थित पर्णशाला को पनसाला के नाम से भी जाना जाता है।
तुंगभद्रा : तुंगभद्रा और कावेरी नदी के क्षेत्रों के अनेक स्थलों पर श्रीराम सीताजी की खोज में गए थे।
शबरी आश्रम : रास्ते में श्रीराम पंपा नदी के पास स्थित शबरी आश्रम गए थे। जो कर्नाटक में स्थित है।
ऋष्यमूक पर्वत : मलय पर्वत और चंदन वनों को पार करते हुए श्रीराम ऋष्यमूक पर्वत की तरफ बढ़े थे। यहां उनकी हनुमान और सुग्रीव से मुलाकात हुई थी। यहीं उन्होंने बाली का भी वध किया था।
कोडीकरई : यहीं पर राम की वानर सेना ने पड़ाव डालकर रामेश्वर की तरफ कूच किया था।
रामेश्वरम : राम ने लंका पर चढ़ाई करने से पहले यहां भगवान शिव की पूजा की थी। रामेश्वरम में श्रीराम ने शिवलिंग भी स्थापित किया था।
धनुषकोडी से रामसेतु : श्रीराम रामेश्वर के आगे धनुषकोडी पहुंचे। यहां पर उन्होंने रामसेतु का निर्माण किया। रामसेतु को अंग्रेजी में एडम्स ब्रिज कहा जाता है।
नुवारा एलिया पर्वत : श्रीराम रामसेतु बनाकर श्रीलंका पहुंचे थे। श्रीलंका में इस पर्वत पर ही रावण फॉल, रावण गुफाएं, अशोक वाटिका, विभीषण महल आदि स्थित हैं।

error: Content is protected !!