नर्सरी में बच्चे फिर सुनेंगे पंचतंत्र की कहानियां

लैंगिक संवेदनशीलता के बारे में भी मिलेगी सीख

नेशनल डेस्क


नई दिल्ली। नई शिक्षा नीति में नर्सरी से दूसरी कक्षा में बच्चों को फिर से पंचतंत्र की कहानियां सुनने को मिलेंगी। फाउंडेशन वर्ग में बच्चों को दादी, नानी की वो सब किस्से कहानियां और सीख नए ढंग से पाठ्यक्रम में मिलेंगी। इसमें बच्चों को खेल खेल में बुजुर्गों व बड़ों का सम्मान करना, छोटों से प्रेम, पर्यावरण को बचाना, देशभक्ति, धैर्य, क्षमा, करुणा, लैंगिक संवेदनशीलता, स्वतंत्रता आदि के बारे में सिखाया जाएगा। हालांकि तीसरी से आठवीं कक्षा तक इन विषयों को किताबी पाठ्यक्रम में विस्तार से समझाया जाएगा। इसमें मानसिक स्वास्थ्य, स्वच्छता, शराब व तंबाकू या मादक पदार्थों का नुकसान, विपरीत प्रभावों की वैज्ञानिक व्याख्या को भी पाठ्यक्रम में शामिल किया जाएगा। इसके अलावा भारतीय संविधान के कुछ अंश शामिल होंगे, जिसकी पढ़ाई अनिवार्य रहेगी।
फाउंडेशन वर्ग में नर्सरी, केजी, अपर केजी, पहली और दूसरी कक्षा में बच्चों को सीखाने की जिम्मेदारी सिर्फ शिक्षक की ही नहीं होगी। इसमें अभिभावकों को भी जोड़ा जाएगा। पहली बार अभिभावकों की भी जिम्मेदारी तय होगी। इस आयु वर्ग के बच्चों के लिए किताबी पाठ्यक्रम की बजाय खेल खेल में सीखाने पर फोकस होगा। एनसीईआरटी प्री-स्कूल के लिए फाउंडेशन वर्ग का विशेष पाठ्यक्रम जब बनाएगा तो उसमें अभिभावकों के सुझावों को भी शामिल किया जाएगा। बेटियों को सौ फीसदी स्कूली शिक्षा मुहैया करवाने के लिए कस्तूरबा गांधी बालिका विद्यालय का 12वीं कक्षा तक विस्तार होगा। इसके अलावा छात्रावास भी बनाए जाएंगे। इसका मकसद है कि बेटियां आर्थिक व सामाजिक दिक्कतों के चलते पढ़ाई बीच में न छोड़ें। बेटियों को आगे बढ़ाने के लिए जेंडर समावेशी निधि का गठन भी किया जाएगा।
मोदी सरकार चुनावी घोषणा-पत्र 2014 के बेटी बचाओ-बेटी पढ़ाओ अभियान को पूरा करेगी। पहली बार राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 में बेटियों को आगे बढ़ाने की योजना तैयार की गई है। पिछली राष्ट्रीय शिक्षा नीतियों में बेटियों को आगे बढ़ाने पर अलग से ऐसा प्रावधान नहीं किया गया था। नीति में लिखा है कि आर्थिक व सामाजिक दिक्कतों के चलते देश के कई भागों में बेटियों को पढ़ने का मौका ही नहीं मिलता है। आर्थिक तंगी के चलते ही मानव तस्करी भी होती है। इन सब पर लगाम लगाने के लिए बेटियों को शिक्षित करना जरूरी है। इसीलिए स्थानीय स्तर पर ऐसे परिवारों की पहचान की जाए। बेटियों को शिक्षा से जोड़ने के लिए केंद्र और राज्यों के विभाग विभिन्न योजनाओं को तैयार करेंगे। बेटियों को स्कूल से जोड़ने के लिए साइकिल योजना को और मजबूती देनी होगी। ऐसे परिवारों को आर्थिक मदद दी जाए। हालांकि आर्थिक मदद के बदले में उन्हें बेटियों को स्कूल भेजना होगा। पिछड़े व ग्रामीण इलाकों में केंद्रीय विद्यालय और नवोदय विद्यालय भी खोले जाएंगे।

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