यूपी की जेलों में अफसरों की कमी, सुरक्षा व्यवस्था के लिए 17 जेलों में अधीक्षक ही नहीं

लखनऊ । उत्तर प्रदेश की जेलों में अब अफसरों की कमी आई है। राज्य की 17 जेलों में अधीक्षक ही नहीं है। सूबे में रायबरेली, मीरजापुर, कासगंज, सिद्धार्थनगर, सीतापुर, उन्नाव व जिला कारागार वाराणसी समेत 17 जेलों में जेलों जेलर व डिप्टी जेलर के भरोसे पूरी व्यवस्था है। राज्य में जेल वार्डर के 4578 पद रिक्त हैं। दरअसल, जिस बांदा जेल में माफिया मुख्तार अंसारी हाई सिक्योरिटी बैरक में बंद है, उसी जेल के एक हिस्से में निरुद्ध चोरी का आरोपित विजय आरख भागने की फिराक में छिपा रहा और उसे खोजने में एक दिन लग गया। जेलों में एक के बाद एक घटनाओं के बीच जिस तरह बंदी आंतरिक सुरक्षा को तोड़ रहे हैं, उससे यही लगता है कि सूबे की जेलें कैदियों के निशाने पर हैं। जेलों में अधिकारियों व बंदी रक्षकों की कमी भी उन पर अंकुश लगाने की राह में एक बड़ा रोड़ा है।
जानकारी के मुताबिक, डीआइजी जेल प्रयागराज संजीव त्रिपाठी को सोमवार सुबह जांच के लिए बांदा जेल भेजने के साथ ही डीजी जेल आनन्द कुमार बंदी के भागने की हर संभावना व सुरक्षा में चूक की कड़ियां तलाशने के लिए पल-पल की जानकारी लेते रहे। हालांकि बंदी विजय आरख को रविवार शाम करीब साढ़े छह बजे तक जेल के भीतर देखा गया था। खाना लेने के दौरान वह सीसीटीवी कैमरे में नजर आया था, लेकिन उसके बाद से वह लापता था। जेल अधिकारियों को उसके भीतर ही छिपे होने की आशंका तो थी, लेकिन उसे खोजने में लंबा समय लगा। इससे बांदा जेल की सुरक्षा-व्यवस्था सवालों के घेरे में आ गई। चित्रकूट जेल व जौनपुर जेल में हुई घटनाओं के बाद कारागार प्रशासन के लिए यह एक और बड़ी चुनौती थी।
डीजी जेल का कहना है कि बांदा जेल में सुरक्षा प्रबंध और कड़े किए जाने के कड़े निर्देश दिए गए हैं। उनका कहना है कि माफिया मुख्तार जिस बैरक में बंद है, उसके आसपास पहले से ही कड़ा पहरा है। जेल परिसर में कुछ अन्य स्थानों पर सीसीटीवी कैमरे लगवाने का निर्देश भी दिया गया है।

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