वाराणसी : गंगा नदी में बायोरेमेडीऐशन सोलुशन स्प्रे करके हरे शैवाल का उपचा

— परीक्षण सफल, स्प्रे का कार्य दो दिन तक चलेगा

वाराणसी (हि.स.)। गंगा नदी में हरे शैवाल पाये जाने के बाद जिलाधिकारी कौशल राज शर्मा के निर्देश पर गठित जांच कमेटी की रिपोर्ट आते ही नेशनल मिशन फॉर क्लीन गंगा की टीम एक्शन में आ गई है। टीम गंगा नदी में बायोरेमेडीऐशन सोलुशन स्प्रे करके हरे शैवाल का उपचार करेंगी। रविवार को इसका परीक्षण सफल रहा। जिलाधिकारी ने बताया कि स्प्रे का कार्य एक दो दिन चलेगा। यह सलूशन जर्मन कंपनी द्वारा उपलब्ध कराया गया है।
बताते चले कि, जांच कमेटी ने जो रिपोर्ट सौंपी है उसमें जो तथ्य सामने आया है वह चौकाने वाला है। गंगा का जल हरा होने की मुख्य वजह इसमें रोज गिरने वाला सीवर का 60 एमएलडी पानी है। सीवर के पानी में ऑर्गेनिक मेटल होता है, जो शैवाल का पसंदीदा भोजन है। इसी कारण गंगा में काफी दूर तक पानी हरा नजर आ रहा है। ये शैवाल जलीय जंतुओं के लिए खतरा पैदा कर सकते हैं। रिपोर्ट के अनुसार जनपद मिर्जापुर के विन्ध्याचल में 04 एमएलडी क्षमता का एस0टी0पी0 कन्वेन्सल सिस्टम (लैगुनिंग सिस्टम) पर आधारित है। एस0टी0पी0 से जनित शुद्धीकरण उत्प्रवाह का निस्तारण बसवरिया ड्रेन के माध्यम से सीधे गंगा नदी में किया जाता है। 
शुद्धीकृत उत्प्रवाह से हरा शैवाल गंगा नदी में मिलता है, तो वह गंगा नदी में धीरे-धीरे समय के साथ विकसित होती चली गयी। इस प्रकार 04 एमएलडी क्षमता का एस0टी0पी0 विन्ध्याचल द्वारा शैवाल का मुख्य स्रोत प्रतीत होता है। गंगा नदी में जल का प्रवाह बहुत कम है तथा जल में एलग्ल ब्लूम की वृद्धि के लिए उपयुक्त तापक्रम है, जो एलग्ल ब्लूम को विकसित करने में सहायक होता है। साथ खेतों से जनित जल अपने साथ न्यूट्रियन्स जैसे-नाइट्रोजन, फास्फोरस, यूरिया, डी0ए0पी0 आदि पानी के साथ बहने के कारण भी गंगा नदी में नाइट्रोजन, फास्फोरस की मात्रा बढ़ने की सम्भावना है, जो एलग्ल ब्लूम की मात्रा बढ़ने में सहायक होती है। मिर्जापुर शहर से आंशिक एवं चुनार से जनित घरेलू मल-जल का बिना शुद्धीकृत किये निस्तारित किया जाना हैं। रिपोर्ट में कहा गया है कि गंगा किनारे बने सभी एसटीपी का समुचित संचालन व रख-रखाव सुनिश्चित किया जाए।
गंगा नदी में गिरने वाले नाले जैसे–नगवॉ/अस्सी, खिड़कियॉ, सामनेघाट नालों को पूर्णतया बंद कर रमना स्थित 50 एमएलडी क्षमता के एस0टी0पी0 में उपचारित किया जाय। इसी प्रकार रामनगर की ओर से गिरने वाले नालों को टैप कर 10 एम0एल0डी0 क्षमता के एस0टी0पी0, रामनगर में उपचारित किया जाये।इसी तरह मिर्जापुर शहर से आंशिक एवं चुनार से जनित घरेलू मल-जल के शुद्धीकरण के लिए एस0टी0पी0 लगाये जाने की संस्तुति की जाय। गंगा नदी में मिनिमम बहाव सुनिश्चित किये जाने के लिए ऊपर से जल छोड़ने के लिए संस्तुति प्रेषित की जाय। हरे शैवाल को खत्म किये जाने एवं हरे शैवाल के कारण जलीय जन्तुओं पर पड़ने वाले कुप्रभावों के अध्ययन बनारस हिन्दू विश्वविद्यालय के सम्बंधित विभाग से कराये जाने की संस्तुति की गयी है। 
जिलाधिकारी कौशल राज शर्मा ने समिति की जांच आख्या के आधार पर जो मिर्जापुर एस0टी0  पी0 के जिम्मेदार अधिकारी हैं, उनके विरूद्ध शासन में कार्यवाही प्रस्तावित की है। अन्य सुझाव एवं संस्तुतियों से सम्बन्धित अधिकारियों व विभागों को अनुपलान के लिए निर्देश दिए गये है।

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