पूर्वांचल में इंसेफेलाइटिस से गरीब बच्चों की मौत कभी मीडिया ट्रायल का विषय नहीं बना: योगी आदित्यनाथ

कहा, 600-1500 मौतों का आंकड़ा 15 पर लाई सरकार, इस पर भी तय हो रही जवाबदेही

महिला जनप्रतिनिधियों से किया वर्चुअल संवाद, विभिन्न योजनाओं पर की चर्चा

लखनऊ (हि.स.)। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने कहा कि कुछ समय पहले तक पूर्वी उत्तर प्रदेश के लोग इंसेफेलाइटिस से त्रस्त थे। अब वहां बेहद व्यापक परिवर्तन देखने को मिला है। गोरखपुर में बस्ती कमिश्नरी में मस्तिष्क ज्वर से हर वर्ष हजारों मौतें होती थीं। ये वह गरीब तबका था, जिसको देश की आजादी के बाद से वोट बैंक बना दिया गया था। 
उन्होंने कहा कि वास्तव में जब ऐसे परिवार की किसी बच्चे की मौत होती थी तो वह कभी मीडिया ट्रायल का विषय नहीं बना। हर वर्ष गोरखपुर के बीआरडी मेडिकल कॉलेज में 600 से लेकर 1,500 बच्चों की मौत होती थी। लेकिन, स्वच्छ भारत मिशन और अंतर्विभागीय समन्वय से इन मौतों को घटाकर हम लोग न्यूनतम पर लाकर 15 तक लेकर आ गए हैं। वहीं जिन गांवों में ये मौतें हुई हैं वहां भी जवाबदेही तय की जा रही है कि यह भी क्यों हुई, हम यह भी नहीं होने देंगे यह स्वच्छ भारत मिशन का परिणाम है।
मुख्यमंत्री रविवार को अपने लखनऊ स्थित सरकारी आवास पर ‘मिशन शक्ति’ के द्वितीय दिवस पर जिला पंचायत, क्षेत्र पंचायत एवं ग्राम पंचायत स्तर पर महिला जनप्रतिनिधियों से वर्चुअल संवाद कर रहे थे। उन्होंने कहा कि गांवों में घर-घर शौचालय बनाने, उसका उपयोग करने, गांवों में शुद्ध पेयजल की आपूर्ति होने की बदौलत मस्तिष्क ज्वर को न्यूनतम स्तर पर लाकर यह परिणाम हमें उपलब्ध हुआ है। 
स्वच्छ भारत अभियान नारी गौरव की रक्षा करने का कार्यक्रम
मुख्यमंत्री ने कहा कि वास्तव में स्वच्छ भारत अभियान स्वस्थ बनने का अभियान तो है ही, साथ ही यह नारी गौरव की रक्षा करने का भी अभियान है। उन्होंने कहा कि आज से छह वर्ष पहले गांव में हम लोग पैदल नहीं जा पाते थे गंदगी और अव्यवस्था होती थी। आज हर गांव साफ सुथरा है। हर एक जिम्मेदारी बनती है कि वह अपने गांव साफ-सुथरे रखे। उन्होंने कहा कि स्वच्छ भारत मिशन के अंतर्गत जिन ग्रामीण घरों में शौचालय नहीं बना है, उन्हें शौचालय उपलब्ध कराए गए। एक अभियान की तरह कार्यक्रम चला और इससे बहुत बड़े पैमाने पर लाभ हुआ।
जागरूकता के अभाव में भ्रष्टाचार की भेंट चढ़ जाती हैं योजनाएं 

