प्रकृति के साथ मैत्री भाव से ही प्राप्त होगा स्वस्थ भोजन : आरएसएस

लखनऊ। ‘विश्व में बढ़ती विभिन्न प्रकार की असाध्य बीमारियां मनुष्य की प्रकृति पर विजय प्राप्त करने की विकृत मानसिकता का परिणाम हैं। प्रकृति के साथ तालमेल से ही हम स्वस्थ रह सकते हैं और प्रकृति के साथ तालमेलयुक्त पद्धति से की जाने वाली कृषि ही हमें शुद्ध और स्वास्थ्यवर्धक भोजन प्रदान कर सकती है।’

यह कहना है राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ(आरएसएस) के अखिल भारतीय ग्राम विकास प्रमुख डॉ दिनेश जी का। वे 27 जुलाई देर शाम लाल बहादुर शास्त्री राष्ट्रीय संस्कृत विश्वविद्यालय के योग विज्ञान विभाग एवं नवयोग सूर्योदय सेवा समिति के संयुक्त तत्वावधान में आयोजित ‘प्राकृतिक भोजन के लिए प्राकृतिक खेती’ एक राष्ट्रीय विषयक वेबिनार को संबोधित कर रहे थे।
डॉ दिनेश ने बताया कि आज भारत में जैविक कृषि एक जनान्दोलन का रूप धारण कर चुकी है और देश में लाखों की संख्या में किसान रासायनिक खेती को त्यागकर जैविक कृषि की ओर लौट रहे हैं। उन्होंने कहा कि जिस गांव में जैविक कृषि के प्रयोग शुरू हुए हैं उसने आसपास के 40-50 ग्रामों के किसानों को प्रभावित किया और किसान महसूस कर रहे हैं कि कम लागत में अधिक उत्पादन प्राप्त करने का माध्यम जैविक कृषि ही है। 
स्वास्थ्यवर्धक भोजन के लिए धरती और गोमाता दोनों की जरूरत उन्होंने कहा कि अब भारत बदल रहा है। धरतीमाता और गोमाता ऋषि कृषि का आधार हैं। स्वास्थ्यवर्धक भोजन प्राप्त करने के लिए हमें धरती और गोमाता दोनों की जरूरत है। इसलिए गोमाता को फिर से कृषि का आधार बनाना होगा। बडे़ बदलाव के लिए हमें सामूहिक प्रयास करने होंगे।

सत्यवादिता भारतीय संस्कृति का महत्वपूर्ण अंगगोवंश की रक्षा पर जोर देते हुए वेबिनार के अध्यक्ष व लाल बहादुर शास्त्री राष्ट्रीय संस्कृत विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो.रमेश चन्द्र पांडे ने कहा कि सत्यवादिता भारतीय संस्कृति का महत्वपूर्ण अंग है, परन्तु रासायनिक खेती असत्य का प्रचार है। आज अनेक प्रकार की जटिल बीमारियां रासायनिक खेती की ही देन हैं। स्वस्थ रहने के लिए आवश्यक है कि हमारा भोजन ही नहीं, बल्कि हवा और पानी भी शुद्ध हों। इसके लिए सामूहिक प्रयास की जरूरत है।

मैत्रीभावपूर्ण जीवन प्रत्यक्ष देखना हो तो हदां गांव जायेंकार्यक्रम के मुख्य अतिथि व वरिष्ठ पत्रकार, लेखक एवं हिमाचल प्रदेश केन्द्रीय विश्वविद्यालय में सहायक आचार्य डा. प्रमोद कुमार ने महात्मा गांधी और शाकाहार पर विस्तार से चर्चा की। उन्होंने बताया कि गांधीजी ने शाकाहार के साथ प्राकृतिक खेती, ग्राम स्वच्छता, प्राकृतिक चिकित्सा और पंचतत्वों के साथ मैत्रीभाव की बात की। उन्होंने राजस्थान के बीकानेर जिले में स्थित हदां गांव और झालावाड के मानपुरा गांव का विशेष जिक्र करते हुए कहा कि प्राकृतिक खेती, गोवंश आधारित जीवन और पंचतत्वों के साथ मैत्रीभावपूर्ण जीवन यदि किसी को प्रत्यक्ष देखना हो तो इन ग्रामों में जाकर देखें। 
आरएसएस ने ग्राम विकास के लिए कई प्रेरक प्रयोग कियेउन्होंने बताया कि आज राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के स्वयंसेवकों के प्रयासों से देशभर में कई हजार गांवों में ग्राम विकास के अत्यंत प्रेरक प्रयोग हो रहे हैं। डा. प्रमोद कुमार ने गांधीजी की पुस्तक ‘रचनात्मक कार्यक्रम’ का जिक्र करते हुए कहा कि गांधीजी ने 1941 और 43 में समाज की ऐसी 18 समस्याओं को चिन्हित किया था जो हमारे देश के विकास में बाधक हैं और उन समस्याओं में आरोग्य तथा ग्राम स्वच्छता दो प्रमुख बिन्दू थे। 
सरकार पर निर्भर रहने की प्रवृत्ति को त्यागना होगाबताया कि गांधीजी ने उस समय कहा था कि जब तक भारतीय समाज सरकार पर निर्भरता त्यागकर अपने बलबूते इन समस्याओं पर विजय प्राप्त नहीं करेगा तब तक पूर्ण स्वराज का स्वप्न साकार नहीं होगा। इसलिए आज समाज को हर काम के लिए सरकार पर निर्भर रहने की प्रवृत्ति को त्यागना होगा तभी आत्मनिर्भर भारत का हमारे महापुरूषों का स्वप्न साकार होगा।
जैविक खेती ने जीवन की दिशा बदल दीप्रारंभ में देहरादून के एक जैविक किसान श्री दीपक उपाध्याय ने विस्तार से बताया कि किस प्रकार उसने रासायनिक खेती को त्यागकर जैविक कृषि प्रारंभ और इससे किस प्रकार उसके जीवन की दिशा बदली। श्री उपाध्याय ने बताया कि जैविक कृषि से उत्पादन में कई गुणा वृद्धि हुई और इसमें भारत के परम्परागत बीज बहुत अधिक उपयोगी सिद्ध हुए हैं। उन्होंने कहा कि जो लोग यह प्रचार कर रहे हैं कि जैविक कृषि देश की बढ़ती जनसंख्या के लिए पर्याप्त भोजन पैदा नहीं कर सकते हैं वास्तव में वे मानवता के शत्रु हैं।
कृषि के लिए एक क्रांति का श्रीगणेश करना होगायोग प्रशिक्षक डॉ सोमवीर आर्य ने जोर देकर कहा कि जिस प्रकार भारत में निरक्षरता को समाप्त करने के लिए सरकार और समाज ने मिलकर आन्दोलन चलाया उसी प्रकार सरकार और समाज को मिलकर जैविक कृषि के लिए एक क्रांति का श्रीगणेश करना होगा। प्रो. महेश प्रसाद सिलोडी ने सभी अतिथियों का स्वागत किया, जबकि डा. नवदीप जोशी ने विषय की प्रस्तावना रखी। डा. जोशी ने कहा कि शुद्ध भोजन के लिए खेती को रासायनिक खाद, कीटनाशकों एवं खरपतवारनाशकों से मुक्त करना होगा।

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