विजयादशमी : नाथ सम्प्रदाय के संतों की शिकायतों का निपटारा करेंगे ‘दंडाधिकारी योगी’

गोरखपुर (हि.स.)। उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री और गोरक्षपीठाधीश्वर योगी आदित्यनाथ आज शाम यानी विजयादशमी के दिन न्यायिक दण्डाधिकारी की भूमिका में दिखेंगे। विजयादशमी की रात होने वाली पात्र पूजा में गोरक्षपीठाधीश्वर नाथ संप्रदाय के संतो की अदालत में संतो के मध्य खड़े हुए विवादों का निपटारा करेंगे। इसके पूर्व पात्र देवता के रूप में प्रतिष्ठित कर नाथ योगी एवं संतों द्वारा योगी आदित्यनाथ का पूजन करेंगे।
पौराणिक है महत्व

नाथ संप्रदाय में पात्र पूजन की परम्परा पौराणिक है। यह परम्परा आंतरिक अनुशासन बनाए रखने का एक अहम जरिया है। गोरक्षपीठ के पीठाधीश्वर योगी आदित्यनाथ मुख्यमंत्री का पद संभालने के बाद भी पीठ के प्रति अपने उत्तरदायित्व को निष्ठा से निवर्हन करते आ रहे हैं। इसी परम्परा के अंतर्गत विजयादशमी के दिन गोरक्षपीठाधीश्वर योगी आदित्यनाथ पात्र देवता के रूप में प्रतिष्ठित होते हैं।
ऐसे होता है पूजन
नाथ संप्रदाय से जुड़े सभी साधु-संत और पुजारी मिल कर मुख्य मंदिर में उनकी पात्र पूजा कर दक्षिणा अर्पित करते हैं। इस पूजा में सिर्फ उन्हें ही प्रवेश मिलता है, जिन्होंने नाथ संप्रदाय के किसी योगी से दीक्षा ग्रहण की होती है। उन्हें यहां अपने संप्रदाय एवं दीक्षा देने वाले गुरु की घोषणा करनी होती है। इस परम्परागत कार्यक्रम में शामिल होने के बाद ही मंदिर का महंत मंदिर परिसर से बाहर जाते हैं। गोरक्षपीठाधीश्वर पात्र देवता दक्षिणा स्वीकार करते हैं, लेकिन अगले दिन उस दक्षिणा को उन्हीं साधुओं को प्रसाद स्वरूप लौटा दी जाती है।
शिकायतों का ऐसे निपटारा करते हैं पात्र देवता
नाथ संप्रदाय के सभी संत जिनके खिलाफ कोई शिकायत रहती है, पात्र देवता के रूप में गोरक्षपीठाधीश्वर उनकी सुनवाई करते हैं। प्रतिष्ठा है कि पात्र देवता के समक्ष कोई झूठ नहीं बोलता है। यदि वह उनके समक्ष अपनी गलती स्वीकार कर लेता है, या फिर नाथ परम्परा के विरुद्ध किसी गतिविधि में संलिप्त मिलता है, पात्र देवता सजा एवं माफी का निर्णय लेते हैं। इस प्रक्रिया को दूसरे संप्रदाय के मठों में चिलम साफी के रूप में प्रतिष्ठा मिली है लेकिन गोरक्षपीठ में हुक्का और ध्रुमपान की इजाजत नहीं है। यही वजह है कि दूसरे साधू संत भी गोरक्षपीठ में प्रवास के दौरान ध्रुमपान, हुक्का और चिलम के इस्तेमाल से परहेज रखते हैं।

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