मुख्यमंत्री ने कहा कि महिला जनप्रतिनिधियों के साथ संवाद को लेकर कहा​ कि इन महिला जनप्रतिनिधियों की सोच बेहद बेहद प्रगतिशील है। ये बेहद सकारात्मक सोच के साथ कार्य कर रही हैं। उन्होंने कहा कि शासन की योजनाएं बनती हैं और उन्हें जरूरतमंदों तक पहुंचाने का भरसक प्रयास सरकार का होता है। लेकिन, जनप्रतिनिधि जागरूक नहीं हो तो जरूरतमंद योजना के लाभ से वंचित रह जाता है और अंततः जागरूकता के अभाव में योजनाएं भ्रष्टाचार की भेंट चढ़ जाती हैं या एक बार में लोग इसका लाभ तो ले लेते हैं और बाद में योजनाएं भटकती रह जाती हैं। 
उन्होंने सभी महिला जनप्रतिनिधियों द्वारा संवाद के दौरान अपने कार्यों की जानकारी देने का स्वागत किया और कहा कि ऐसी अनेक बहने होंगी जो अपनी ग्राम पंचायत, वार्ड, नगर निकाय या फिर महिला स्वयंसेवी स्वयं समूह के माध्यम से सफलतापूर्वक कार्य कर रही होंगी।
बेटी की भ्रूण हत्या हो जाएगी तो कहां जाएगा समाज
मुख्यमंत्री ने कहा कि वास्तव में इन योजनाओं में कितनी ताकत है, इसे समझते हुए हम सभी को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का इस बात के लिए आभार व्यक्त करना चाहिए। जिन योजनाओं की आज हम चर्चा कर रहे हैं, उनके बारे में प्रधानमंत्री ने बहुत पहले ही सोचते हुए इनकी शुरुआत की थी। इनमें बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ योजना की बात करें तो यह कार्यक्रम हर बेटी की सुरक्षा से जुड़ा हुआ है। अगर बेटी की भ्रूण हत्या हो जाएगी तो यह समाज कहां जाएगा, इसकी कल्पना भी नहीं की जा सकती है। 
बेटा और बेटी के बीच में नहीं हो कोई भेदभाव 
इसलिए हर एक पक्ष को इसके लिए जागरूक करना है। बेटा और बेटी के बीच में कोई भेदभाव नहीं करते हुए दोनों को समान रूप से आगे बढ़ाना है। इसी उद्देश्य से प्रदेश सरकार ने स्कूल चलो अभियान प्रारंभ किया था। इसमें बेसिक शिक्षा परिषद के हर स्कूल में हर छात्र-छात्राओं को यूनिफॉर्म, जूते मोजे, स्वेटर देने का कार्य किया गया। 
स्कूलों का किया गया कायाकल्प, बेहतर हुआ शिक्षण कार्य व अन्य व्यवस्थाएंऑपरेशन कायाकल्प के अंतर्गत विद्यालयों में बेहतरीन सुविधा प्रदान की गई। आज देखा जा सकता है कि बेसिक शिक्षा परिषद के अधिकांश विद्यालयों में ऑपरेशन कायाकल्प के अंतर्गत सुधार हो चुका है। बालक-बालिकाओं के अलग-अलग शौचालय, पेयजल की व्यवस्था हो चुकी है। यह सब बेटा बेटी के बीच में भेद समाप्त हो, इसको ध्यान में रखकर किया गया है। आमतौर पर होता था कि लोग बेटे को अच्छे स्कूल में भेजते थे और बेटी को बेसिक शिक्षा परिषद के स्कूल में भेजा जाता था। वहां न शिक्षक होता था और बैठने की उचित व्यवस्था रहती थी। बच्चे नंगे पैर स्कूल जाते थे। सर्दियों में हाफ शर्ट पहनकर स्कूल में जाते थे। ऐसे में सरकार ने उन बच्चों की व्यवस्था को ध्यान में रखते हुए बिना कोई भेदभाव किए सबको एक समान अवसर प्रदान किया। आज बेसिक शिक्षा परिषद में पढ़ने वाले बच्चे भी किसी पब्लिक और कान्वेंट स्कूल की तरह ही शिक्षा प्राप्त कर सकते हैं।
सशक्त समाज ही सशक्त राष्ट्र की रखता है नींव
