महाशिवरात्रि पर्व पर ब्रजवासियों ने चार कोतवालों की पूजाकर लगाई सुरक्षा की गुहार

मथुरा (हि.स.)। मथुरा ब्रजनगरी के चार कोतवाल माने जाने वाले रंगेश्वर महादेव, भूतेश्वर महादेव, पीपलेश्वर और गोकर्णनाथ महादेव के मंदिरों में गुरूवार शिवरात्रि पर विशेष आयोजन किए गए। गुरूवार को श्रद्धालुओं ने ब्रज कोतवाल महादेवों की पूजा अर्चना कर अपनी सुरक्षा की गुहार लगाई। महाशिवरात्रि के अवसर पर इन मंदिरों में जलाभिषेक करने के लिए शिव भक्तों की भारी भीड़ उमड़ी है। 

रंग-रंग कहकर प्रकट हुए रंगेश्वर महादेव
रंगेश्वर महादेव मंदिर जिला अस्पताल के समाने स्थित है। मंदिर के पुजारी सागरनाथ ने बताया कि मामा कंस का वध करने के बाद श्रीकृष्ण और बलराम दोनों भाइयों में इस बात पर विवाद हो गया कि उसे किसने मारा है? दोनों खुद को श्रेष्ठ सिद्ध करने में लगे थे। तभी यह कहते हुए भगवान शिव प्रकट हुए कि रंग है-रंग है, तुम दोनों भाइयों का रंग है। इस पर दोनों में सुलह हो गई। तभी से इस स्थान पर भगवान शिव रंगेश्वर महादेव के रूप में पूजे जाने लगे। महाशिवरात्रि पर सुबह रंगेश्वर बाबा का जलाभिषेक हुआ। 
गोकर्णनाथ महादेव शिव स्त्रोत पाठ और गन्ने के रस अभिषेक से तुरंत करते हैं कृपा 
शहर के आकाशवाणी के समीप स्थित गोकर्णनाथ महादेव का वर्णन भगवत गीता में भी मिलता है। गोकर्णेश्वर महादेव के सेवायत मन्नू पंडित ने बताया कि मंदिर में जो व्यक्ति लगातार 40 दिन भगवान को शिव स्त्रोत का पाठ और गन्ने के रस से अभिषेक करता है। बीमारियां उसके पास नहीं आती। मान्यता है कि गोकर्णेश्वर महादेव की पूजा करने से धनलक्ष्मी हमेशा उसके यहां वास करती है। व्यापार उन्नति होती है। बुरी बाधाओं से भक्त से कोसों दूर रहती है।
भूतेश्वर महादेव क्षेत्रपाल-शहर कोतवाल से हैं प्रसिद्ध  
श्रीकृष्ण जन्मस्थान के समीप भूतेश्वर महादेव को मथुरा का कोतवाल भी कहा जाता है। कहते हैं कि हिमालय से भगवान के दर्शन करने के लिए भोलेनाथ यहीं आए थे। तब उनका डरावना स्वरूप देख लोग सहम गए थे। बताते हैं उस वक्त भोलेनाथ नहीं इसी स्थान पर विश्राम किया था। तब से यह मंदिर है। भूतेश्वर महादेव मंदिर में ऐतिहासिक शिवलिंग एवं पाताल देवी के विग्रह हैं। भूतेश्वर महादेव का शिवलिंग नाग शासकों द्वारा स्थापित किया गया। भूतेश्वर महादेव मथुरा के रक्षक सुप्रसिद्ध चार महादेवों में पश्चिम दिशा के क्षेत्रपाल और शहर कोतवाल माने जाते हैं। भूतेश्वर महादेव मंदिर में सुबह से ही जलाभिषेक के लिए भक्तों की कतार लग गई। 
प्रेतों पर नियंत्रण रखते हैं पीपलेश्वर महादेव 

पीपलेश्वर महादेव यमुना नदी के प्रयाग घाट के निकट स्थित हैं। कहते हैं यहां पिप्लादि मुनि ने तपस्या की थी। इसी स्थान पर पीपल का वृक्ष भी था, जिस पर पीली बर्र का छत्ता लगा हुआ था। मुगलों ने ब्रज पर आक्रमण के वक्त इस मंदिर को भी तहस-नहस किया था। शिवलिंग पर तलवार से प्रहार किया तो पीली बर्रों ने मुगलों पर आक्रमण कर दिया था। शिवलिंग पर आज भी तलवार के निशान हैं। 
सेवायत नंदलाल चतुर्वेदी ने बताया कि इस प्राचीन मंदिर के बारे में मान्यता है कि यहां के महादेव प्रेतों पर नियंत्रण रखते हैं। इस मंदिर के निकट ही यमुना जी कलकल बहती हैं। यहां के दर्शन करने से सभी कष्टों का समापन हो जाता है। पिपलेश्वर महादेव का नमन करने से शनि की बाधा दूर होती है। 

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