रीढ़ की हड्डी से जुड़ी बीमारियों को जड़ से खत्म करता है नाड़ी विज्ञान

– पर्यटन मंत्रालय ने नाड़ी विज्ञान पर आयोजित की वेबिनार 

नई दिल्ली(एजेंसी)। रीढ़ की हड्डी से जुड़ी बीमारियों को जड़ से खत्म कर सकता है नाड़ी विज्ञान। जी हां नाड़ी विज्ञान से जुड़े विशेषज्ञों के अनुसार शरीर में मौजूद तीन मुख्य तत्व के संतुलन में गड़बड़ी के चलते शरीर में बीमारियां लग जाती हैं। इन बीमारियों को दूर करने के लिए तीन तत्व को समझने और उसके अनुसार काम करने की आवश्यकता है। 
इस महत्वपूर्ण विषय पर सोमवार को पर्यटन मंत्रालय ने वेबिनार का आयोजन किया। इस आयोजन का संचालन अतिरिक्त निदेशक रुपिंदर बरार ने किया। इस वेबिनार के मुख्य वक्ता उत्तराखंड संस्कृत विश्वविद्यालय के योगिक विज्ञान विभागाध्यक्ष डॉ. लक्ष्मीनारायण जोशी व डॉ अर्पिता नेगी रहे। 
डॉ. लक्ष्मीनारायण ने बताया कि नाड़ी विज्ञान में शरीर में व्याप्त वत(हवा), पित(पानी और आग) और कफ (धरती+पानी) तीन दोष होते हैं। इन तीनों दोष के संतुलन बिगड़ने से शरीर में 80 तरह के विकार और बीमारियां पनपती है। पित दोष में गड़बड़ी के कारण ही शरीर में 40 से ज्यादा बीमारियां लग सकती हैं। इसी तरह कफ के कारण भी 20 से ज्यादा बीमारियां लग सकती हैं। इसलिए आयुर्वेद के हिसाब से लोगों को अपने शरीर के बनावट के हिसाब से खानपान लेना चाहिए। उदाहरण के तौर पर जिन लोगों को एसिडिटी की शिकायत रहती है, उन लोगों के शरीर में पित की समस्या होती है। इसलिए उन्हें अपने भोजन में खट्टी चीजें नहीं लेनी चाहिए। इसके अलावा उम्र बढ़ने के साथ भी इन तीनों दोषों के संतुलन में गड़बड़ी आ जाती है। 

शरीर में 72000 नाड़ी होते हैं

नाड़ी परीक्षण से वत, पित और कफ दोष के बारे में पता लगाया जा सकता है। हमारे शरीर में 72000 नाड़ी होते हैं। यह भी तीन प्रकार के होते हैं इदा, पिंगला और सुशमना। तीनों नाड़ी स्पाइनल कॉर्ड से जुड़ी रहती हैं। उन्होंने बताया कि उत्तराखंड सरकार एक मार्च से 7 मार्च तक नाड़ी विज्ञान पर मेले का भी आयोजन करती है, जिसमें लोग दूर दूर से इलाज कराने आते हैं। योग के बारे में बताते हुए डॉ. अर्पिता नेगी ने बताया कि योग करने से नाड़ी में उर्जा का संचार अच्छे से होता है और नाड़ी का शुद्धिकरण भी करता है। खासकर भुजंग आसन, मकर आसन, शवासन रीढ़ की हड्डी की बीमारियों को दूर करने में सक्षम है।

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