मुख्यमंत्री ने कहा वास्तव में जनप्रतिनिधियों के द्वारा यह जो काम हो रहा है, वह नींव को मजबूत करने का काम हो रहा है। एक सशक्त समाज तब बनेगा जब एक व्यक्ति स्वस्थ होगा। स्वस्थ व्यक्ति ही सशक्त समाज की नींव बन सकता है और और सशक्त समाज ही सशक्त राष्ट्र और समर्थ राष्ट्र की नींव बनेगा। यह कार्य स्वच्छ भारत मिशन कर रहा है। 
उन्होंने कहा कि इसकी वजह से बहुत बड़े खर्चे को बचाया गया है। हालांकि आयुष्मान भारत में पांच लाख का स्वास्थ्य बीमा कवर किया गया है। हमारा प्रयास है सभी लोगों को कवर करें। लेकिन, फिर भी स्वच्छ भारत मिशन ने इसको और भी न्यूनतम स्तर पर पहुंचाया है। लोगों का जो पैसा स्वास्थ्य के नाम पर खर्च होता था, उसे काफी हद तक कम करने में मदद मिली है। 
कोरोना काल में जनधन खातों की अहमियत का किया जिक्र
मुख्यमंत्री ने जन धन अकाउंट की अहमियत का जिक्र करते हुए कहा कि 1998-99 में गोरखपुर और आसपास के क्षेत्र में बाढ़ आई थी। प्रदेश सरकार ने एक-एक हजार रुपये के चेक लोगों को वितरित करने के लिए दिए थे और जब ग्रामीण वह चेक लेकर बैंक जाता था, तो उसे 500 रुपये खाता खोलने के लिए जमा करने को बोला जाता था। ऐसे में उनका बैंक अकाउंट नहीं खुल पाता था। वहीं प्रधानमंत्री मोदी ने 2014 में हर गरीब का जन धन अकाउंट खुलवाय। इसका बड़े पैमाने पर लोगों को लाभ मिला। हमने दो करोड़ किसानों के खातों में इस लॉकडाउन के दौरान एक लिक में रुपये भेजे। उन्होंने कहा कि 87 लाख वृद्धजन, निराश्रित महिलाएं और दिव्यांगजन के अकाउंट में एक साथ एडवांस पेंशन की धनराशि भी। कोरोना कालखंड में लॉकडाउन के दौरान और उसके बाद भी इसी तरह श्रमिकों के खाते में भी हमने रुपये भेजे, क्योंकि जन धन अकाउंट के तहत सभी गरीबों का खाता खुल चुका है। खास तौर से यह महिला सशक्तीकरण की दिशा में एक नया कदम है कि उनके खाते में सीधे धनराशि भेजी जा रही है। 
जनधन खाते नहीं खोले जाने पर मदद से वंचित रहे जाते जरूरतमंद
मुख्यमंत्री ने कहा कि अगर ये खाते नहीं खोले गए होते तो बेहद मुश्किल होती क्योंकि एक-एक के घर में चेक वितरण करने की नौबत आती और उतना मानव संसाधन हमारे पास नहीं था। हमारे अधिकांश अधिकारी कोरोना की रोकथाम, प्रवासी कामगारों को उनके गंतव्य तक सुरक्षित पहुंचाने, सामुदायिक रसोईघरों के संचालन और अन्य व्यवस्थाओं में लगे थे। ऐसे में बिना खातों के जरूरतमंदों को धनराशि पहुंचाना एक चुनौती होती। लेकिन, हम लोगों ने इन खातों का उपयोग हर एक लाभार्थी के खाते में धनराशि पहुंचाने का काम किया। 
अन्य योजनाओं का भी किया जिक्र
इसी तरह प्रधानमंत्री उज्ज्वला योजना की बात करें तो यह महिलाओं के जीवन में बदलाव लाने में बेहद सफल हुई है। हर गरीब के पास रसोई गैस का कनेक्शन है। एक समय ​था जब रसोई गैस कनेक्शन काफी खर्च के बाद भी नहीं मिल पाता था। प्रधानमंत्री मोदी की बदौलत महिलाओं को इसे नि:शुल्क उपलब्ध कराया गया। कोरोना काल में छह महीने तक योजना के लाभार्थियों को नि:शुल्क रसोई गैस के सिलेंडर उपलब्ध कराने का कार्य किया गया। इसी तरह प्रधानमंत्री आवास योजना में मात्र तीन सालों में 30 लाख महिलाओं को आवास उपलब्ध कराने का कार्य किया गया है। वहीं सौभाग्य योजना में 1.24 करोड़ लोगों को नि:शुल्क विद्युत के कनेक्शन उपलब्ध कराए गए। 

error: Content is protected !!